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संस्कृति-समाज

भाषा की गुलामी खत्म किये बिना वास्तविक आज़ादी संभव नहीं

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के लिए आज़ादी का सवाल केवल अंग्रेजों से देश को मुक्त कराना भर नहीं था बल्कि उनके लिए आज़ादी व्यक्ति और समाज [more…]

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बीच बहस

‘स्त्री दर्पण’ ने उठायी स्त्रियों की आवाज़

सोशल मीडिया में जहां रोज स्त्रियों को ट्रोल किया जा रहा है, वहीं स्त्रियों ने अपनी आवाज़  खुद बुलंद करनी शुरू कर दी है और [more…]

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ज़रूरी ख़बर

ढह गया हिंदी-उर्दू के बीच का एक पुल

हिंदी और उर्दू के बीच पुल बनाने वाले अब बहुत कम लेखक रह गए हैं। अली जावेद उन लेखकों की मानो अंतिम कड़ी थे। हिंदुस्तान [more…]

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बीच बहस

इतिहास को बदलने की मोदी की नाकाम कोशिश

भारतीय जनता पार्टी जब भी सरकार में आती है, वह न केवल इतिहास से छेड़छाड़ करती है, बल्कि वह पाठ्यक्रमों में भी बदलाव करती है [more…]

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लेखक

हिंदी रंग आलोचना के शिखर पुरुष नेमिचन्द्र जैन की रचनावली का प्रकाशन एक ऐतिहासिक घटना

नेमि जी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। कम्युनिस्ट पार्टी से लेकर इप्टा आंदोलन में सक्रिय रहे नेमि जी कवि, आलोचक  रंग चिंतक  संपादक  नाटक कार [more…]

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ज़रूरी ख़बर

दूरदर्शन पत्रकार सुधांशु ने तीस साल बाद जीती कानूनी लड़ाई, सुप्रीम कोर्ट ने मंत्रालय पर लगाया एक लाख जुर्माना

(पत्रकारिता पेशे  के बारे में कई बार  कहा जाता है “यहां तो चराग तले अंधेरा है”। यानि जो  पत्रकार दिन रात दूसरों के हक के [more…]

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ज़रूरी ख़बर

शब्दों की रौशनी से मिली आज़ादी कहां गई?

लाल किले के प्राचीर से हर साल देश के प्रधानमंत्री 15 अगस्त को इस बात का बखान करते हैं कि अब हम आज़ाद देश हैं [more…]

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बीच बहस

सदन में किसी की हत्या हो जाए तो आश्चर्य मत कीजिएगा!

मीडिया बार-बार संसद की अराजकता का फुटेज दिखाता है पर वह यह नहीं बताता कि मोदी के कार्यकाल में यह क्यों हो रहा। क्या मोदी [more…]

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संस्कृति-समाज

जयंती पर विशेष: प्रेमचंद की परम्परा एक सामूहिक प्रगतिशील परम्परा थी

जिस प्रेमचन्द के निधन पर उनके मुहल्ले के लोगों ने कहा कि कोई मास्टर था जो मर गया, जिस प्रेमचन्द की  अत्येंष्टि  में दस बारह [more…]

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बीच बहस

महामहिम का दुखड़ा

इस संसार में सबका  दुखड़ा अलग-अलग है। एक गरीब आदमी के बेरोजगार का दुखड़ा तो समझ में आता है अगर महामहिम अपना दुखड़ा पेश करेंगे [more…]