राहुल गांधी को गुल्लक देना मनोज परमार के लिए पड़ा भारी!    

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हिंदुस्तान में ये क्या हो रहा है जहां एक बच्चे द्वारा अपनी गुल्लक में जमा राशि भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान राहुल गांधी को भेंट करने की सज़ा उसके मां बाप को आत्महत्या के रूप में चुकानी पड़ी।

जाने कितने लोग इस तरह की पीड़ाओं की भेंट चढ़ चुके होंगे। सीहोर जिले की आष्टा की इस घटना में यदि सुसाइड नोट उजागर नहीं होता तो यह सत्य भी सामने नहीं आता।

आजकल लगता है, भारत-सरकार का गुलाम ईडी इस तरह की हरकतों में भी मशगूल हैं कि किस घर में राहुल गांधी की फोटो लगी है यानि उनके समर्थक हैं।

राहुल गांधी को गुल्लक देना और राहुल गांधी की फोटो ने ही परमार दम्पत्ति को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया है। उनके तीन बच्चे अनाथ हो गए हैं। ईडी ने इस दिन उनके इंदौर स्थित चार ठिकानों पर भी छापेमारी की।

आइए, सुसाइड नोट पर पहले नज़र डाल लें। मध्यप्रदेश के आष्टा के रहने वाले छोटे मोटे कारोबारी मनोज परमार और उनकी पत्नी नेहा परमार ने ईडी की दहशत में फांसी लगाकर आत्महत्या की है। यह दिल दहलाने वाली घटना है।

आइए, सुसाइड नोट पर पहले नज़र डाल लें, कारण था कि उनके दो बच्चों ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में उन्हें अपना गुल्लक दिया था। मनोज परमार के तीन बच्चे हैं, बेटी जिया, बेटे जतिन और यश।

जिया चंद रोज़ पहले 18 की हुई है जतिन और यश नाबालिग हैं। जतिन ने बताया है कि, ‘ED वालों ने मानसिक तौर पर मां-पिता पर प्रेशर बनाया था। इस कारण माता-पिता ने सुसाइड किया है। SDOP आकाश अमलकर के मुताबिक, पुलिस को मौके से पांच पेज का सुसाइड नोट मिला है।

उसमें लिखीं प्रमुख बातें इस प्रकार हैं –

5 दिसंबर को ईडी ने सुबह 5 बजे रेड मारी। घर में लगे सारे कैमरे तोड़े। घर की तलाशी ली गई। मेरे घर पर कागज का एक टुकड़ा भी नहीं छोड़ा। दूसरे के 10 लाख रुपए, ज्वैलरी और ओरिजनल दस्तावेज वे लेकर गए हैं। इस दौरान हम सब को एक कमरे में रहने के लिए मजबूर किया।

ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर संजीत कुमार साहू ने इस बीच खूब गाली-गलौज की। मारपीट की। भगवान शिव की मूर्ति को खंडित किया और कहा- भाजपा में होते, तो तुम पर केस नहीं होता।

ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर संजीत कुमार साहू ने मेरे कंधे पर पैर रखा। कहा-अपने बच्चों को भाजपा जॉइन करवा दे। राहुल गांधी के खिलाफ वीडियो बनवा दे।

बिना बयान लिए, खुद से बयान लिख लिए और मेरे हस्ताक्षर भी करवा लिए। घर से मोबाइल फोन और पेपर ले गए। 

अफसर बार-बार बोलते रहे-इतनी धाराएं जोडूंगा कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनने के बाद भी नहीं हटा पाएगा। इसलिए मामला सेटल करो और फ्री हो जाओ। मैंने कहा भी कि परिवार के लोग बेकसूर हैं। लेकिन उन्होंने एक नहीं सुनी।

राहुल गांधी जी से निवेदन है कि मेरे जाने के बाद बच्चों का ख्याल रखना। बच्चों को अकेला मत छोड़ना।’

सच में इस देश में अब प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी के साथ जो हिन्दू हैं वे सब खतरे में है। ये ध्यान रखें।

ये कैसा प्रजातंत्र है जिसमें प्रतिपक्ष के नेता के समर्थकों के प्रति इतनी घृणित कार्रवाई ईडी ने की। खैरियत यह है ये सच प्रतिपक्ष नेता के पास जब पहुंचा वे उन बच्चों से मिले।

‘बच्चों को अकेले मत छोड़ना ‘ राहुल गांधी के लिए लिखे ये शब्द बहुत पीड़ादायक हैं। उन्हें यह आभास हुआ होगा कि उनके जाने के बाद उनके बच्चों को भाजपा के साथ काम न करने के लिए प्रताड़ित होना पड़ेगा।

यह आज घटित तमाम राजनैतिक हत्याओं से भी ज्यादा त्रासद है।

सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में त्वरित संज्ञान लेना चाहिए। समूचे विपक्ष के साथ कांग्रेस से जुड़े तमाम सदस्यों, कांग्रेस से जुड़ी विचारधारा से जुड़े लोगों के लिए यह ख़तरे की घंटी है।

इस मुद्दे पर ईडी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी ज़रूरी है। बच्चों के द्वारा राहुल गांधी को गुल्लक देने की यह सजा भयावह और विद्वेषपूर्ण है। जो संगीन अपराध है।

गौरतलब है कि वर्ष 2017 में आष्टा का पंजाब नेशनल बैंक में करीब छह करोड़ रुपए के फर्जी ऋण का मामला सामने आया था। जिसमें यह मामला आष्टा पुलिस के साथ सीबीआई के हाथ में पहुंचा था। पीएनबी के राजेंद्र मोहन नायर ने वर्ष 2017 में फर्जी ऋण के मामले में पुलिस को शिकायत दर्ज कराई थी।

मृतक मनोज परमार पर घोटाले के आरोप लगे थे। ईडी ने इंदौर और आष्टा में सर्वे की कार्रवाई के दौरान बेनामी दस्तावेज और नकदी जब्त की है। ईडी भोपाल जोनल कार्यालय के अनुसार यह कार्यवाही पीएमएलए 2002 के प्रावधानों के अंतर्गत की गई थी।

यदि आत्महत्या करने वाला आदतन अपराधी था तो सात साल तक उस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। यकायक यह कार्रवाई दुर्भावनावश की गई लगती है। सुसाइड नोट भी यही कहता है। बहरहाल यह एक अनोखी और दुर्भावना पूर्ण दुखद घटना है। ईडी की इस तरह की गतिविधियां संदिग्ध हैं यह विपक्ष को कमज़ोर करने का एक घटक भी हो सकता है।

(सुसंस्कृति परिहार लेखिका और एक्टिविस्ट हैं।)

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