हकीकत क्या है ‘विकसित’ भारत के हल्ले की?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले आम चुनाव के लिए ‘विकसित भारत’ को अपने प्रचार का मुख्य थीम (विषयवस्तु) बनाया है।…

एक प्रतिरोध जिसमें बड़ी संभावनाएं छिपी हैं

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने जालंधर में अपने राष्ट्रीय अधिवेशन में अगले 16 फरवरी को ग्रामीण बंद यानी देहाती इलाकों…

चीनी घुसपैठ पर पर्दादारी: आखिर क्यों और किससे?

नई दिल्ली। भारतीय सैनिकों की वीरता कथा को भारतीय जनता से छिपाने की कोशिश अगर होती दिखे, तो यह सहज…

आम बदहाली के बीच चमकते-दमकते छह करोड़ लोग

चालू वित्त वर्ष में भारत सरकार ने प्रत्यक्ष करों से 17.2 लाख करोड़ रुपये की आमदनी का अनुमान लगाया था।…

चंद परिवारों में क्यों सिमटी भारत की राजनीति ?

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने हाल में यह दिलचस्प बात कही कि गुजरे 30 वर्षों में बिहार में सिर्फ साढ़े…

क्या लिबरल डेमोक्रेसी को बचा पाना संभव है?

नई दिल्ली। साल 2024 को चुनावों का साल कहा जा रहा है। कारण यह कि इस वर्ष दर्जनों “लोकतांत्रिक” देशों…

साम्राज्यवाद को लगातार चुभने वाला कांटा थे जॉन पिल्जर

नई दिल्ली। मुमकिन है कि यह कथन कुछ लोगों को अतिशयोक्ति लगे कि जॉन पिल्जर हमारे युग के सबसे महान…

2023: भारत के अलग-थलग पड़ने का साल?

नई दिल्ली। अगर अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मामले में साल 2023 का लेखा-जोखा लें, तो भारत के लिए इस वर्ष का…

जातीय मान-अपमान का इलीट विमर्श

इलीट शब्द का हिंदी अनुवाद अभिजात या सभ्रांत है। उर्दू में इसे अशराफिया कहते हैं। डिक्शनरी ब्रिटैनिका के मुताबिक इसका अर्थ…

भाजपा इतनी ताकतवर क्यों है?

इस महीने की दो घटनाओं ने देश के एक बड़े हिस्से में नाउम्मीदी पैदा की है। यह समाज का वो…