स्मृति दिवस पर विशेष: एक संस्कृतिकर्मी के बतौर गोरख की रचनाओं से साक्षात्कार
गोरख से व्यक्तिगत रूप से अंतरंग होने का मुझे मौका नहीं मिला। लेकिन उनके गीत और कविताएं ज़रूर मेरे करीब रही हैं। अस्सी के दशक [more…]
गोरख से व्यक्तिगत रूप से अंतरंग होने का मुझे मौका नहीं मिला। लेकिन उनके गीत और कविताएं ज़रूर मेरे करीब रही हैं। अस्सी के दशक [more…]
आज बथानी टोला जनसंहार के चौबीस साल हो गये।1996 में उस नृशंस कत्लेआम के लगभग एक माह बाद मैं बथानी टोला गया था और वहाँ [more…]