Saturday, April 20, 2024

किसी को याद आ रही है 60 की नेहरू जी की यात्रा तो कोई कर रहा है सुनील दत्त की 87 की ऐतिहासिक पंजाब यात्रा को याद 

राहुल गांधी की अगुवाई में जारी भारत जोड़ो यात्रा का पंजाब सफर यकीनन बेहद कामयाब हो रहा है और राहुल खुले दिल के लिए जग प्रसिद्ध पंजाबियों का दिल शिद्दत के साथ जीत रहे हैं। रविवार दोपहर बाद और सोमवार की दोपहर तक भारत जोड़ो यात्रा जालंधर से गुजरी। अब काफिला जिला होशियारपुर की तरफ बढ़ रहा है। वहां भी लोग बेताबी के साथ यात्रा का इंतजार कर रहे हैं। अहम बात यह कि पंजाब की पिछली पीढ़ियों के लोगों को राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा ने प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और अभिनेता एवं समाजसेवी दिवंगत सुनील दत्त की ऐतिहासिक पंजाब यात्राएं याद दिला दीं।                                                  

गौरतलब है कि प्रथम प्रधानमंत्री और राहुल गांधी के पूर्वज पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1960 में पंजाब के विभिन्न शहरों में राष्ट्रीय एकजुटता के लिए इसी तर्ज पर पैदल यात्रा की थी और जालंधर उस वक्त पंडित जी का अहम पड़ाव था। तकरीबन 82 साल के उजागर सिंह को बखूबी वह यात्रा याद है। वह कहते हैं कि, “पंडित जवाहरलाल नेहरू इसी तरह जालंधर की सड़कों पर चले थे। विभिन्न समुदायों, वर्गों और जातियों के लोगों ने उनके साथ बड़ी तादाद में कदमताल किया था। तब जालंधर महानगर तो नहीं बना था लेकिन उसकी सीमाएं लुधियाना, अमृतसर, कपूरथला और होशियारपुर को छूती थीं। इन शहरों के लोग भी पंडित जवाहरलाल नेहरु की पद यात्रा के साथ-साथ चले थे, जैसे अब राहुल गांधी के साथ चल रहे हैं। कई मायनों में 1960 और 2023 की पद यात्राओं में समानता है।” कांग्रेस के 82 वर्षीय बुजुर्ग कार्यकर्ता किशोरी लाल के अनुसार 1960 की अपनी यात्रा के दौरान नेहरू जी हर तबके से मिले थे और यही अब राहुल गांधी ने किया।                   

1987 में पंजाब आतंक ग्रस्त था। तब कांग्रेस में शामिल प्रसिद्ध अभिनेता एवं फिल्मकार सुनील दत्त ने अमन और सद्भाव के लिए अमृतसर तक की पैदल यात्रा की थी और जालंधर भी उनका एक महत्वपूर्ण पड़ाव था। सुनील दत्त की वह यात्रा भी भारत जोड़ो यात्रा की तर्ज पर थी और जालंधर में उसे अति उत्साहवर्धक समर्थन हासिल हुआ था। अब कांग्रेसी सांसद, सुनील दत्त की बेटी प्रिया दत्त भी अमृतसर तक जाने वाली पद यात्रा में शामिल थीं। सुखदेव सिंह रंधावा ने इस पद यात्रा में अपने अनेक साथियों सहित शिरकत की थी। 

वह बताते हैं, “मैंने तब सुनील दत्त की यात्रा देखी थी और उसमें हिस्सा लिया था और अब राहुल गांधी की यात्रा भी देखी और उसमें भी हिस्सा लिया। दोनों यात्राओं के मूल संदेश आपसी भाईचारे के हैं। सुनील दत्त को भी जालंधर में जबरदस्त समर्थन मिला था और राहुल गांधी को भी ऐतिहासिक समर्थन मिला है। बेहिचक कहा जा सकता है कि भारत जोड़ो यात्रा कि कामयाब अगुवाई करने वाले राहुल गांधी ने पंजाब में एक नया इतिहास बनाया है और वह सदैव अमिट रहेगा।”                                  

जालंधर में देखने को मिला कि एनआरआई (अप्रवासी) भारतीय पंजाबी, अमीर कारोबारी, श्रमिक, छात्र और महिलाएं भी राहुल गांधी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलें। स्थानीय सांसद चौधरी संतोख सिंह के आकस्मिक निधन के चलते यात्रा में अपेक्षाकृत सादगी तो आ गई लेकिन हासिल समर्थन में लगातार इजाफा होता रहा।                                        

भारत जोड़ो यात्रा के सह यात्रियों में से कई ऐसे हैं जो पहले ही दिन से राहुल गांधी के साथ चल रहे हैं। केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी के सुपुत्र इन्हीं में शुमार हैं। वह पहले दिन से लेकर अब तक राहुल गांधी के साथ पैदल यात्रा कर रहे हैं और अहम बात यह है कि वह जूते-चप्पल पहने बगैर, नंगे पांव प्रतिदिन का सफर तय करते हैं। चांडी ने बताया कि उन्होंने प्रण लिया हुआ है कि वह ऐसे ही कश्मीर तक जाएंगे। यात्रा कश्मीर में खत्म होगी। 26 जनवरी को लाल चौक में तिरंगा झंडा फहराया जाएगा और यात्रा का अंतिम दिन 30 जनवरी होगा। उसके बाद चांडी जूते पहनेंगे।                                            

राहुल गांधी के साथ पहले दिन से ही एक और शख्स चर्चा का विषय है। वह हैं रामनारायण। कन्याकुमारी से भारत जोड़ो यात्रा के सहयात्री हैं। जिक्रेखास है कि वह विकलांग हैं और व्हीलचेयर के सहारे सैकड़ों किलोमीटर का रास्ता राहुल गांधी के साथ तय कर चुके हैं। राहुल गांधी ने कई बार उनसे वापस जाने के लिए कहा लेकिन वह बाजिद रहे कि अंतिम पड़ाव तक भारत जोड़ो यात्रा तथा राहुल गांधी के साथ रहेंगे।      

इसी मानिंद दिव्यांग नौजवान अनिल कुमार कन्याकुमारी से शुरू हुई भारत जोड़ो यात्रा के साथ पहले दिन से ही हैं। उन्होंने कहा कि कुछ भी हो जाए, वह अंतिम दिन तक यात्रा के साथ ही रहेंगे। 77 वर्ष की अमेठी की बुजुर्ग महिला सावित्री देवी भी कन्याकुमारी से भारत जोड़ो यात्रा का हिस्सा बनी हुईं हैं। विश्राम के दौरान राहुल गांधी बाज़रूर उनका हाल-चाल पूछते हैं। रामनारायण और अनिल कुमार का भी। सावित्री देवी को वह मौसी कहते हैं तो राम नारायण और अनिल कुमार को भाई साहब!        

इस तरह की कई मिसालें हैं जो राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा को नायाब बना रही हैं। बदलाव के लिए निकली यात्रा को कामयाब तथा सशक्त भी। बेशक गोदी मीडिया को यह सब नजर नहीं आता तो न आए! परिवर्तन के लिए निकले लोगों को ज़रूर नजर आता है।

(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह की रिपोर्ट।)

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