Sunday, September 24, 2023

लखीमपुर खीरी मामले में नवगठित एसआईटी से आईपीएस पद्मजा चौहान का नाम हटाने की मांग

लखीमपुर खीरी की घटना में मारे गए किसानों के मामले की जांच की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश का नाम तय कर दिया है। साथ ही एसआईटी में 3 आईपीएस अधिकारियों को निगरानी के लिए शामिल किया है। अखिल भारतीय किसान महासभा सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का स्वागत करती है और इसे पीड़ितों के अंदर न्याय के प्रति भरोसा जगाने वाला निर्णय मानती है।

परन्तु एसआईटी में शामिल किए गए तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों में से एन पद्मजा चौहान एक विवादास्पद अधिकारी रही हैं। लखीमपुर खीरी जिले में ही अपनी तैनाती के दौरान आईपीएस पद्मजा चौहान किसान आंदोलन के दमन में संलिप्त रही हैं। यही नहीं किसानों, शोषित पीड़ितों व पुलिसिया उत्पीड़न के शिकार लोगों की आवाज उठाने वाले लोकतंत्र के चौथे स्तंभ प्रेस पर भी उन्होंने हमला किया।

इस संबंध में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को लंबी जांच के बाद देश का एक ऐतिहासिक आदेश देना पड़ा। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की 5 सदस्यीय खोजी समिति ने अपनी जांच में पाया कि पद्मजा का व्यवहार आम जनता से ठीक नहीं है। इसीलिए उसने उन्हें कभी भी पब्लिक प्लेस पर पोस्ट ना किए जाने की संस्तुति की। साथ ही इस मामले को राज्यसभा, लोकसभा, विधानसभा और विधान परिषद के पटल पर भी रखने को कहा।

याद रखें, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी लखीमपुर खीरी में उनकी तैनाती के दौरान अमर उजाला पत्रकार समीउद्दीन नीलू का उत्पीड़न करने, उनकी हत्या की कोशिश करने तथा उसमें असफल रहने पर उन्हें फर्जी मुकदमे में जेल भेज देने के मामले की निंदा की। आयोग ने पीड़ित पत्रकार को 5,00,000 रुपया मुआवजे का आदेश भी दिया। इस दौरान एसपी पद्मजा के निर्देश पर आधा दर्जन से अधिक पत्रकारों के खिलाफ विभिन्न थानों में फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली उनके इस कृत्य की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति 2010 में कर चुका है। जिसके खिलाफ पद्मजा अपने सहयोगी पुलिसकर्मियों के माध्यम से हाई कोर्ट से स्थगन आदेश प्राप्त कर अपना प्रमोशन कराने में सफल रही हैं। हाईकोर्ट में यह मामला अभी भी विचाराधीन है।

लखीमपुर तहसील के गुठना बुजुर्ग गांव में जमीन की फर्जी विरासत के खिलाफ और गरीब किसानों की पट्टे की जमीन दिलाने के सवाल पर चले किसान आंदोलन में तत्कालीन एसपी पद्मजा ने आंदोलन की अगुवाई कर रहे अखिल भारतीय किसान महासभा के नेता कामरेड रामदरस, क्रांति कुमार सिंह सहित कई कार्यकर्ताओं पर गैंगस्टर एक्ट लगाया।

neelu-press

यही नहीं एसपी पद्मजा की इन दमनात्मक कार्यवाहियों का विरोध करने पर तराई के चर्चित किसान नेता अलाउद्दीन शास्त्री, ऐपवा की तत्कालीन राज्य सचिव अजंता लोहित (अब दोनों दिवंगत) सहित दर्जनों किसान कार्यकर्ताओं को जेल भेज दिया गया। इसके अलावा बुलंदशहर और बदायूं में तैनाती के दौरान भी उनका कार्यकाल विवादों में रहा।

अखिल भारतीय किसान महासभा का कहना है कि खुद लखीमपुर खीरी में अपने कार्यकाल में किसानों-पत्रकारों का दमन करने वाली आईपीएस अधिकारी का लखीमपुर खीरी कांड की जांच के लिए बनी एसआईटी में रहना कहीं से भी न्यायसंगत नहीं है।

neelu-nhrc

इस लिए किसान महासभा की मांग है कि या तो आईपीएस पद्मजा चौहान खुद ही लखीमपुर खीरी कांड की एसआईटी से अपना नाम वापस ले लें, अन्यथा सुप्रीम कोर्ट उनकी जगह किसी और अविवादित अधिकारी का नाम राज्य सरकार से मांगे।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles

दिवस विशेष 24 सितंबर पूना पैकट: एक पुनर्मूल्यांकन

भारतीय हिन्दू समाज में जाति को आधारशिला माना गया है। इस में श्रेणीबद्ध असमानता...