Friday, April 26, 2024

गिरफ्तारी के बाद 6 नवंबर तक के लिए पुलिस कस्टडी में भेजी गयीं सुधा भारद्वाज

गिरफ्तारी के बाद

नई दिल्ली। गिरफ्तारी के बाद पुणे की एक कोर्ट ने एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज को 6 नवंबर तक के लिए पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। पुलिस उन्हें फरीदाबाद स्थित उनके घर से गिरफ्तार कर पुणे ले गयी थी। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर पुनर्विचार के लिए 26 सितंबर को दायर याचिका को खारिज कर दिया था।

गौरतलब है कि भीमा-कोरेगांव मामले में पुलिस ने पांच एक्टिविस्टों को गिरफ्तार किया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत देते हुए घर में ही नजरबंद रखने का आदेश दिया था। लेकिन अपने आखिरी फैसले में उसने नजरबंदी को चार हफ्ते के लिए बढ़ाकर इन सभी को अपने-अपने तरीके और संबंधित न्यायलयों से राहत हासिल करने की छूट दे दी थी। एक्टिविस्ट वर्नन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा पहले ही पुलिस कस्टडी में भेजे जा चुके हैं। जबकि गौतम नवलखा को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत मिल गयी है। और वरवर राव को भी आंध्र प्रदेश के हाईकोर्ट ने एक महीने का एक्सटेंशन दिया है।

इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से आयी खबर में बताया गया है कि भारद्वाज के वकील सौतिक बनर्जी के मुताबिक “उनकी 28 अगस्त को ही गिरफ्तारी हो गयी थी। लेकिन उनके घर में नजरबंदी के चलते उन्हें 28 अक्तूबर को ही कस्टडी में लिया जा सका।…अब पुणे पुलिस ने उन्हें अपनी कस्टडी में ले लिया है। ये कोई ताजी गिरफ्तारी नहीं है।”

हालांकि पुलिस टीम शुक्रवार को रात में ही भारद्वाज के घर पहुंच गयी थी लेकिन उनको शनिवार को दोपहर में गिरफ्तार किया गया। जब सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर के फैसले पर पुनर्विचार करने से इंकार कर दिया और उसके लिए दायर की गयी याचिका को भी खारिज कर दिया।

पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए जीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने कहा कि “हम लोगों ने याचिका और उसके समर्थन में दिए गए तर्क को ध्यान लगाकर पढ़ा। हम लोगों के विचार में 28 सितंबर 2018 के फैसले पर पुनर्विचार का कोई केस नहीं बनता है। इसके साथ ही पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जाती है।” लेकिन आदेश शनिवार को वेबसाइट पर अपलोड किया गया।

इसके पहले फरेरा और गोन्जाल्विस की पुलिस रिमांड की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील उज्जवला पवार ने कोर्ट के सामने कहा कि दोनों मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय जैसी उच्च शिक्षण संस्थाओं को युवाओं को सीपीआई माओवादियों के लिए भर्ती करते रहे हैं। और उन्हें इंटीरियर इलाकों में तैनात करते हैं। भारद्वाज की कस्टडी की मांग के क्रम में उन्होंने कहा कि भारद्वाज भी सीपीआई माओवादी की सक्रिय सदस्य थीं। पुलिस को उनसे उनकी गतिविधियों के बारे में पूछताछ करनी है।

भारद्वाज, गोंजाल्विस और फरेरा को गौतम नवलखा और वरवर राव के साथ इस साल के 28 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था। उन पर सीपीआई माओवादियों से संपर्क का आरोप लगाया गया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें उनके घर में ही 26 अक्तूबर तक के लिए नजरबंद कर दिया था।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles