बीएचयू गैंगरेप: फिर उजागर हुई प्रदेश सरकार की आरोपियों के प्रति संरक्षणकारी भूमिका

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लखनऊ। भाकपा (माले) ने गत एक नवंबर को बीएचयू छात्रा के साथ परिसर में हुए गैंगरेप के तीन आरोपियों में से दो की हाईकोर्ट से जमानत पर रिहाई पर कहा है कि अभियोजन पक्ष की लचर पैरवी के कारण यह संभव हुआ। इससे प्रदेश सरकार की दुष्कर्मियों के प्रति संरक्षणकारी भूमिका एक बार फिर उजागर हुई है।

राज्य सचिव सुधाकर यादव ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि इसके पहले भी इन आरोपियों को बचाने की भाजपा सरकार ने हर कोशिश की थी। तीनों आरोपी बनारस में भाजपा आईटी सेल के पदाधिकारी थे और बड़े भाजपा नेताओं के संपर्क में रहे। वारदात के बाद उन्हें मध्य प्रदेश भेज दिया गया, जहां चुनाव प्रचार के नाम पर पार्टी द्वारा शरण दी गई। उनकी गिरफ्तारियां बनारस व प्रदेश सहित देश भर में हुए जन आन्दोलनों के दबाव में घटना के दो माह बाद ही संभव हुईं।

माले नेता ने कहा कि कठुआ से लेकर उन्नाव व हाथरस तक, गुजरात के बिलकिस बानो केस से लेकर मणिपुर तक भाजपा की भूमिका बलात्कारियों को बचाने की रही है। यही नहीं, आशाराम बापू व राम रहीम जैसे सजायाफ्ता दुराचारियों को बार-बार पैरोल और फर्लो पर रिहाई मिलती है। भाजपा का बेटी बचाओ का नारा आंखों में धूल झोंकने जैसा है।

माले राज्य सचिव ने कहा कि विपक्षी नेताओं के मामलों में भाजपा सरकार और उसकी एजेंसियां रिहाई रोकने के लिए न्यायालयों में एंड़ी-चोटी का जोर लगा देती हैं। लेकिन जब बात भाजपा से जुड़े अपराधियों की हो, तो वे लकवाग्रस्त दिखने लगती हैं। बीएचयू मामले में अभियुक्तों को जेल भेजवाने के लिए छात्रों ने बड़े संघर्ष किये, फर्जी मुकदमे व उत्पीड़न झेले, परिसर के बाहर भी न्यायप्रिय जनता सड़कों पर उतरी। यदि राज्य सरकार व पुलिस तत्पर रहतीं और पीड़िता को न्याय दिलाने के प्रति जानबूझकर लापरवाह न होतीं, तो गैंगरेप के आरोपी इतनी जल्दी जेल से आजाद न होते।

(प्रेस विज्ञप्ति)

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