Author: सत्येंद्र रंजन
भारी सिर और कमजोर धड़- क्या होगा अंजाम?
भारतीय अर्थव्यवस्था के मौजूदा हाल को जाहिर करती हुई ये सटीक खबर है: भारत के कुल 284 अरबपति जितने धन के मालिक हैं, वह भारत [more…]
भटक गई है परिसीमन पर बहस
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन परिसीमन के खिलाफ एक मजबूत विपक्षी लामबंदी करने में सफल रहे हैं। अपने राज्य में उन्होंने 2026 में लोकसभा सीटों [more…]
उपभोग बढ़ाने की एक समझ यह भी!
पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में उपभोग बढ़ाने का एक विशेष संदर्भ और मतलब है। इस नजरिये के मुताबिक उपभोग में निरंतर वृद्धि आर्थिक विकास (growth) का प्रमुख कारक [more…]
‘नेशनल चैंपियन’ जब किसी और का वेंडर बन जाएं!
अभी छह महीने नहीं गुजरे जब रिलायंस जिओ और भारती एयरटेल ने इलॉन मस्क की कंपनी स्पेस-एक्स के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। मुद्दा भारत [more…]
अब बात सिर्फ टैरिफ की नहीं रही
अमेरिका के टैरिफ वॉर (आयात शुल्क युद्ध) से जैसे-तैसे बच निकलने की भारत की कोशिश कामयाब होती नहीं दिखती। चूंकि आरंभ में ही अपने सारे [more…]
अत्याचार के आगे इतना भी क्या झुकना!
अपनी ब्रिटेन यात्रा के दौरान लंदन स्थित थिंक टैंक चैटहम हाउस के संवाद में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जो कहा, उसके बाद डॉनल्ड ट्रंप [more…]
यूरोपीय नेताओं का बड़बोलापन और जेलेन्स्की की नामसझी
वोलोदोमीर जेलेन्स्की के लिए डॉनल्ड ट्रंप ने खतरे की घंटी बजा दी है। उनका यह कहना खोखली धमकी भर नहीं है कि “अगर कोई शांति [more…]
अपने रूस कार्ड से ट्रंप ने मोल लिए हैं बड़े जोखिम
यूक्रेन युद्ध पर अमेरिका के बदले रुख को साझा पश्चिम (collective west) की पराजय के रूप में देखा गया है, तो यह उचित आकलन ही है। [more…]
Far Right का आगे बढ़ा कारवां, जर्मनी में मध्य मार्ग को ठोकर
जर्मनी में रविवार को आए चुनाव नतीजों पर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा- ‘जर्मनी के लोग no common sense (समझदारी से परे) एजेंडे से [more…]
अमेरिका की बदली रणनीति में फिट होने की तड़प
मकसद वही है, लेकिन रणनीति बदल गई है। मकसद है दुनिया पर अमेरिकी वर्चस्व को इस रूप में कायम रखना, जिससे दुनिया एक-ध्रुवीय बनी रहे। [more…]