प्रकट-प्रछन्न जंज़ीरों से दबी कुचली इंसानियत की मुक्ति का गान हैं मोहन की कविताएं
दलित साहित्यकारों और एक्टिविस्टों ने आधुनिकता के मुहावरे और ढांचे में अपने संघर्ष को स्थापित किया है। मूल्यों के असमान हिंदू सिस्टम के खिलाफ उन्होंने [more…]
दलित साहित्यकारों और एक्टिविस्टों ने आधुनिकता के मुहावरे और ढांचे में अपने संघर्ष को स्थापित किया है। मूल्यों के असमान हिंदू सिस्टम के खिलाफ उन्होंने [more…]
वो तुम थे एक साधारण मनुष्य को सताने वाले अपने अपराध पर हँसे ठठाकर, और अपने आसपास जमा रखा मूर्खों का झुंड अच्छाई को बुराई [more…]
अरबी मूल के ‘सफ़ारी’ और अफ्रीका की स्वाहिली मूल के ‘मसाफ़ीरी’ शब्द से बना है प्रचलित स्वाहिली का शब्द ‘वासाफ़ीरी’ यानी सफ़री या यायावर। इसी [more…]
जज मत करिए उन्हें समझिए “जेंडर ट्रबलः फेमेनिज्म एंड द सबवर्जन ऑफ आईडेंटिटी” (1990) जैसी मशहूर किताब की रचयिता और अमेरिकी अकादमिक और जेंडर मामलों [more…]
दुनिया की सबसे विख्यात आंकी गई महिलाओं में से एक, विश्व सिनेमा की एक प्रमुख स्टार, और 11 साल की उम्र से हैरी पॉटर फिल्म [more…]
अमीर ख़ान का गाना सुनते हुए आप सबसे पहले क्या राय बनाते हैं उनके बारे में? क्या बना सकते हैं? मुझे प्रमोद कौंसवाल भाईसाब से [more…]
इससे पहले कि टीवी समाचार के आसमान पर छाए बादल फटते मैं निकल आया था। या निकलने को विवश हुआ था। लेकिन जाता कहां? ये [more…]
राम के नाम क्या-क्या नहीं हुआ था। अब चीख नहीं सकते तो एक यात्रा भीतर की ओर की जा सकती है। एक आंतरिक गान की [more…]