तम्बाकू उद्योग के हस्तक्षेप से मुक्त होने का घोषणापत्र क्यों है सरकारों के लिए ज़रूरी

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वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि की बैठकों में सरकारों ने गत वर्षों में मजबूरन निर्णय लिया कि चूँकि तम्बाकू उद्योग इन बैठकों में जन स्वास्थ्य नीति में निरंतर हस्तक्षेप करता रहा है और जन हितैषी नीतियों को बनने में एक बड़ा अड़ंगा है, इसलिए जन स्वास्थ्य नीति में उद्योग के हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसीलिए सरकारों ने 2008 में वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि की बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया और आर्टिकल 5.3 की मार्गनिर्देशिका पारित की। पर बीबीसी समेत अनेक ऐसे रिपोर्ट ने खुलासा किया कि तम्बाकू उद्योग चूँकि अब सीधे तौर पर बैठक में नहीं हस्तक्षेप कर पा रहा तो अनेक अन्य हथकंडे अपना रहा है जैसे कि सरकारी दल कि सदस्यों को रिश्वत देना आदि।

पिछले महीने सम्पन्न हुई वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि बैठक के 9वें सत्र में, भारत समेत 182 देशों की सरकारों ने सर्वसहमति से यह एलान किया कि तम्बाकू उद्योग द्वारा जन-स्वास्थ्य नीतियों में हस्तक्षेप पर अंकुश लगा कर, हर प्रकार के तम्बाकू उद्योग के हस्तक्षेप को जड़ से बाहर किया जाये, तथा तम्बाकू नियन्त्रण पर बजट बढ़ाया जाए। वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि को औपचारिक रूप से, विश्व स्वास्थ्य संगठन के फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कण्ट्रोल (WHO FCTC) कहते हैं।

जिनेवा में संपन्न हुई विश्व स्वास्थ्य संगठन के फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कण्ट्रोल (WHO FCTC) की इस बैठक की सबसे बड़ी उपलब्धि थी – सरकारों द्वारा 50 मिलियन डॉलर के निवेश कोष को मंजूरी देना। यह फंड WHO FCTC के सचिवालय को अधिक टिकाऊ संसाधन प्रदान करेगा ताकि सरकारों को इस वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि को अपने-अपने देशों में अधिक सुचारु रूप से लागू करने में मदद मिल सके। परन्तु यह पर्याप्त नहीं है क्योंकि यदि हमें इस संधि को सख़्ती से लागू कर के 2050 तक तम्बाकू महामारी से 20 करोड़ लोगों की जान बचानी है, तो अभी बहुत कुछ करना बाकी है।

वैश्विक तंबाकू नियंत्रण के लिए 27.4 बिलियन डॉलर की अनुमानित आर्थिक कमी है। यह जानते हुए भी कि तम्बाकू से हर साल वैश्विक अर्थ-व्यवस्था को अमरीकी डालर 1.4 ट्रिल्यन का नुक़सान होता है, वैश्विक स्वास्थ्य सहायता का मात्र 16% तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रमों के लिए उपलब्ध होता है। यह धन तम्बाकू उद्योग के संयुक्त विपणन, राजनीतिक और ‘वैज्ञानिक’ खर्चों के मुकाबले बहुत ही कम है। नेटवर्क फॉर एकाउंटेबिलिटी ऑफ़ टोबैको ट्रांसनेशनल के भारत प्रतिनिधि बॉबी रमाकांत का मानना है कि सभी देशों की यह ज़िम्मेदारी है कि वे तम्बाकू उद्योग को उत्तरदायी ठहराने के तंबाकू नियंत्रण संधि के निर्देश को लागू करने की प्रतीक्षा में एक भी और क्षण, एक भी और जीवन न खोएं।

वैश्विक तम्बाकू नियन्त्रण संधि के और उसके तहत विकसित साधन एक रोड मैप प्रदान करते हैं कि तंबाकू उद्योग को वित्तीय रूप से उत्तरदायी ठहराने के लिए सरकारें किस प्रकार उचित नीतियों और कानूनी कार्यवाही का सहारा ले सकती हैं।COP 9 के दौरान, बार-बार प्रतिनिधियों और नागरिक समाज ने नए निवेश कोष की सराहना की और देशों से दायित्व पर प्रगति में तेजी लाने का आग्रह किया। ब्राज़ील जैसे कुछ देश स्वास्थ्य लागत वसूल करने के लिए बड़े तंबाकू निगमों पर मुकदमा करके इस दिशा में कदम उठा चुके हैं। अनुच्छेद 19 के कार्यान्वयन की गति, निश्चित रूप से, तंबाकू उद्योग और उसके प्रतिनिधियों द्वारा बाधित हुई है। परन्तु निरंतर चल रहे तम्बाकू उन्मूलन प्रयासों के चलते सरकारों द्वारा हितों के टकराव (conflicts of interest) पर नई नीतियां स्थापित करने की वजह से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि संधि में उद्योग का हस्तक्षेप कम हो रहा है।

हाल ही में जारी, सर्वप्रथम वैश्विक तम्बाकू उद्योग के हस्तक्षेप के इंडेक्स 2021 ने यह आँकड़े प्रस्तुत किए कि अधिकांश दुनिया में जन स्वास्थ्य नीति को तम्बाकू उद्योग के हस्तक्षेप पर रोक लगाने वाली नीतियों सशक्त हुई हैं। उदाहरण के तौर पर, दक्षिण अमरीका में 3 देशों में पिछले एक साल में तम्बाकू उद्योग के हस्तक्षेप पर पाबंदी लगी है। लेकिन इससे भी ज़्यादा महत्वपूर्ण यह है कि अमरीका महाद्वीप के 28 देशों में से 23 देशों ने घोषणापत्र दाखिल किया कि वह तम्बाकू उद्योग के हस्तक्षेप से मुक्त हैं।

कॉर्पोरेट अकॉउंटबिलिटी के तंबाकू अभियान निदेशक डैनियल डोरैडो के अनुसार, “यह एकमात्र संधि है जिसमें उद्योग के हस्तक्षेप सुरक्षित रहने के स्पष्ट प्रावधान हैं और जो सक्रिय रूप से उन्हें लागू करने और सुधारने के लिए काम कर रही है।”

डोरैडो ने इस बात पर भी जोर दिया कि तम्बाकू उद्योग और उसके परदे के पीछे छिपे शुभचिंतकों से निरंतर सतर्क रहने की आवश्यकता है, क्योंकि तम्बाकू उद्योग से ऐतिहासिक संबंधों वाले देशों के एक कैडर ने इस सप्ताह की वार्ता को पटरी से उतारने का भरपूर प्रयास किया।

यह हस्तक्षेप ग्वाटेमाला समेत कुछ देशों के प्रयासों में सबसे अधिक दिखाई दिया जिन्होंने मिल कर इस बात की सामूहिक निंदा की कि कोविड-19 महामारी को बढ़ाने में तंबाकू उद्योग की अहम् भूमिका रही है। यह गुट वैज्ञानिक सहमति संस्तुति से इन शब्दों को हटाने में भी सफल रहा कि ‘कि तंबाकू के उपयोग से गंभीर बीमारी या उससे मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है वास्तव में, वैज्ञानिक सहमति को ध्यान में रखते हुए भाषा को हटाने के लिए सफलतापूर्वक धक्का दिया गया कि तंबाकू के उपयोग से गंभीर बीमारी या कोविड-19 से मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है’।

ये देश “कोविड-19 सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों और व्यापार के माध्यम से कार्यों से संबंधित तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप को रोकने” के लिए देशों से आग्रह करने वाली भाषा को हटाने में भी सफल रहे। जबकि स्पष्ट रूप से वैश्विक तंबाकू उद्योग हस्तक्षेप सूचकांक 2021 के अनुसार पिछले दो वर्षों में विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप को तेज करने के लिए कोविड-19 महामारी का उपयोग किया गया था।तंबाकू और कोविड-19 के बीच सीधे सम्बन्ध पर संधि के रुख को कम करने के लिए जिम्मेदार इन्हीं देशों के मंत्रियों ने भी अपने हितों के टकराव (conflicts of interest) की घोषणा करने पर भी आपत्ति जताई।

फ़िलिपींस के स्वास्थ्य मंत्रालय को स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा कि वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि गए फ़िलिपींस के दल के एक सदस्य ने जो विवादास्पद बयान दिया है (जो तम्बाकू उत्पाद को बढ़ावा देता है और तम्बाकू उद्योग का पक्ष लेता है), उससे फ़िलिपींस सहमत नहीं है।

चाहे अफ़्रीका का ज़िम्बाब्वे हो या दक्षिण अमरीका का होंडूरस, तम्बाकू उद्योग ने अपने लोग बिठा रखे हैं जो तम्बाकू नियंत्रण संधि में रोड़ा उत्पन्न करते हैं।

कोलम्बिया की तम्बाकू नियंत्रण कार्यकर्ता बलंका लोरेंटो ने कहा: इसीलिए यह ज़रूरी है कि वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि में शामिल होने वाले सभी दल और लोग, घोषणापत्र जारी करें कि वह तम्बाकू उद्योग के हस्तक्षेप से मुक्त हैं, इन घोषणापत्रों को सार्वजनिक किया जाए और राष्ट्रीय स्तर पर भी ऐसी नीतियाँ बनायी जाएँ जिससे कि जन स्वास्थ्य नीति में तम्बाकू उद्योग का हस्तक्षेप बंद हो। जब तक हम तम्बाकू उद्योग के हस्तक्षेप को रास्ते से हटाएँगे नहीं तब तक जीवनरक्षक तम्बाकू नियंत्रण नीतियाँ कैसे लागू होंगी?

(शोभा शुक्ला, सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस) की संस्थापिका-संपादिका हैं।)

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