हिन्दी-उर्दू साहित्य में कथाकार प्रेमचंद का शुमार, एक ऐसे रचनाकार के तौर पर होता है, जिन्होंने साहित्य की पूरी धारा ही बदल…
नाटक ‘नबान्न’ और ‘जबानबंदी’ के सर्जक- बिजोन भट्टाचार्य
‘नबान्न’ और ‘जबानबंदी’ भारतीय जन नाट्य संघ के आरंभिक दिनों के नाटक हैं, जिनसे इप्टा को पूरे देश में एक…
जन्म दिवस विशेष: ‘अंगारे’ के अहम अफ़साना निगार अहमद अली
हिंदुस्तानी अदब में प्रोफ़ेसर अहमद अली की पहचान ‘अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ’ के संस्थापक सदस्य और ‘अंगारे’ के अफ़साना…
जनकवि नागार्जुन जन्म दिवस विशेष: ‘जनकवि हूं साफ़ कहूंगा क्यों हकलाऊं’
‘जनता पूछ रही क्या बतलाऊं, जनकवि हूं साफ़ कहूंगा क्यों हकलाऊं।’ ये पंक्तियां बाबा नागार्जुन की कविता की हैं। इसमें…
तृप्ति मित्रा : इप्टा के इब्तिदाई दौर की अदाकारा
तृप्ति मित्रा, भारतीय जन नाट्य संघ यानी इप्टा से इब्तिदाई दौर में जुड़ने वाली अदाकारा में से एक हैं। जिन्होंने…
उद्भावना नेहरू विशेषांक: गालियां खा के बेमज़ा न हुआ
‘उद्भावना’, हिन्दी-उर्दू साहित्य पर केन्द्रित एक वैचारिक पत्रिका है। मैंने इसमें ‘उर्दू साहित्य’ का समावेश इसलिए किया है कि ‘उद्भावना’…
फ़िल्म निर्देशक मृणाल सेन का जन्मदिवस: हमें निरंतर इतिहास का पुनर्निरूपण करते रहना चाहिए
भारतीय सिनेमा में मृणाल सेन एक ऐसे निर्देशक हुए हैं, जिन्होंने अपनी प्रयोगशील और समाजी-सियासी तौर पर प्रतिबद्ध फ़िल्मों से…
मजनूं गोरखपुरी की शख़्सियत एक संस्था की हैसियत रखती थी
मजनूं गोरखपुरी की शख़्सियत एक संस्था की हैसियत रखती थी तरक़्क़ीपसंद तहरीक में मजनूं गोरखपुरी का नाम बड़े अदब के साथ…
पुस्तक समीक्षा: लोक शाहीर अण्णा भाऊ साठे की संघर्षमय ज़िंदगी और अदबी कारनामे
अण्णा भाऊ साठे की पहचान एक लोक शाहीर की है। जिन्होंने ‘स्टालिनग्राड’ ‘तेलंगणा’ जैसे जोशीले पंवाड़े और तमाशे रचे। ‘अकलेची…
स्मृति शेष: सत्यजीत राय- वह जीनियस फ़िल्मकार जिसने पहली फिल्म से इतिहास रचा
सत्यजित राय देश के ऐसे फ़िल्मकार हैं, जिनकी पहली ही फ़िल्म से उन्हें एक दुनियावी शिनाख़्त और बेशुमार शोहरत मिली।…