Thursday, April 25, 2024

उल्टा पड़ गया राशन कार्ड पर यूपी सरकार का दांव

देश में जहां ज्ञानवापी मन्दिर और कुतुबमीनार को लेकर हो हल्ला मचा है वहीं यूपी में राशनकार्ड की पात्रता को लेकर बहस छिड़ी हुई है। यूपी सरकार के नए राशनकार्ड नियमों की चारों तरफ आलोचना की जा रही है। इस बीच यूपी सरकार ने रविवार को यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रदेश में राशन कार्ड सरेंडर करने अथवा उनके निरस्तीकरण के संबध में कोई नया आदेश जारी नहीं किया गया है। राज्य के खाद्य आयुक्त सौरभ बाबू का कहना है कि “प्रदेश सरकार ने राशन कार्ड सरेंडर करने का कोई भी आदेश जारी नहीं किया है।” इसके साथ ना ही उनके निरस्तीकरण की बात कही गई। उनका कहना है राशनकार्ड सत्यापन एक सामान्य प्रक्रिया है जो समय-समय पर चलती रहती है। प्रदेश में 8 साल पुराने नियम ही लागू हैं।

एक नोटिस के माध्यम से वायरल खबरों का खंडन करते हुए इसकी जानकारी खाद्य एवं रसद विभाग के आयुक्त सौरभ बाबू ने दी। उन्होंने लिखा – वर्तमान में राशनकार्ड सत्यापन / निरस्तीकरण हेतु की जा रही कार्यवाही के सम्बन्ध में इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिन्ट मीडिया द्वारा तथ्यों से परे एवम् भ्रामक खबरें प्रकाशित / प्रसारित की जा रही हैं, जो कि आधारहीन एवम् सत्य से परे हैं। प्रकरण में सत्यता यह है कि पात्र गृहस्थी राशनकार्डों की पात्रता/अपात्रता के सम्बन्ध में शासनादेश दिनांक 07 अक्टूबर, 2014 में विस्तृत मानक निर्धारित किए गए हैं। उक्त मानकों का पुनर्निर्धारण वर्तमान में नहीं किया गया है तथा पात्रता/अपात्रता की कोई नवीन शर्त नहीं निर्धारित की गयी है। यह भी स्पष्ट करना है कि सरकारी योजनान्तर्गत आवंटित पक्का मकान, विद्युत कनेक्शन, एक मात्र शस्त्र लाइसेंस धारक, मोटर साइकिल स्वामी, मुर्गी पालन/गौ पालन, ट्रैक्टर ट्राली स्वामी होने के आधार पर किसी भी कार्डधारक को अपात्र घोषित नहीं किया जा सकता है।

यूपी सरकार की तरफ से जारी एक नोटिस में वायरल खबरों का खंडन किया गया

उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 तथा प्रचलित शासनादेशों में अपात्र कार्डधारकों से वसूली जैसी कोई व्यवस्था निर्धारित नहीं की गयी है अतः रिकवरी के सम्बन्ध में प्रसारित की जा रही खबरें पूर्णतयाः भ्रामक एवं असत्य हैं तथा उक्त प्रकार की झूठी खबरों का सुदृढ़ता से खण्डन किया जाता है।

अपात्र राशन कार्डधारियों के लिए क्या थे सरकार के दिशा-निर्देश ?

यूपी सरकार ने जिन लोगों को राशन कार्ड के लिए अपात्र माना था उनके लिए निम्न दिशा-निर्देश जारी किए थे –

1. व्यक्ति या परिवार के पास चार पहिया वाहन, जिसमें कार से लेकर ट्रैक्टर तक को भी शामिल किया गया है।

2. ग्रामीण या शहरी क्षेत्र में 100 वर्ग मीटर में बना पक्का मकान नहीं होना चाहिए।

3. सरकारी कर्मचारी नहीं होना चाहिए।

4. आयकर के दायरे में आने वाले भी राशन कार्ड के लिए अपात्र होंगे।

5. पक्का मकान और जिनके घरों में बिजली का बिल आता है, उन्हें भी अपात्र माना गया है।

6. शहरी क्षेत्र के परिवार की वार्षिक आय 3 लाख से अधिक होने पर राशन कार्ड के लिए अपात्र होंगे।

7. हथियार का लाइसेंस रखने वाले भी राशन कार्ड के लिए अपात्र होंगे।

8. ऐसे परिवार जिनके पास जीविकोपार्जन के लिए कोई आजीविका साधन है, वे भी अपात्र होंगे।

9. मुर्गी पालन, गौ पालन आदि करने वाले भी योजना के दायरे में नहीं आएंगे।

पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने उठाए थे सवाल

इस बीच राशनकार्ड की पात्रता से सम्बंधित न्यूज़ पेपर की कटिंग को शेयर करते हुए पीलीभीत सांसद ने योगी सरकार की ओर से राशनकार्ड धारकों के लिए तय की गई पात्रता को लेकर सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि “जनसामान्य के जीवन को प्रभावित करने वाले सभी मानक अगर ‘चुनाव’ देख कर तय किए जाएंगे तो सरकारें अपनी विश्वसनीयता खो बैठेंगी। चुनाव खत्म होते ही राशनकार्ड खोने वाले करोड़ों देशवासियों की याद सरकार को अब कब आएगी? शायद अगले चुनावों में..!'”

सवाल और भी हैं..

सरकार का यह स्पष्टीकरण लगभग एक सप्ताह बाद सामने आया है। यदि यह मान लें कि कभी-कभार सरकार के साथ भी किंवदंती हो जाती है फिर भी कुछ सवाल हैं। पहला ये कि यदि यूपी सरकार ने राशनकार्ड धारकों के लिए सख़्त नियमावली तैयार नहीं की तब यह खबर मीडिया में फैली कैसे? यदि यह मान भी लिया जाए कि मीडिया संस्थानों ने प्रमाणिकता के बिना खबर चलाई तो सरकार को खबर का खंडन करने में एक सप्ताह का समय क्यों लगा? क्या ऐसा नहीं है कि सरकार ने राशनकार्ड धारकों के लिए सख़्त नियमावली बनाई लेकिन जब देखा चारों ओर किरकरी हो रही है तो इसे अपनी ‘फैक्ट चेक मंडली’ के द्वारा फैक्ट चैक करार देकर भ्रामक दावा साबित कर डाला।

अब सवाल उठता है कि क्या राशनकार्ड धारकों के लिए मीडिया रिपोर्ट में जो मानक बताए गए वो ग़लत हैं? यदि मीडिया ने ग़लत बताया तो क्या बिना सरकारी आदेश के आह भरने वाले डीएम की इतनी हैसियत कि बिना राज्य सरकार के आदेश दिए अपनी तरफ से चेतावनी या नोटिस जारी करें। 14 मई 2022 को जारी प्रेस विज्ञप्ति में बांदा के जिलाधिकारी अनुराग पटेल ने जनपद में सवा तीन लाख राशन कार्ड धारकों में जो गरीब बन कर राशन ले रहे हैं, उन्हें चेतावनी देते हुए कहा कि

 “सुविधा संपन्न होने के बावजूद राशन ले रहे कार्ड धारकों को चिन्हित किया जा रहा है। सात दिन के अंदर राशन कार्ड समर्पित नहीं किया तो उनसे बाजार रेट के अनुसार वसूली की जाएगी। साथ ही राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।”

यह आदेश केवल बांदा डीएम ने ही नहीं दिया बल्कि जालौन जिलाधिकारी की तरफ से भी राशनकार्ड वापस करने की चेतावनी दी गई।

जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि, मृतक एवं विस्थापित कार्डधारक, परिवारीजन राशन कार्ड, यूनिटों को समर्पित या निरस्त एक सप्ताह के भीतर करा लें, अन्यथा की स्थिति में जांच में अपात्र पाए जाने की दशा में सम्बन्धित कार्ड धारक, परिवार से 24 रुपए प्रति किलो की दर से गेहूं एवं 32 रुपए प्रति किलो की दर से चावल की वसूली की जाएगी। जिलाधिकारी के निर्देश को देखते हुए 1923 अपात्र लोगों ने राशनकार्ड सरेंडर किए हैं।

( प्रत्यक्ष मिश्रा स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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