लोकसभा चुनाव 2024 के लिए हुए धुआंधार प्रचार के बाद एग्जिट पोल भी सामने आ गए हैं। तमाम चैनलों के एग्जिट पोल में एनडीए की सत्ता में वापसी का अनुमान लगाया गया है जबकि राहुल गांधी ने कहा कि यह एग्जिट पोल नहीं है। इसका नाम ‘मोदी मीडिया पोल’ है, मोदी जी का पोल है, उनका फैंटेसी पोल है। राहुल गांधी ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन को 295+ सीटें मिलेंगी ।
जब एग्जिट पोल की भविष्यवाणियां गलत साबित हुईं:-
2004 लोकसभा चुनाव एग्जिट पोल, बीजेपी की हार, 2014 लोकसभा चुनाव एग्जिट पोल, 2015 बिहार विधानसभा चुनाव एग्जिट पोल. 2015 दिल्ली विधानसभा चुनाव एग्जिट पोल, 2017 यूपी विधानसभा चुनाव एग्जिट पोल तथा 2023 छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव एग्जिट पोल।
इसमें सबसे बड़ा क्लासिक केस 2004 का है जब इंडिया शाइनिंग में एग्जिट पोल में बहुमत के अनुमान के बाद भी गिर गई थी अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार। साल 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में जीत से उत्साहित होकर “इंडिया शाइनिंग” के नारे के साथ जल्द चुनाव कराने का आह्वान किया था। एग्जिट पोल ने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को 240 से 275 सीटों की बढ़त दी, लेकिन वास्तविक परिणाम चौंकाने वाले थे: एनडीए को केवल 187 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने अनुमानों के विपरीत 216 सीटें जीतीं।
लोकसभा चुनाव 2024 के आ चुके हैं। एग्जिट पोल में एजेंसियों भारतीय जनता पार्टी (BJP) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के बहुमत की भविष्यवाणियां की हैं। हालांकि 2009, 2014 और 2019 के एग्जिट पोल्स को देखा जाए तो यह साफ समझ में आता है कि तीनों ही बार एग्जिट पोल में जो अनुमान एनडीए और यूपीए के लिए लगाया गया था, चुनाव नतीजों में वैसा देखने को नहीं मिला। इस बार तमाम चैनलों के एग्जिट पोल में एनडीए की सत्ता में वापसी का अनुमान लगाया गया है।
2024 के एग्जिट पोल्स पर बात करने के साथ ही 2009, 2014 और 2019 में हुए एग्जिट पोल्स में क्या अनुमान लगाया गया था और यह अनुमान कितने सटीक साबित हुए या फेल हो गए, इस बारे में भी जानना जरूरी है।
2009 में कांग्रेस की अगुवाई वाले गठबंधन यूपीए ने सत्ता में वापसी की थी। तब औसत रूप से चार एग्जिट पोल ने यूपीए को कम सीटें मिलने की भविष्यवाणी की थी। एग्जिट पोल्स ने यूपीए को 195 सीटें दी थी और एनडीए को185 लेकिन जब चुनाव के नतीजे आए थे तो यूपीए ने 262 सीटें जीती थी और एनडीए 158 सीटों पर ही आकर रुक गया था। तब कांग्रेस को अकेले 206 सीटें मिली थी जबकि भाजपा को 116 सीटों पर जीत मिली थी।
2014 में आठ एग्जिट पोल्स ने औसत रूप से बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए को 283 सीटें जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए को 105 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था। उस वक्त मोदी लहर की वजह से एनडीए ने 336 सीटें जीती थी जबकि यूपीए सिर्फ 60 सीटों पर आकर रुक गया था। इसमें से बीजेपी ने अकेले 282 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीती थी।
2019 के एग्जिट पोल्स की बात करें तो औसत रूप से 13 एग्जिट पोल ने एनडीए को 306 सीटें और यूपीए को 120 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था। लेकिन जब चुनाव नतीजे सामने आए थे तो एनडीए को 353 सीटें मिली थी जबकि यूपीए 93 सीटें ही जीत पाया था। इसमें से बीजेपी ने 303 और कांग्रेस ने 52 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
2009, 2014 और 2019 के एग्जिट पोल्स को देखा जाए तो यह साफ समझ में आता है कि तीनों ही बार एग्जिट पोल में जो अनुमान एनडीए और यूपीए के लिए लगाया गया था, चुनाव नतीजों में वैसा देखने को नहीं मिला। यह कहा जा सकता है कि एग्जिट पोल्स औसत रूप से फेल ही रहे हैं।
इस बार एग्जिट पोल्स को लेकर जो सबसे चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं, वह पश्चिम बंगाल और ओडिशा से हैं। यहां पर बीजेपी को पिछली बार के मुकाबले कई ज्यादा सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है। इसके अलावा तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में भी बीजेपी का उभार होता दिखाई दे रहा है।
महाराष्ट्र के एग्जिट पोल को देखकर ऐसा लगता है कि यहां पर एनडीए का विजय रथ धीमा पड़ गया है। एग्जिट पोल बताते हैं कि महाराष्ट्र में एनडीए को पिछली बार के मुकाबले इस बार 10 सीटें कम मिल सकती हैं। पिछली बार एनडीए को यहां 41 सीटों पर जीत मिली थी। एग्जिट पोल यह भी कहते हैं कि सीटें कम होने से भी बीजेपी को नुकसान नहीं होने जा रहा है जबकि कांग्रेस की अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन को बिहार, राजस्थान और हरियाणा में बढ़त मिलने की बात कही गई है।
पश्चिम बंगाल में जहां बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच कड़ा चुनावी मुकाबला था, वहां के भी एग्जिट पोल बीजेपी को राहत देने वाले हैं। 42 सीटों वाले पश्चिम बंगाल में तमाम एग्जिट पोल का अनुमान है कि बीजेपी 21 से 30 के बीच सीटें ला सकती है।
ओडिशा में बीजेपी को 17 से 19 सीटें दी हैं । ओडिशा में लोकसभा की कुल 21 सीटें हैं। तमिलनाडु और केरल में अधिकतर एग्जिट पोल ने बीजेपी को एक से चार सीटें मिलने की भविष्यवाणी की है। तमिलनाडु में एनडीए को दो से चार सीटें और केरल में एक से तीन सीटें मिलने का अनुमान लगाया है।
25 सीटों वाले आंध्र प्रदेश में एनडीए गठबंधन के द्वारा क्लीन स्वीप करने का अनुमान एग्जिट पोल्स में लगाया गया है। यहां इंडिया गठबंधन में बीजेपी, टीडीपी और अभिनेता से नेता बने पवन कल्याण की जनसेना शामिल है। एग्जिट पोल्स में यह भी अनुमान है कि पिछली बार 25 में से 22 लोकसभा सीटें जीतने वाली वाईएसआर कांग्रेस दो से चार सीटों के बीच सिमट सकती है।
सभी एग्जिट पोल्स में इस बात का अनुमान लगाया गया है कि टीडीपी को चुनाव में बड़ी बढ़त मिल सकती है और इसकी सहयोगी बीजेपी भी 4 से 6 सीटें जीत सकती है। तेलंगाना में भी बीजेपी के पिछले प्रदर्शन में सुधार होने की बात कही गई है।
कर्नाटक में कुछ महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार मिली थी लेकिन एग्जिट पोल बताते हैं कि पार्टी इस बार यहां 18 से 25 सीटें जीत सकती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में 28 सीटों वाले कर्नाटक में बीजेपी को 25 सीटों पर जीत मिली थी।
उत्तर प्रदेश को लेकर एग्जिट पोल्स का कहना है कि भाजपा यहां 2019 में मिली 62 सीटों के आंकड़े से आगे बढ़ सकती है लेकिन बिहार में बीजेपी-जेडीयू को 6 से 7 सीटों का नुकसान हो सकता है। राजस्थान में पिछले दो लोकसभा चुनाव में बीजेपी वहां की सभी 25 सीटों पर जीत दर्ज करती रही है। यहां भी इंडिया गठबंधन को 5 से 7 सीटों पर जीत मिलने की बात एग्जिट पोल्स में कही गई है। हालांकि मध्य प्रदेश और गुजरात में बीजेपी क्लीन स्वीप कर सकती है, ऐसा अनुमान एग्जिट पोल्स में लगाया गया है।
एग्जिट पोल के आंकड़ों को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने खारिज कर दिया है। उन्होंने इसे मोदी मीडियो पोल बताया है। इसके पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 1 जून को इंडिया गठबंधन के सहयोगियों की बैठक के बाद दावा किया कि उनके गठबंधन को लोकसभा चुनाव में 295 से ज्यादा सीटें मिलने जा रही हैं।
चुनाव परिणाम क्या होंगे यह तो 4 जून को पता लगेगा पर जमीनी हकीक़त में पूरे देश में इंडिया गठबंधन का अंदर करेंट दिखाई पड़ा तथा माहौल 2004 सरीखा दिखा जब सवर्ण वोटर उदासीनता में वोट देने अपने घरों से बहुत कम निकले। राहुल गाँधी ,प्रियंका गांधी,अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव की रैलियों में स्वत:स्फूर्त अपार भीड़ दिखी जबकि सत्ता पक्ष की रैलियों में ढोकर लायी गयी अपेक्षाकृत बेहद कम भीड़ दिखाई पड़ी।
(जे पी सिंह वरिष्ठ पत्रकार एवं कानूनी मामलों के जानकार हैं।)