वाराणसी। पूर्वांचल की ‘धड़कन’ माने जाने वाले बीएचयू अस्पताल में बेड की संख्या बढ़ाई जाए ताकि आसानी से प्रत्येक मरीज को बेड मिले और अस्पताल में हो रहे भ्रष्टाचार को समाप्त किया जा सके साथ ही भ्रष्टाचार में लिप्त चिकित्सा अधीक्षक प्रो. केके गुप्ता को तत्काल निलंबित किया जाए.. इन्ही मांगों को लेकर बीएचयू के हृदयरोग विशेषज्ञ डा. ओम शंकर पिछले 16 दिनों से आमरण अनशन पर हैं। डॉ. ओमशंकर के समर्थन में अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने एकदिवसीय अनशन का कार्यक्रम रखा।
दुर्गाकुंड स्थित आनंद पार्क में उपवास कार्यक्रम में सभा का आयोजन भी किया गया। सभा को संबोधित करते हुए ऐपवा की राज्य सचिव कुसुम वर्मा ने कहा कि बीएचयू का अस्पताल पूर्वांचल के लिए एक मात्र बेहतर व उच्चतर स्वास्थ्य केंद्र है। यह प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय चुनाव क्षेत्र में भी है। इस अस्पताल में सभी मरीजों को बेड उपलब्ध कराने, भ्रष्टाचार पर रोक लगाने और जन स्वास्थ्य के अधिकार की रक्षा के लिए प्रोफेसर ओमशंकर विगत सोलह दिनों से संस्थान में आमरण अनशन कर रहे हैं; बनारस की तमाम संगठनों और संस्थानों के प्रतिनिधि उनके समर्थन में आ रहे हैं लेकिन इस मामले में बीएचयू और जिला प्रशासन की लगातार अनदेखी से यह स्पष्ट है की स्वयं बीएचयू प्रशासन और मौजूदा सरकार को न डॉक्टर के स्वास्थ्य की कोई चिंता है और न ही गरीब जनता के स्वास्थ्य की ही कोई परवाह है। उन्होंने कहा की 16 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे होने और साथ ही साथ ड्यूटी करते हुए मरीजों को देखने के बावजूद भी उन्हें अध्यक्ष पद से हटाना बीएचयू प्रशासन के अमानवीय और असंवेदनशील चेहरे को उजागर करता है।

सभा को संबोधित करते हुए आइसा बीएचयू के सहसंयोजक रौशन पांडे ने कहा कि डॉ. ओमशंकर की मांगों को संज्ञान में न लेना यह दर्शाता है कि मोदी सरकार ने जिस तरह से हर क्षेत्र को निजी हाथों में दे दिया है उसी तरह से वह स्वास्थ्य का भी निजीकरण करना चाहती है ताकि सस्ती सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं को खत्म किया जा सके और गरीबों की पहुंच से बाहर निजी अस्पतालों की संख्या बढ़ाकर महंगी स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा की भारत जैसे गरीब देश में सस्ती सुलभ और उच्च कोटि की मेडिकल सुविधाओं को बढ़ाया जाए इसके लिए जरूरी है कि स्वास्थ्य सुविधाओं पर सरकारी खर्च बढ़ाया जाय ताकि सरकारी अस्पतालों को बेहतर किया जाए और स्वास्थ्य के निजीकरण पर रोक लगाई जाए।

सीरगोवर्धन निवासी घरेलू कामगार धनशिला ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी अपने भाषणों के जरिए गरीबों की बात तो कर रहे हैं लेकिन बीएचयू के डाक्टर जिन्होंने हम गरीबों के लिए पिछले 16 दिनों ने अन्न छोड़ दिया है मोदी जी बनारस में रहते हुए भी उनसे मिलने तक नहीं जा रहे हैं यह बहुत ही आश्चर्यजनक और शर्मनाक बात है। इससे यह जाहिर होता है कि उनकी कथनी और करनी में बहुत फर्क है।

गौरतलब है की डॉ. ओमशंकर की जन स्वास्थ्य संबंधी मांगों के समर्थन में पूर्वांचल के विभिन्न जिलों में 26 ओर 27 मई को प्रतिवाद कार्यक्रम आयोजित हैं जिसमें निम्मलिखित ठोस मांगों पर त्वरित कार्रवाई की मांग की गई है।
- डॉ. ओम शंकर द्वारा उठायी जा रही मांगों को अविलंब स्वीकार किया जाए और उनके विरुद्ध की गई उत्पीड़न की कार्रवाई रद्द की जाए।
- बीएचयू अस्पताल में हर मरीज को बेड की सुविधा मिले और भ्रष्टाचार पर रोक लगे।
- स्वास्थ्य का निजीकरण बंद हो। स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार का दर्जा मिले और स्वास्थ्य सुविधाओं पर बजट में पर्याप्त बढ़ोतरी की जाए।
सभा को ऐपवा की जिला सचिव स्मिता बागड़े, जिला सहसचिव सुजाता भट्टाचार्य, विभा वाही, घरेलू कामगार धनशीला, अनीता, सविता ने संबोधित किया। आइसा से राजेश, प्रिया, दिलखुश और भाकपा-माले से वीके सिंह, आरडी सिंह आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। संचालन आइसा की सोनाली यादव ने किया।
(प्रेस विज्ञप्ति)