ज़ाहिद खान
संस्कृति-समाज
रावण मर गया !
बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक त्योहार 'विजयादशमी' हर साल पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। दशहरे से पहले कई जगह 'रामलीला' होती है। एक दौर था, जब 'रामलीला' सभी के आकर्षण का केन्द्र हुआ करती...
संस्कृति-समाज
जन्मदिन विशेष: फ़ांसी की सजा से भी बेखौफ रहे अशफ़ाक़उल्ला ख़ां
अक्टूबर महीने की 22 तारीख़ वतनपरस्त-सरफ़रोश-इंक़लाबी अशफ़ाकउल्ला ख़ां की यौम-ए-पैदाइश है। मुल्क की आज़ादी के लिए जिन्होंने सत्ताईस साल की कम-उम्री में ही अपनी जां-निसार कर दी थी। मादर-ए-वतन पर उन जैसे सैकड़ों इंक़लाबियों की कु़र्बानियों का ही नतीजा...
संस्कृति-समाज
जन्मदिवस पर विशेष: इंक़लाब, तब्दीली और उम्मीद के शायर मजाज़
दीगर शायरों की तरह मजाज़ की शायराना ज़िंदगी की इब्तिदा, ग़ज़लगोई से हुई। शुरुआत भी लाजवाब हुई,
तस्कीन-ए-दिल-ए-महज़ूं न हुई वो सई-ए-करम फ़रमा भी गए
इस सई-ए-करम को क्या कहिए बहला भी गए तड़पा भी गए
इस महफ़िल-ए-कैफ़-ओ-मस्ती में इस अंजुमन-ए-इरफ़ानी में
सब...
संस्कृति-समाज
भारतीय साहित्य के निर्माता शैलेन्द्र: जीते जी जलने वाले, अंदर भी आग जला
साल 2023 कवि-गीतकार शैलेन्द्र की जन्मशती है। ‘तू ज़िंदा है, तो ज़िंदगी की जीत में यक़ीन कर’, ‘हर ज़ोर ज़ुल्म की टक्कर में’, ‘क्रांति के लिए उठे क़दम’ जैसे इंक़लाबी गीतों की वजह से उनकी पहचान जनकवि की है।...
पहला पन्ना
एहतिजाज की बुलंद आवाज़ नरगिस मोहम्मदी को नोबेल शांति पुरस्कार
एहतिजाज की आवाज़ बुलंद करने वाली ईरानी मानवाधिकार कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को साल 2023 के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजे़ जाने का ऐलान एक ऐसे वक़्त में हुआ है, जब दुनिया के कई बड़े मुल्कों में दक्षिणपंथी...
संस्कृति-समाज
जन्मदिवस पर विशेष: बेगम अख़्तर के बग़ैर ग़ज़ल अधूरी है
वे सरापा ग़ज़ल थीं। उन जैसे ग़ज़लसरा न पहले कोई था और न आगे होगा। ग़ज़ल से उनकी शिनाख़्त है। ग़ज़ल के बिना बेगम अख़्तर अधूरी हैं और बेगम अख़्तर बग़ैर ग़ज़ल। देश-दुनिया में ग़ज़ल को जो बे-इंतिहा मक़बूलियत...
संस्कृति-समाज
दीगर शायरों से ज़ुदा, बेहद ख़ास और बग़ावती तेवर वाले थे मजरूह सुल्तानपुरी
1 अक्टूबर, 1919 यही वो तारीख है जब तरक़्क़ीपसंद शायर मजरूह सुल्तानपुरी का जन्म हुआ था। तरक़्क़ीपसंद तहरीक के शुरुआती दौर का अध्ययन करें, तो यह बात सामने आती है कि तरक़्क़ीपसंद शायर और आलोचक ग़ज़ल विधा से मुतमईन...
संस्कृति-समाज
अदाकार देव आनंद का जन्मदिवस और साल 2023 जन्मशती वर्ष
मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया, हर फ़िक्र को धुएं में उड़ाता चला गया’’, फ़िल्म ‘हम दोनों’ में देव आनंद पर फ़िल्माया गया यह नग़मा, जैसे उनका खु़द का बयान है। यह उनकी ज़िंदगी के फ़लसफ़े को दर्शाता...
संस्कृति-समाज
‘ज़ब्तशुदा साहित्य’ पर उत्तर प्रदेश पत्रिका का एक अभिनव विशेषांक
साल 2022 में हमने आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया। 15 अगस्त, 2021 से शुरू हुए देशव्यापी आयोजन, इस साल जाकर अपने समापन पर पहुंचे हैं। इस दरमियान तमाम देश भर के पत्र-पत्रिकाओं ने आज़ादी के आंदोलन और हमारे स्वतंत्रता...
संस्कृति-समाज
जन्मदिवस पर विशेष: अपने जीते जी गाथा पुरुष बन गए हबीब तनवीर
बीसवीं सदी के चौथे दशक में मुल्क के अंदर तरक़्क़ी-पसंद तहरीक अपने उरूज पर थी। इप्टा के नाटक अपनी सामाजिक प्रतिबद्धता और सरोकारों के चलते पूरे मुल्क में मक़बूल हो रहे थे। इप्टा से जुड़े हुये अदाकर-निर्देशकों ने हिंदोस्तान...
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अपरेंटिसशिप गारंटी योजना भारतीय युवाओं के लिए वाकई गेम-चेंजर साबित होने जा रही है
भारत में पिछले चार दशकों से उठाए जा रहे मुद्दों में बेरोजगारी 2024 में प्रमुख समस्या के रूप में सबकी नजरों में है। विपक्षी दल कांग्रेस युवाओं के रोजगार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं भाजपा के संकल्प पत्र में ठोस नीतिगत घोषणाएँ नहीं हैं। कांग्रेस हर शिक्षित बेरोजगार युवा को एक वर्ष की अपरेंटिसशिप और 1 लाख रूपये प्रदान करने का प्रस्ताव रख रही है।