Friday, March 29, 2024

पाटलिपुत्र की जंगः बीजेपी ने रोजगार की पिछली घोषणा पूरी नहीं की, अब 19 लाख का नया वादा

भाजपा की सरकार पिछले साढ़े छह साल से केंद्र की सत्ता में है। वहीं बिहार में भी भाजपा लगभग 13 साल जदयू के साथ सत्ता में भागीदार रही है। केंद्र की सरकार के तौर पर भाजपा ने हर साल दो करोड़ नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन देने को कौन कहे जो जिसके पास था वो भी छीन लिया। बिहार में भाजपा एक तरह से जदयू की तीनों शासनकाल में सहभागी रही है। 2005 और 2010 का चुनाव तो जदयू-भाजपा ने गठबंधन के तहत ही लड़ा था। तो क्यों न भाजपा के पिछले चुनावों के घोषणापत्र पर एक दृष्टि डाल ली जाए।

पिछली बार यानी साल 2015 के बिहार चुनाव में भाजपा ने अपने घोषणापत्र में प्रमुख शहरों में रोजगार मेला लगवाने का वादा किया था। इसके अलावा शहरों की खाली ज़मीनों पर दुकान बनवा कर दुकानें बेरोज़गारों को देने का वादा किया था। बीजेपी जुलाई 2017 से 2020 तक करीब साढ़े तीन साल सत्ता में रही है, लेकिन पिछले साढ़े तीन साल में बिहार के कितने शहरों में कितने रोजगार मेले लगवाए गए और कितनी दुकानें बनवाकर बेरोज़गारों को दीं भाजपा-जदयू सरकार ने?

छात्रों को लैपटॉप, गांवों को बारहमासी सड़कों से जोड़ कर हर गांव तक पक्की सड़क देने, गरीब परिवारों को हर साल धोती और साड़ी देने का वादा भाजपा ने किया था। दलितों और महादलितों को रंगीन टीवी देने, शहरों में शुद्ध पानी और स्ट्रीट लाइट देने, मेधावी छात्र-छात्राओं को स्कूटी देने का वादा भी किया था। स्ट्रीट लाइट कितने लगे इसका अंदाजा इस बात से लगाइए कि सरकार को हैदराबाद की स्ट्रीट लाइट वाली सड़क का इस्तेमाल बिहार की बताकर अपने चुनावी इश्तेहार में करना पड़ रहा है। वहीं साल 2010 के बिहार चुनाव के घोषणापत्र में भी भाजपा ने गांवों में गलियों की सड़कें और नालियां बनवाने का वादा किया था।   

मोदी और नीतीश पुल का उद्घाटन करते हुए।

बिहार को सवा लाख करोड़ के पैकेज का वादा भी मोदी का जुमला निकला
आर्थिक, समाजिक शैक्षणिक रूप से पिछड़े और हर साल बाढ़ जैसी आपदा से जूझते रहने वाले बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठती रही है। नीतीश के केंद्र और राज्य में एनडीए सरकार का सहयोगी घटक होने के बावजूद भाजपा की केंद्र सरकार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं दिया? वहीं पिछले बिहार चुनाव के वक्त अगस्त 2015 में पटना में परिवर्तन रैली को संबोधित करते हुए बिहार को सवा लाख करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की घोषणा की थी। साथ ही उसी मंच से नीतीश कुमार का मजाक उड़ाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, “नीतीश कुमार, बिहार को बीमार राज्य कहने पर नाराज़ होते हैं, लेकिन रोज दिल्ली से कुछ न कुछ मांगते रहते हैं।”

मोदी के इस पैकेज ऐलान को ‘राजनीतिक रिश्वत’ कहा गया, लेकिन 2015 में सार्वजनिक मंच से बिहार को सवा लाख करोड़ का पैकेज देने के एलान के बाद आज 2020 अक्तूबर तक भी नहीं मिला। कोरोना काल में भाजपा बिहार में डिजिटल रैली कर रही थी। जून 2020 में ‘बिहार जनसंवाद’ के नाम से एक डिजिटल रैली में गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार के लोगों को सवा लाख करोड़ के उस आर्थिक पैकेज का हवा हवाई हिसाब दिया जो 2015 के विधानसभा के चुनावी मंच से बिहार के लोगों को हवा में दिया था।

अमित शाह ने कहा था कि लगभग 56000 करोड़ बिहार में महामार्ग का निर्माण करने में खर्च किया गया, जबकि ग्रामीण सड़कों के लिए 14 हजार करोड़, रेलवे के लिए 9 हजार करोड़, हवाई अड्डों के लिए 2700 करोड़, पर्यटन के लिए 600 करोड़, कौशल विकास के लिए 1525 करोड़, पेट्रोलियम विकास के लिए 21 हजार करोड़, बिजली के लिए 16 हजार करोड़, शिक्षा के लिए 1000 करोड़, स्वास्थ्य के लिए 6000 करोड़ और डिजिटल बिहार के लिए 450 करोड़ का काम किया गया है। अमित शाह यह भी भूल गए लगभग 80 से 90 हजार करोड़ तो पूरे देश में महामार्ग के निर्माण में खर्च किया जाता है, तो फिर इतना बड़ा हिस्सा जो बिहार को दे दिया वह कोई काल्पनिक हवाई मार्ग बनाने में तो खर्च नहीं हो गया न?

जबकि इस चुनाव में भाजपा के कई विधायकों को उस क्षेत्र के निवासी सड़क के मुद्दे पर ही ‘गो बैक’ कह कर अपने क्षेत्र में घुसने तक नहीं दे रहे हैं। कुछ दिन पहले जदयू विधायक सत्यदेव कुशवाहा को कुर्था गांव में घुसने पर लोगों ने प्रतिबंध लगाया है, क्योंकि वो 10 साल विधायक रहे पर सड़क नहीं बनी। तो केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को लोगों ने काले झंडे दिखा कर विरोध किया। वहीं कल गोपालगंज में प्रचार के लिए निकले भाजपा विधायक के काफिले पर लोगों ने पथराव किया। चार दिन पहले बांकीपुर में भाजपा विधायक को बिजली-सड़क के मुद्दे पर जनता के गुस्सा का सामना करना पड़ा। इससे पहले सितंबर में दरभंगा शहर सीट से चार बार के भाजपा विधायक संजय सरवागी के खिलाफ भी जनता ने गो बैक के नारे लगाए थे।

हैदराबाद की स्ट्रीट लाइट को मुजफ़्फ़रपुर की क्यों बतानी पड़ रही

अमित शाह ने कहा था कि 16 हजार करोड़ रुपये बिहार में बिजली पर खर्च किए गए हैं, जबकि मुजफ्फरपुर भाजपा प्रत्याशी सुरेश शर्मा के एक चुनावी इश्तेहार, जिसमें मोदी की फोटो भी छपी है, में हैदराबाद की स्ट्रीट लाइट से जगमग करती एक सड़क को मुजफ्फ़रपुर की बताकर दिखाया गया है। मुजफ्फरपुर विधानसभा क्षेत्र के अपने उम्मीदवार के लिए भाजपा के पोस्टर में एलईडी लाइट्स से जगमग करती हुई एक सड़क की तस्वीर है, और पीएम मोदी के हवाले से बताया गया है कि मुजफ्फरपुर में सड़कें इसलिए जगमगा रही हैं, क्योंकि वहां 17,554 स्ट्रीट लाइट लगा दी गई हैं!

भाजपा ने बिहार चुनाव में जमीन पर भले ही कुछ न किया हो, लेकिन चुनावी भाषणों और फोटोशॉप से बने चुनावी इश्तेहारों में बिहरा को जगमग कर दिया है। देखते हैं अपनी काठ की हांडी को भाजपा बिहार के लोगों के चूल्हे पर और कितनी बार चढ़ाती है। 

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव का लेख।)

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