आग और धुएं के साये में ईश्वर, मनुष्य और मृत्यु की एक समान ख़ामोशी

जब वह विमान अहमदाबाद के आकाश में फटा और आग की लपटों में धरती से टकराया, तब उसमें बैठे सभी…

पत्रकारिता और सत्ता का संबंध: सवाल नहीं, तो पत्रकारिता कहां?

भारत में लोकतंत्र की सफलता इस बात पर भी निर्भर करती है कि पत्रकारिता कितनी स्वतंत्र, निर्भीक और उत्तरदायी है।…

“दमन तब तक होता है, जब तक हम उसे स्वीकार करते हैं”

मशहूर ऐतिहासिक पत्रों में “एक हिन्दू को पत्र” (A Letter to a Hindu) की अपनी ख़ास जगह है। जिस समय…

नेहरू और वैज्ञानिक सोच: हर तरह की विद्रूपताओं के खिलाफ सटीक जंग की दीर्घकालिक रणनीति 

भारत के पहले प्रधानमंत्री,पंडित जवाहरलाल नेहरू केवल एक राजनेता नहीं थे, बल्कि विज्ञान और तर्क की सोच के प्रबल समर्थक…

बलूचिस्तान जितना ही अमीर है, वहां के बाशिंदे उतने ही ग़रीब हैं 

बलूचिस्तान जितना ही अमीर है, वहां के बाशिंदे उतने ही ग़रीब हैं। यह वाक्य पाकिस्तान की संघीय व्यवस्था, आंतरिक उपनिवेशीकरण…

वंशवादी राजनीति, सामंती सामाजिक मानसिकता तथा बिहार की “सामाजिक न्याय” की राजनीति में मौजूद अंतर्विरोध  

तेज प्रताप यादव, लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे हैं और उनकी दो शादियां पुरुष वर्चस्ववाद (Male Chauvinism) को समझने…

सरकार से सवाल करना देश पर उंगली उठाना नहीं होता

एक खामोश जनता शायद वफादार लगे, लेकिन एक सवाल पूछने वाली जनता ही देश को न्यायपूर्ण, आज़ाद और ज़िंदा रखती…

भारत-पाकिस्तान युद्धविराम: चीन-अमेरिका टकराव की छाया में अंतरराष्ट्रीय राजनीति की भूमिका

2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा (LoC) पर युद्धविराम की पुष्टि केवल दोनों देशों की आपसी बातचीत…

झूठ,अफ़वाह, सनसनी और अतिराष्ट्रवाद के तूफ़ानों के बीच दम तोड़ती सच्ची ख़बर 

एक ही साल एक दिन के अंतर पर मिलने वाली आज़ादियों के बाद दोनों देशों के बीच की तनातनी गाहे…

वादियों के गोशे-गोशे से संवाद करती कश्मीर कोकिला हब्बा खातून और उनके गीत 

हब्बा खातून का जीवनकाल 1554 से 1609 तक का था। लगभग यही कार्यकाल मुग़ल बादशाह अकबर का भी था। जिस…