सुधीर सुमन
संस्कृति-समाज
स्मृति दिवस पर विशेष: एक संस्कृतिकर्मी के बतौर गोरख की रचनाओं से साक्षात्कार
गोरख से व्यक्तिगत रूप से अंतरंग होने का मुझे मौका नहीं मिला। लेकिन उनके गीत और कविताएं ज़रूर मेरे करीब रही हैं। अस्सी के दशक में जब भोजपुर में किसान आंदोलन परवान पर था, उन दिनों आंदोलनकारियों की जुबान...
संस्कृति-समाज
बथानी टोला : ख्वाब कभी नहीं मरते
आज बथानी टोला जनसंहार के चौबीस साल हो गये।1996 में उस नृशंस कत्लेआम के लगभग एक माह बाद मैं बथानी टोला गया था और वहाँ से लेखकों और संस्कृतिकर्मियों के नाम बथानी टोला की गरीब-मेहनतकश जनता द्वारा हस्ताक्षरित एक...
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प्रधानमंत्री की भाषा: सोच और मानसिकता का स्तर
धरती पर भाषा और लिपियां सभ्यता के प्राचीन आविष्कारों में से एक है। भाषा का विकास दरअसल सभ्यता का...