Friday, April 26, 2024

नये गृहराज्य मंत्री के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास और डकैती समेत दर्जनों मुकदमे

नई दिल्ली। गांधी का देश कब गोडसे के देश में बदल गया यह बात किसी को पता भी नहीं चली। अब बस नॉर्थ और साउथ ब्लॉक के दफ्तरों में गोडसे की फोटो लगनी बाकी है। शायद कुछ शर्म बची है या फिर अंतरराष्ट्रीय छवि की चिंता है नहीं तो बीजेपी अब तक यह काम भी कर चुकी होती। मोदी के नये मंत्रिमंडल में गोडसे की पूरी आत्मा बसी हुई है। बताया जा रहा है कि मंत्रिमंडल के 42 फीसदी लोगों पर गंभीर आपराधिक आरोप हैं।

और इस मामले में देश की कानून और व्यवस्था पर नजर रखने वाले और हर तरह के खुफिया मामलों के लिए जम्मेदार गृहमंत्रालय में अगर सीधे कहें कि एक अपराधी को बैठा दिया गया है तो कोई गलत बात नहीं होगी। हम बात कर रहे हैं नये गृह राज्य मंत्री नीशीथ प्रमाणिक की। उनके खिलाफ संगीन अपराध की शायद ही कोई धारा बची हो जो न तामील की गयी हो। इसमें हत्या, हत्या के प्रयास, बैंक डकैती, चोरी और दंगा जैसे संगीन मामले शामिल हैं।

वैसे तो जनाब पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले के रहने वाले हैं लेकिन अपराध की मार का उनका क्षेत्र उस जिले तक ही सीमित नहीं था। बगल के जिले अलीपुरदौर में भी उन्होंने अपने फन को दिखाया है। या कहिए शुरुआत ही उनकी इसी के साथ हुई। प्रमाणिक ने 23 साल की उम्र से ही अपना यह हुनर दिखाना शुरू कर दिया था। 2मई, 2009 को उनके खिलाफ अलीपुरदौर पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 457/380 और 411 के तहत मामला दर्ज हुआ। 457 धारा अवैध तरीके से किसी के घर में घुसने पर लगायी जाती है। जबकि 380 घर में चोरी के लिए और 411 चुरायी गयी संपत्ति की चोरी के लिए लगायी जाती है। यह मामला अभी भी अलीपुरदौर की ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में लंबित है।

अभी एक पखवाड़ा भी नहीं बीता था कि देश के नये गृह राज्यमंत्री ने दूसरा कांड कर डाला। 19 मई, 2009 को उनके खिलाफ अलीपुरदौर स्टेशन में ही 461/379 और 411 के तहत केस दर्ज हुआ है। 379 चोरी की धारा है। जबकि 461 जबरन घर तोड़कर उसमें घुसने के लिए लगायी जाती है। यह मामला भी अलीपुरदौर की ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में लंबित है।

उसके बाद 2013 में उनके खिलाफ दो मामले दर्ज हुए। दिन्हाता पुलिस स्टेशन में केस नंबर 459/13 के तहत यह मामला 2मई, 2013 को रजिस्टर हुआ। इसमें इनके खिलाफ आईपीसी की 447/427/379 और 34 की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया। 447 आपराधिक तौर पर घुसने, 427 जानबूझ कर नुकसान पहुंचाने, 379 चोरी और 34 गलत मंशा होने के लिए लगायी जाती है। यह केस अभी दिन्हाता की एसीजेएम कोर्ट में जारी है।

2013 के अक्तूबर 14 तारीख को उनके खिलाफ दिन्हाता पुलिस स्टेशन में एक और मामला केस नंबर 1296 के तौर पर दर्ज हुआ। इसमें उनके खिलाफ 448/353/186 और 34 आदि धाराएं लगायी गईं। पहली घर में अवैध रुप से घुसने। दूसरी सरकारी काम में बाधा डालने और तीसरी सरकारी कर्मचारी को उसका काम रोकने और चौथी गलत मंशा के लिए लगायी जाती है।

इन वारदातों को अंजाम देने के साथ ही प्रमाणिक जी का मनोबल बढ़ता गया और उन्होंने फिर बड़े-बड़े अपराधों को अंजाम देना शुरू कर दिया। दिन्हाता पुलिस स्टेशन में 12 दिसंबर, 2018 को दर्ज एक मामला इसी तरह का है। इसमें उनके खिलाफ 148/147/149/427/326/302 आदि धाराएं लगायी गयी हैं। इसमें 302 हत्या की धारा है।

इसी तरह से 2020 में उनके खिलाफ दिन्हाता पुलिस स्टेशन में हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज हुआ है। जिसमें उनके खिलाफ 341/427/324/307/506/34 आदि धाराएं लगायी गयी हैं। यह मामला अभी एसीजेएम दिन्हाता कोर्ट में लंबित है।

अभी जबकि उन्हें 2019 का लोकसभा चुनाव का प्रत्याशी बनाया जाना था उससे पहले उनके खिलाफ कूचबिहार की कोतवाली में धारा 399/402/सेक्शन 25(1) 27/35 आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ। सका केस नंबर 206/19 है। इसमें पहली धारा डकैती की तैयारी के लिए लगाई जाती है। दूसरी डकैती के लिए एकत्रित हुए पांच में एक के शामिल होने के लिए इस्तेमाल होती है। जबकि बाकी अवैध हथियार रखने के जुर्म में इस्तेमाल होती है।

प्रमाणिक जी अपराध के किसी क्षेत्र के हुनर से अपरिचित नहीं हैं। उन पर महिलाओं के साथ बदसलूकी के भी आरोप लगे हैं। 29 नवंबर, 2014 को दिन्हाता पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ एक मामला कुछ ऐसा ही कहता है। इसमें उनके खिलाफ आईपीसी की 448/326/354/427 आदि धाराएं लगायी गयी हैं। इसमें 354 किसी महिला के साथ बदसलूकी के आरोप में लगायी जाती है।

इस तरह से उनके खिलाफ कुल 13 मामले दर्ज हैं। जिनमें हत्या, हत्या के प्रयास डकैती और चोरी से लेकर जान से मारने की धमकी तक के मामले शामिल हैं।

इनमें 379, 411, 506 जैसी संगीन धाराएं इतनी बार लगायी गयी हैं जिनकी कोई गिनती कर पाना मुश्किल है। 379 चोरी के लिए जबकि 411 चुरायी गई संपत्ति को यह जानते हुए रखने के लिए इस्तेमाल की जाती है कि यह चोरी की है। और 506 किसी को जान से मारने की धमकी के लिए लगायी जाती है। 120 बी भी कई जगहों पर इस्तेमाल की गयी है जिसका मतलब आपराधिक षड्यंत्र में हिस्सा लेने से लगाया जाता है। दंगे की धाराएं तो इतनी बार लगायी गयी हैं कि उनका यहां जिक्र करना भी जरूरी नहीं है।

दिलचस्प बात यह है कि ये सभी मामले अभी अदालतों में जारी हैं। और उन पर मुकदमा चल रहा है। इसमें वो मामले सामने नहीं आ पाए हैं जिनमें वो बरी हो गए हों या फिर उन पर फाइनल रिपोर्ट लग गयी हो। कभी चाल, चेहरा और चरित्र का नारा देने वाली बीजेपी का यह नया चेहरा है। बहरहाल और कुछ हुआ हो या न हुआ हो। गृहमंत्री अमित शाह को अपना अच्छा और मन लायक शागिर्द जरूर मिल गया है।

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