Author: उपेंद्र चौधरी
वादियों के गोशे-गोशे से संवाद करती कश्मीर कोकिला हब्बा खातून और उनके गीत
हब्बा खातून का जीवनकाल 1554 से 1609 तक का था। लगभग यही कार्यकाल मुग़ल बादशाह अकबर का भी था। जिस तरह अकबर की बादशाहत मशहूर [more…]
लल्लेश्वरी: महिला स्वतंत्रता की अनूठी प्रतीक
लल्लेश्वरी कई नामों से जानी जाती हैं। कोई उन्हें “मां लाल”, कहता है, कोई “मां लल्ला”,तो कई उन्हें लाल द्याद,यानी “लाल दादी” कहता है। लल्लेश्वरी [more…]
क्लारा ज़ेटकिन और महिला दिवस
कल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस था। यह तारीख़ महिलाओं की उपलब्धियों, योगदानों और संघर्षों को सम्मानित करने के लिए समर्पित है। यह तारीख़ [more…]
श्री रामकृष्ण परमहंस: “जतो मत, ततो पथ”, यानी धार्मिक विविधता की स्वीकृति का दर्शन
श्री रामकृष्ण परमहंस (1836–1886) उन्नीसवीं सदी के भारतीय संत और आध्यात्मिक गुरु थे, जिन्होंने सभी धर्मों की एकता पर विशेष ज़ोर दिया। वे मां काली [more…]
हादसों पर रेल मंत्रियों का रुख़ उनकी संवेदनशीलता की शिनाख़्त
15 फ़रवरी की रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भारी भीड़ जमा हो गयी और बदइंतज़ामी ने उस भीड़ को भगदड़ में बदल दिया। दर्जन [more…]
धार्मिक आयोजन और भगदड़: कमजोर भीड़ प्रबंधन और आपातकालीन सेवाओं की कमी का खामियाजा
दुनिया भर के होने वाले धार्मिक आयोजन हर साल अनगिनत श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। लेकिन, बड़े आयोजनों के साथ कई खतरे भी जुड़े होते [more…]
लोकतंत्र और प्रेस कॉन्फ़्रेंस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कार्यकाल के दौरान पारंपरिक प्रेस कॉन्फ़्रेंस बहुत कम करने के लिए जाने जाते हैं। कहा जाता है कि मोदी की संचार [more…]
मूल्यों और प्रगति को बदरंग करता अंधविश्वास,धर्म और आध्यात्मिकता का घालमेल
जितना पुराना धर्म है, उससे कहीं ज़्यादा पुराना शायद अंधविश्वास है। शुरुआत में हर धर्म सही मायने में उस समय के समाज में फैले अंधविश्वास [more…]
हास्य और अश्लीलता के बीच की टूटती बारीक रेखा
हाल ही में यू-ट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया ने एक शो में ऐसा कुछ कहा है कि पूरे देश में सभ्यता संस्कृति, हास्य और व्यंग्य को लेकर [more…]
देशद्रोह के रूप में विरोध और असहमति का दमन शासकों की एक ऐतिहासिक प्रवृत्ति
इतिहास में अक्सर शासकों ने विरोध और असहमति को देशद्रोह के रूप में देखा है ताकि वे अपने शासन को बनाए रख सकें और किसी [more…]