लोकतंत्र शर्मसार: युद्ध का मैदान बनी बिहार विधान सभा, सत्ता पक्ष के विधायकों ने नेता प्रतिपक्ष पर की हमले की कोशिश

बिहार विधानसभा में आज जमकर गुंडागर्दी हुई। प्रतिपक्ष की आवाज़ दबाने के लिए सत्ता पक्ष के विधायकों और उप मुख्यमत्री  व भाजपा विधायक तारकिशोर प्रसाद ने नेता प्रतिपक्ष को गाली गलौज करते हुए मारने के लिए उनकी सीट की ओर बढ़े। मामला इतना ज़्यादा खराब हो गया कि विधायकों को रोकने के लिए सदन के मॉर्शल को हस्तक्षेप करना पड़ा। 

बता दें कि आज बिहार विधानसभा की कार्रवाई शुरू होते ही विपक्ष सुबह से ही भू एवं राजस्‍व मंत्री रामसूरत राय से इस्‍तीफे की मांग पर अड़ गया। विपक्ष ने पहले सदन में और फिर विधान मंडल परिसर में सरकार की घेरेबंदी की। और सदन से वॉकआउट किया। 

इसके बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नेतृत्व में विपक्षी सदस्यों ने राजभवन तक मार्च निकाला। रैली के दौरान तेजस्वी यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि “सरकार विधानसभा में बात रखने नहीं दे रही है। अपराधियों को संरक्षण दिया जा रहा है। नेता विधानसभा जेडीयू और बीजेपी का दफ्तर हो गया है। हमारी बात कोई नहीं सुन रहा है।” 

वहीं राजभवन मार्च के बाद विपक्ष फिर विधान सभा में लौटा। दूसरी पाली में स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के बजट पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव ने फिर से शराबबंदी और मंत्री रामसूरत पर बात रखना शुरू किया ही था कि उप मुख्‍यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने गुस्‍से में तेजस्‍वी यादव को मुद्दे पर बात करने को कहते हुए कहा कि “जो बात बिजनेस में नहीं, उस पर चर्चा कैसे होगी? आसन को नियमन देना चाहिए।”

इस पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने उप मुख्‍यमंत्री तारकिशोर को संवैधानिक दायरे का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि “नेता प्रतिपक्ष का पद संवैधानिक होता है। मगर उप मुख्‍यमंत्री का पद संवैधानिक नहीं होता है। आसन ने हमें बोलने का समय दिया है, हमें हक़ है।” 

संविधान से चिढ़ने वाले भाजपाई विधायक नेता प्रतिपक्ष की उपरोक्त बातों से चिढ़ गए। भाजपा नेता व मंत्री संजय सरावगी और जनक सिंह ने उनकी बातों पर कड़ी आपत्ति जताई। 

नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव ने आगे कहा कि “मेरे मुंह खोलते ही सत्‍तारूढ़ दल कांपने लगता है।” इसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक आमने-सामने आ गए और गाली-गलौज करते हुए भिड़ गए।  बात इस हद तक बिगड़ गयी कि मार्शल ने विधायकों को अलग किया।

सदन से बाहर परिसर में मीडिया से बात करते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हम सदन में कार्य स्‍थगन प्रस्‍ताव लाए थे। लेकिन बिना सुने ही कैंसिल कर दिया गया। हमें जो समय दिया गया उसमें भी सत्‍तारूढ़ दल के विधायक मुझे बोलने नहीं दे रहे थे। यह बीजेपी की अपने मंत्री को बचाने की रणनीति है। उनके मंत्री बुरी तरह फंस चुके हैं। मेरे पास सुबूत है। लेकिन उसे विधान सभा में रखने नहीं दिया जा रहा है। सरकार में डर है। आखिर सीएम नीतीश कुमार सुबह से ही सदन से गायब क्‍यों हैं? बीजेपी के लोग लोकतांत्रिक ढंग से सदन चलने नहीं देना चाहते। 

बता दें कि मंत्री रामसूरत राय के भाई के मुजफ्फरपुर के बोचहां स्थि‍त स्‍कूल में शराब की खेप बरामद होने के बाद से लगातार विपक्ष के निशाने पर हैं। इसी मामले पर आज नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सत्‍ता पक्ष को घेर रहे थे। वे मंत्री के इस्‍तीफे की मांग कर रहे थे। 

वहीं अब मंत्री रामसूरत राय ने भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और दिवंगत भाजपा नेता अरुण जेटली के नक्शेकदम पर चलते हुए कहा है कि मैंने इस विषय पर जवाब भी दे दिया। फिर भी तेजस्‍वी यादव बेवजह इसमें मेरा नाम घसीट रहे हैं। तेजस्‍वी दो दिन के अंदर माफी मांगे वर्ना वे मान-हानि का मुकदमा करेंगे।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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