एक मरहूम खिलाड़ी के नाम एक मुल्क का माफ़ीनामा

ऐसे मौके इतिहास/तवारीख में शायद ही कभी आए हों, जब मुल्क की संसद एक सुर में एक ऐसे शख्स के…

क्योंकि वो जानवर की मौत पर बोलना और इंसान की जघन्य हत्या पर भी चुप रह जाना जानते हैं !

एक गर्भवती हथिनी की मौत को लेकर पूरे मुल्क में जो उबाल दिख रहा था, वह अब ठंडा हो गया…

इंसानी जानों को खतरे में डालकर आखिर क्या है आस्था के द्वारों को खोलने की जरूरत

क्या हम कभी इसके पीछे की तर्क प्रणाली को जान सकेंगे कि जब मुल्क में कोविड 19 संक्रमण के महज…

समुदाय केंद्रित कोरोना मैपिंग की बात को सरकार ने किया खारिज, लेकिन सच से पर्दा उठना अभी बाकी

दक्षिण भारत से निकलने वाले एक बेहद प्रतिष्ठित अख़बार की उस ख़बर ने चौंका दिया था, जिसमें ‘कोरोनावायरस के समुदाय…

द्रोण मानसिकता या अग्रणी शिक्षण संस्थानों में ऑपरेशन एकलव्य

तेरह साल का एक वक्फा़ गुजर गया जब थोरात कमेटी रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। याद रहे सितम्बर 2006 में उसका…

जेलों की भीड़ कम करने के लिए क्यों नहीं हो रहा है आला अदालतों के आदेश का पालन?

आला अदालत के आदेश के बाद भी जेलों की भीड़ क्यों नहीं कम की जा रही है ? वह मार्च…

महान गणितज्ञ रामानुजन की सौवीं पुण्यतिथि पर विशेष: ‘वह शख्स़ जो अनंत जानता था’

वह 1913 का साल था जब श्रीनिवास रामानुजन, नामक मद्रास पोर्ट ट्रस्ट में काम कर रहे साधारण क्लर्क ने, केम्ब्रिज विश्वविद्यालय…

चिकित्सा आपातकाल को राजनीतिक आपातकाल में बदलने की कवायद

आखिर एक अदद समन- जो बुनियादी तौर पर एक कानूनी नोटिस होती है – शहर से सात सौ किलोमीटर दूर…

जनता के स्वास्थ्य के बजाय कार्पोरेट के मुनाफे को केन्द्र में रखने से विकराल हो गया कोरोना का संकट

‘बेला चाओ ! बेला चाओ !! ( Bela Chao )  वह गीत जो कभी 19 वीं सदी की इटली की…

“गांधी के तीन बंदरों में तब्दील हो गए हैं लोकतंत्र के तीनों स्तंभ”

दिल की बीरानी का क्या मज़कूर है यह नगर सौ मर्तबा लूटा गया अदब और आर्ट की दुनिया के नामचीनों…