संत लेखिका थीं मन्नू भंडारी

हिंदी में प्रभामण्डल वाले चमकदारऔर हाई प्रोफाइल लेखक तो बहुत हुए हैं पर ऐसे लेखक बहुत कम हुए हैं जो…

पुण्यतिथि पर विशेष: क्या राजेन्द्र यादव का सही मूल्यांकन होना बाकी है?

आज से करीब 50 साल से भी पहले प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मारियो पूजो की बहुचर्चित किताब” गॉडफादर” आयी थी जो…

भाषा की गुलामी खत्म किये बिना वास्तविक आज़ादी संभव नहीं

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के लिए आज़ादी का सवाल केवल अंग्रेजों से देश को मुक्त कराना भर नहीं था बल्कि उनके…

‘स्त्री दर्पण’ ने उठायी स्त्रियों की आवाज़

सोशल मीडिया में जहां रोज स्त्रियों को ट्रोल किया जा रहा है, वहीं स्त्रियों ने अपनी आवाज़  खुद बुलंद करनी…

ढह गया हिंदी-उर्दू के बीच का एक पुल

हिंदी और उर्दू के बीच पुल बनाने वाले अब बहुत कम लेखक रह गए हैं। अली जावेद उन लेखकों की…

इतिहास को बदलने की मोदी की नाकाम कोशिश

भारतीय जनता पार्टी जब भी सरकार में आती है, वह न केवल इतिहास से छेड़छाड़ करती है, बल्कि वह पाठ्यक्रमों…

हिंदी रंग आलोचना के शिखर पुरुष नेमिचन्द्र जैन की रचनावली का प्रकाशन एक ऐतिहासिक घटना

नेमि जी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। कम्युनिस्ट पार्टी से लेकर इप्टा आंदोलन में सक्रिय रहे नेमि जी कवि, आलोचक …

दूरदर्शन पत्रकार सुधांशु ने तीस साल बाद जीती कानूनी लड़ाई, सुप्रीम कोर्ट ने मंत्रालय पर लगाया एक लाख जुर्माना

(पत्रकारिता पेशे  के बारे में कई बार  कहा जाता है “यहां तो चराग तले अंधेरा है”। यानि जो  पत्रकार दिन…

शब्दों की रौशनी से मिली आज़ादी कहां गई?

लाल किले के प्राचीर से हर साल देश के प्रधानमंत्री 15 अगस्त को इस बात का बखान करते हैं कि…

सदन में किसी की हत्या हो जाए तो आश्चर्य मत कीजिएगा!

मीडिया बार-बार संसद की अराजकता का फुटेज दिखाता है पर वह यह नहीं बताता कि मोदी के कार्यकाल में यह…