Thursday, April 25, 2024

रामशरण जोशी

तब की घोषित इमरजेंसी से भयानक है आज का अघोषित आपातकाल?

18 वीं लोकसभा के लिए चुनावों का पहला चरण हो चुका है; 62 प्रतिशत  से अधिक मतदान के साथ मतदाताओं ने  ईवीएम के द्वारा 102 सीटों के भाग्य का फैसला दे दिया  है। शेष सीटों के लिए चुनाव प्रक्रिया 1...

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी: ज्ञान अर्जन का पुंज या ‘टुकड़े टुकड़े गैंग’, अब क्या नाम देंगे वो लोग? 

देश के आम चुनाव के समर में जेएनयू ने विश्व के अकादमिक या ज्ञान के आकाश में एक बार फिर से अपनी सकारात्मक भूमिका का परचम लहराया है। लंदन स्थित उच्च शिक्षा विश्लेषण फर्म ‘क्वैकारेल्ली सिमोंड्स (QS) के विश्व...

जीवंत लोकतंत्र और प्रधानमंत्री: आइये नरेंद्र मोदी जी प्रेस कांफ्रेंस करिये !

“एक छोटा-सा मोड़ जवाहरलाल को तानाशाह बना सकता है, जो धीमी गति से चलने वाले लोकतंत्र के विरोधाभास को भी पार कर सकता है। वह अभी भी लोकतंत्र, समाजवाद की भाषा और नारे का उपयोग कर सकता है, लेकिन...

कार्ल मार्क्स की अंतिम दैहिक विश्राम स्थली से: आइये, दुनिया को बदलें !

पूंजीवाद ने मार्क्सवाद को दफनाने का ऐलान काफी पहले कर दिया था। मार्क्स का दैहिक अंत हुए करीब एक सौ चालीस वर्ष हो चुके हैं। लेकिन कार्ल मार्क्स की दैहिक विश्राम स्थली पर आज़ भी पर्यटक और प्रतिबद्ध यात्री...

क्या मोदी सत्ता को चाहिए गूंगी जनता, सवाल और विपक्ष मुक्त भारत?

“चुनावी बॉन्ड का करोड़ों रुपयों का घपला हो गया। कोई भी नेता जेल नहीं गया है!” यह तंज था एक ऑटोचालक का। किस्सा यह है कि मुझे किसी स्थान के लिए ऑटो लेना था। चालक मीटर से चलने से...

आइये, मोदी सरकार संग बेरोज़गारी दूर करें: तीन पोस्ट, तीनों हैरतअंगेज़ भरी!

फेसबुक पर मोदी-नेतृत्व के भाजपा सत्ता प्रतिष्ठान के चरित्र से जुड़ी तीन पोस्टों पर नज़र पड़ी। तीनों ही बेहद दिलचस्प और आश्चर्यजनक। तीनों ही असली हैं, फ़र्ज़ी नहीं हैं। तीनों मोदी-सरकार की भीषण नाकामियों का ताज़ा आख्यान हैं।  हम पहली पोस्ट...

किस्सा बसवा का, चेहरा भारत का!

“मुझे सब कुछ शॉकिंग लगा। गांव में आज भी ऐसा होता है?” हैरत भरे सवाल से भरी यह टिप्पणी एक पैंतीस वर्षीय महानगरी युवक की है, जिसका ग्रामीण सच्चाई से सामना पहली दफा हुआ। इस टिप्पणी की पृष्ठभूमि इस...

न हिन्दू राष्ट्र चाहिए न निरंकुश सत्ता, ज़रूरत है सबरंगी समाज और उदारवादी लोकतंत्र की! 

पिछले दिनों देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की रोचक टिप्पणी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। टिप्पणी हिन्दू राष्ट्र से सम्बंधित थी। माननीय न्यायाधीश का कथन था कि भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की बात छोड़िये,’ हिन्दू गांव’...

लंदन यात्रा: लोकतंत्र में प्रधानमंत्रियों के ठिकानों की अपनी अपनी अदाएं !

"भय मुक्त होकर राजसत्ता से सत्य कहो। डरो नहीं।" देश में विदेशी सत्ता के विरुद्ध भारतीयों के लिए यह सन्देश महात्मा गांधी का था। लेकिन, आज ये चंद शब्द मेरे कानों में उस अश्वेत के गूंज रहे हैं जिन्हें...

तीन देश, कहानी  एक: लोकतंत्र की पोशाक में निरंकुश सत्ताएं? 

 “ न हो कमीज़ तो पांवों से पेट ढंक लेंगे, ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफर के लिए।” ( दुष्यंत) अगस्त 1947 में श्वेत साम्राज्यवादी शासकों ने भारतीय उपमहाद्वीप को दो स्वतंत्र देशों में विभाजित किया था : भारत और पाकिस्तान।...

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ईवीएम-वीवीपैट केसः सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछे 4 सवाल

सुप्रीम कोर्ट बुधवार 24 अप्रैल को यानि आज उन याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाने वाला है, जिसमें चुनाव के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग...