शाहीन बाग़ से सुप्रीम कोर्ट को लिखे जा रहे हैं ख़त

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शाहीन बाग़ में उम्मीदों और आशंकाओं के बीच झूलते लोग हर तदबीर आज़मा लेना चाहते हैं। उनका सबसे बड़ा आसरा भारतीय संविधान ही है जिसका वे वास्ता दे रहे हैं और जिसके सहारे गुहार भी लगा रहे हैं। शाहीन बाग़ से सुप्रीम कोर्ट को एक लाख पोस्ट कार्ड्स भेजने का अभियान भी चलाया जा रहा है।

26 जनवरी को सुबह देश का झंड़ा फहराने के लिए शाहीन बाग़ में जो भारी जनसमूह इकट्ठा हुआ था, वह छंटते-छंटते भी देर रात तक विशाल ही था। मुख्य मंच की गतिविधियों के अलावा भी अनेक स्वतंत्र गतिविधियां देर रात तक ज़ारी थीं। मसलन, गीत, नुक्कड़ नाटक, नारे, तिरंगे फहराना, चेहरों पर राष्ट्रीय ध्वज के रंग रंगवाना, लाइब्रेरी में किताबें पढ़ना वगैराह।

इसी सब के बीच कुछ युवा लोगों को पोस्ट कार्ड्स बांट रहे थे और सीएए, एनपीआर-एनसीआर आदि के बारे में अपने मन की बात लिखकर छोड़ने के लिए कह रहे थे। इन पोस्ट कार्ड्स पर पोस्टल एड्रेस की जगह सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार का पता छपा हुआ था। पोस्ट कार्ड के एक तरफ़ आंदोलन से संबंधित तस्वीरें या स्लोगन छपे हुए थे और साथ में लिखा था – `फ्रॉम शाहीन बाग़ विद लव`। 

पोस्ट कार्ड्स बांट रहे युवाओं से पता चला कि इस पोस्ट कार्ड अभियान को THE 100K POSTCARD PROJECT नाम दिया गया है जो कि कार्ड्स पर भी छपा है। इन युवाओं ने कहा कि नागरिकता हम सभी का संवैधानिक और मौलिक अधिकार है। इस पर हमले की स्थिति में संविधान ही सहारा है और सर्वोच्च संवैधानिक संस्था सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाना ज़रूरी है। एक युवा ने कहा कि आप देखिए, भारतीय संविधान की किताब को लेकर भी यहां लोगों में बेहद क्रेज बना हुआ है। कुछ लोग इस किताब को साथ लिए हुए भी घूम रहे हैं।

इस अभियान में शामिल युवाओं ने बताया कि कुल एक लाख पोस्ट कार्ड्स छपवाए गए हैं। चार दिनों में हज़ारों पोस्ट कार्ड्स लिखे जा चुके हैं। जब इन लोगों को पता चला कि उनकी बात मीडिया में जाने वाली है तो उन्होंने अपने नाम या तस्वीरें न छापने का अनुरोध किया। इन युवाओं ने कहा कि उनकी पहचान कर उन्हें यह अभियान चलाने के लिए भी हमलों का शिकार बनाया जा सकता है।

(जनचौक के रोविंग एडिटर धीरेश सैनी की रिपोर्ट।)

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