स्मृतिशेष : अमरीक तुम देश छोड़ने को कह रहे थे, दोस्त ! ये क्या किया, तुमने तो दुनिया ही…

जनपक्षधर, जुझारू जर्नलिस्ट और हिंदी-उर्दू-पंजाबी अदब के शैदाई अमरीक अब इस दुनिया में नहीं रहे। बीते शनिवार यानी 5 अक्टूबर…

अभिनव क़दम: भारतीय किसान और उनकी समस्याओं पर दस्तावेज़ी अंक

जयप्रकाश ‘धूमकेतु’ के संपादन में बीते ढाई दशक से निरंतर निकल रही ‘अभिनव क़दम’, हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील विचारों की…

स्मृति दिवस विशेष: असद की यादों में सज्जाद ज़हीर

बन्ने भाई उन लोगों में से हैं, जिनका आदमी एहतिराम ही एहतिराम कर सकता है। एक मक़सद के लिए ज़िंदगी…

स्मृति दिवस विशेष: फ़िक्र तौंसवी का लेखन, एक बेहतर समाज बनाने की फ़िक्र से निकला है

आम धारणा यह है कि उर्दू ज़बान मुसलमानों की भाषा है और यह ज़बान कहीं और से हिंदुस्तान आई है।…

जन्मदिवस विशेष: थोड़े में बहुत कुछ कहने वाला अफसानानिगार राजिंदर सिंह बेदी

उर्दू अफ़्सानवी अदब बात हो, और वह राजिंदर सिंह बेदी के नाम के ज़िक्र के बिना ख़त्म हो जाए, ऐसा…

पुस्तक समीक्षा: ‘अधूरे’ एक रूपक है, इंसानी ज़िंदगी के अधूरेपन का

‘अधूरे’ तेलुगु कहानी संग्रह है, जिसका हिंदी अनुवाद डॉ. एस.के. साबिरा ने किया है। संग्रह की सारी कहानियां मुस्लिम विमर्श…

जन्मदिवस विशेष: रशीद जहां का अदबी, समाजी और सियासी जहान

डॉ. रशीद जहॉं तरक़्क़ीपसंद तहरीक का वह उजला, चमकता और सुनहरा नाम है, जो अपनी सैंतालिस साल की छोटी सी…

स्वतंत्रता दिवस विशेष: जब लेखकों-कलाकारों ने अवाम में जगाया आज़ादी का अलख

देश की आज़ादी लाखों-लाख लोगों की क़ुर्बानियों का नतीजा है। जिसमें लेखक, कलाकारों और संस्कृतिकर्मियों ने भी अपनी बड़ी भूमिका…

स्मृति शेष: अपने हाकिम की फ़क़ीरी पर तरस आता है-राहत इंदौरी

राहत इंदौरी बेहद आन-बान और शान वाले शायर थे। पूरे तीन दशक तक मुशायरों में उनकी बादशाहत क़ायम रही। एक…

प्रेमचंद के साहित्य में प्रतिरोध के स्वर

हिन्दी-उर्दू साहित्य में कथाकार प्रेमचंद का शुमार, एक ऐसे रचनाकार के तौर पर होता है, जिन्होंने साहित्य की पूरी धारा ही बदल…