युवा राष्ट्रपति इब्राहीम ट्रैओरे के नेतृत्व में बुर्किना फासो आज पूरे अफ्रीका को राह दिखा रहा है 

अफ्रीका की जो तस्वीर हमारे दिलोदिमाग में अंकित है, उसमें 90% योगदान पश्चिमी मीडिया का है। भारत में एक आम धारणा है कि अफ्रीका एक भूखे-नंगों का महाद्वीप है, जहां के लोग अशिक्षा, भुखमरी, बाल-मृत्युदर से लेकर विकास के किसी भी पैमाने पर दुनिया की सबसे निचली पांत के लोग हैं। ये लोग इतने जाहिल हैं कि इनका विकास संभव नहीं है, जैसा कि हम अपने देश में आदिवासी समुदाय के साथ होते देखते हैं।

भारत के मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, तेलंगाना, ओडिसा और आंध्रप्रदेश के आदिवासी इलाकों की तरह ही अधिकांश अफ्रीका खनिज संपदा के मामले में विश्व की खान है। उन्हीं में से साहेल क्षेत्र का एक देश है बुर्किना फासो, जिसके राष्ट्रपति इब्राहिम ट्रैओरे के रुसी राष्ट्रपति, व्लादिमीर पुतिन के द्वारा मास्को में विशेष आतिथ्य के बाद से उनका नाम अचानक से सुर्ख़ियों में दिखने लगा। 

37 वर्षीय इब्राहिम ट्रैओरे पश्चिमी साम्राज्यवादी मुल्कों, विशेषकर फ़्रांस की निगाहों में किस कदर खटक रहे हैं इसकी एक मिसाल दो माह पूर्व उनकी हत्या के प्रयास में देखी जा सकती है। बुर्किना फासो की सरकार के मुताबिक, इस साजिश में राष्ट्रपति के चीफ ऑफ स्टाफ और विदेशी तत्वों के साथ-साथ स्थानीय एक्टर्स के एक नेटवर्क ने कथित तख्तापलट का प्रयास किया था, जिसे विफल कर दिया गया। इसका उद्येश्य इब्राहिम ट्रैओरे की हत्या करने और साहेल राष्ट्र को अस्थिर कर एक बार फिर से विदेशी गोल्ड माइनिंग कंपनियों के लिए दरवाजे खोलना था।

आरोपी उच्च पदस्थ अधिकारी, जिसका नाम आधिकारिक तौर पर उजागर नहीं किया गया है, को कथित तौर पर 25 बिलियन सीएफए फ़्रैंक (लगभग 41 मिलियन अमरीकी डॉलर) की रिश्वत लेने और फ्रांसीसी भागीदारी के साथ कोटे डी आइवर के माध्यम से कथित तौर पर हथियारों की खेप स्वीकार करने के बाद गिरफ्तार किया गया था।

2022 में सत्ता संभालने के बाद से, कैप्टन इब्राहिम ट्रोरे ने बुर्किना फासो के विदेशी संबंधों में एक नया सफर तय किया है, पश्चिमी शक्तियों खासकर फ्रांस से दूरी बनाई है और साहेल राज्यों के गठबंधन (एईएस) के तहत माली और नाइजर में रूस और साथी जुंटा के साथ रणनीतिक और सैन्य संबंधों को गहरा किया है।

इस पुनर्संयोजन ने पश्चिमी अफ्रीका में तनाव को बढ़ा दिया है, रीजनल पॉवर ब्लॉक्स में पश्चिमी समर्थक सरकारों बनाम आत्मनिर्णय एवं विदेशी हस्तक्षेप को अस्वीकार करने वाली सैन्य-नेतृत्व वाली सरकारों के बीच में विभाजन बढ़ गया है। भूराजनैतिक विशेषज्ञों का मत है कि ट्रोरे की उपनिवेशवाद विरोधी नीति के चलते खनिज समृद्ध राष्ट्र में अपनी पकड़ बनाए रखने की चाह रखने वाले विदेशी हितों को भड़का दिया है।

राष्ट्रपति इब्राहिम ट्रोरे की लोकप्रियता में लगातार इजाफ़ा हो रहा है। बर्किना फासो के एक यूट्यूब चैनल के अनुसार राष्ट्रपति की हत्या की साजिश रचने वालों में 113 विदेशी अधिकारी शामिल थे, जिसमें लाखों डॉलर की रिश्वत की बात उजागर हुई है। जिसका मकसद अफ्रीका की बढ़ती आवाज़ को दबाने के लिए वैश्विक अभिजात वर्ग द्वारा समर्थित एक योजना थी।

लेकिन यह स्कीम विफल साबित हुई, और अंतिम संस्कार के बजाय, ट्रोरे ने एक क्रांति शुरू की। उन्होंने उनकी संपत्तियां जब्त कर लीं। उनके नाम बताए, गुप्त फाइलों का खुलासा किया, और उस व्यवस्था को उजागर किया जिसने दशकों से अफ्रीका को लूटा है। यह केवल हमारे अस्तित्व की कहानी नहीं है- यह अफ्रीका के भविष्य के लिए एक युद्ध है। और दुनिया देख रही है।

2 मई 2025 की बीबीसी की खबर की हेडलाइंस भी इस बात की ताकीद करती है, “बुर्किना फासो के जुंटा नेता ने दुनिया भर के दिलों और दिमागों पर कैसे कब्जा कर लिया है?” अपनी रिपोर्ट में बीबीसी बताता है कि उनका संदेश पूरे अफ्रीका और उसके बाहर भी गुंजायमान हो रहा है, उनके प्रशंसक उन्हें बुर्किना फासो के अपने ही थॉमस सांकरा जैसे अफ्रीकी नायकों के पदचिन्हों पर चलते हुए देखते हैं – एक मार्क्सवादी क्रांतिकारी जिन्हें कभी-कभी “अफ्रीका का चे ग्वेरा” भी कहा जाता है।

ग्लोबल कंसल्टेंसी फर्म कंट्रोल रिस्क की वरिष्ठ शोधकर्ता बेवर्ली ओचिएंग ने बीबीसी को बताया, “ट्राओरे का प्रभाव काफी बड़ा है। मैंने केन्या (पूर्वी अफ्रीका में) जैसे देशों के राजनेताओं और लेखकों को यह कहते हुए सुना है: ‘यही है। वह एक महान व्यक्ति हैं। उनके संदेश उस युग को दर्शाते हैं जिसमें हम रह रहे हैं, जब कई अफ्रीकी पश्चिम के साथ संबंधों पर सवाल उठा रहे हैं और क्यों इतने संसाधन संपन्न महाद्वीप में अभी भी इतनी गरीबी है।”

2022 में तख्तापलट में सत्ता हथियाने के बाद, ट्राओरे के शासन ने रूस के साथ एक मजबूत गठबंधन के पक्ष में पूर्व औपनिवेशिक शक्ति फ्रांस के साथ अपने संबंध खत्म कर लिए, जिसमें एक रूसी अर्धसैनिक ब्रिगेड की तैनाती भी शामिल है, और उन्होंने वामपंथी आर्थिक नीतियों को अपनाया है। इसमें एक सरकारी स्वामित्व वाली खनन कंपनी की स्थापना करना, विदेशी कंपनियों को अपने स्थानीय परिचालन में 15% हिस्सेदारी देना और बुर्किनाबे के लोगों को कौशल हस्तांतरित करना शामिल है।

साहेल लिबर्टी न्यूज़ के मुताबिक, कैप्टन इब्राहिम ट्रोरे के नेतृत्व में बुर्किना फासो सच्ची आर्थिक संप्रभुता हासिल करने की दिशा में अपने प्रयासों को तेज कर रहा है, विशेषकर अपने खनिज संसाधनों की रणनीतिक पुनः प्राप्ति के माध्यम से। इस अभियान का एक महत्वपूर्ण उदाहरण 11 जून, 2025 को मंत्रिपरिषद की बैठक के दौरान देखा गया, जिसमें एक महत्वपूर्ण डिक्री को अपनाया गया।

यह डिक्री कई कंपनियों-वाग्नियन गोल्ड एसए, सेमाफो बौंगौ एसए, रिसोर्सेज फेरके एसएआरएल, ग्रिफॉन मिनरल्स बुर्किना फासो एसएआरएल, और लिलियम माइनिंग सर्विसेज बुर्किना फासो एसएआरएल- से पूर्व खनन परिसंपत्तियों को सोसाइटी डे पार्टिसिपेशन मिनिएरे डु बुर्किना (एसओपीएएमआईबी) में स्थानांतरित करने को औपचारिक बनाती है, जो खनिज संसाधनों के राष्ट्रीय प्रबंधन के लिए समर्पित एक राज्य के स्वामित्व वाली संस्था है। 

यह ऑपरेशन 24 अगस्त, 2024 को संपन्न किए गए एक रणनीतिक अधिग्रहण के बाद हुआ है, जिसके माध्यम से बुर्किनाबे राज्य ने एंडेवर माइनिंग और लिलियम माइनिंग समूहों से शेयरों और इक्विटी हिस्सेदारी की सीधी खरीद के माध्यम से इन कंपनियों की संपत्ति हासिल की है।

इन परिसंपत्तियों को पुनः हासिल कर बुर्किना फासो न सिर्फ एक प्रमुख क्षेत्र पर अपने नियंत्रण को मजबूत कर रहा है, बल्कि दशकों से जारी विदेशी शोषण से विरासत में मिली आर्थिक निर्भरता के मॉडल से खुद को अलग करने के अपने दृढ़ संकल्प को भी पुष्टि कर रहा है। यह एक प्रमुख मोड़ है, जो एक ऐसे राष्ट्र का प्रतीक है जो अपने प्राकृतिक संपदा का उपयोग कैसे करना है, यह स्वयं तय करने के लिए दृढ़-संकल्प है।

यह पहल राष्ट्रपति इब्राहिम ट्रोरे के नेतृत्व में शुरू की गई प्राकृतिक संसाधनों के संप्रभु स्वामित्व की व्यापक नीति का हिस्सा है। इस दृष्टिकोण के माध्यम से, सरकार स्थानीय विकास, स्थायी रोजगार सृजन और बुनियादी सामाजिक सेवाओं के सुधार पर प्रत्यक्ष प्रभावों के साथ खनिज संपदा का अधिक न्यायपूर्ण और अधिक लाभकारी दोहन चाहती है। SOPAMIB के माध्यम से प्रबंधन को केंद्रीकृत करना खनन राजस्व की अधिक पारदर्शिता और बेहतर पता लगाने की क्षमता भी सुनिश्चित करता है।

सर्वोच्च पद पर आसीन होने के बाद से कैप्टन इब्राहिम ट्रोरे ने बुर्किना फासो के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य पर एक गहरी छाप छोड़ी है। केवल दो वर्षों 2023-2023 में, देश ने आर्थिक रूप से संप्रभु शासन के तहत कई उल्लेखनीय परिवर्तन किए हैं।

यदि आर्थिक मोर्चे पर बात करें तो इसमें प्रगति महत्वपूर्ण रही है: बुर्किना फासो का सकल घरेलू उत्पाद 18.8 बिलियन डॉलर से बढ़कर 22.1 बिलियन डॉलर हो गया था, जो चुनौतीपूर्ण क्षेत्रीय वातावरण के बावजूद स्पष्ट गति को दर्शाता है। निर्भरता की नीति से अलग हटकर, राष्ट्रपति ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक से कर्ज लेने की पेशकश को ठुकराकर साहसिक निर्णय लिया – आर्थिक संप्रभुता का एक दावा जो इस क्षेत्र में शायद ही कभी देखा गया हो।

देश के भीतर मंत्रियों और संसद सदस्यों के वेतन में 30% की कटौती की गई, जबकि सरकारी कर्मचारियों के वेतन में 50% की वृद्धि की गई, जिसने आं जनता को गहराई से प्रभावित किया है। राज्य ने अपने घरेलू ऋण का निपटान भी शुरू कर दिया, जिससे कई स्थानीय व्यवसायों को राहत मिली।

औद्योगीकरण के संदर्भ में, इब्राहिम ट्रोरे ने स्थानीय मूल्य संवर्धन पर केंद्रित बुर्किना फासो के लिए आधार तैयार किया है। देश ने अपने पहले टमाटर प्रसंस्करण कारखानों का उद्घाटन किया और मौजूदा एकमात्र संयंत्र के पूरक के रूप में दूसरा कपास प्रसंस्करण संयंत्र खोला।

स्थानीय उत्पादकों के लिए पहली बार कारीगर कपास परिवर्तन का समर्थन करने के लिए एक राष्ट्रीय केंद्र भी शुरू किया गया। खनन क्षेत्र में, 2023 में एक आधुनिक सोने की खदान खोली गई, साथ ही यूरोप को कच्चे सोने के निर्यात पर रोक लगा दी – जो स्थानीय रूप से प्राकृतिक संसाधनों को संसाधित करने के स्पष्ट इरादे को दर्शाता है। 

कृषि पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। पिछले दो वर्षों में, हजारों खेती से जुड़ी मशीनें वितरित की गई हैं, जिसमें सैकड़ों की संख्या में ट्रैक्टर, पावर टिलर, पानी के पंप और मोटरबाइक शामिल हैं। सरकार ने उन्नत बीजों तक पहुँच की सुविधा प्रदान की, जिसके परिणामस्वरूप फसल की पैदावार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। टमाटर, बाजरा और चावल का उत्पादन 2022 और 2024 के बीच बढ़ा है, जो कि आत्मनिर्भरता और ग्रामीण समर्थन पर केंद्रित कृषि नीति का एक ठोस संकेत है। 

कूटनीतिक एवं सुरक्षा मोर्चों पर, साहसिक फैसलों ने देश के गठबंधनों को फिर से परिभाषित किया है। सरकार ने फ्रांसीसी सैन्य उपस्थिति को समाप्त कर दिया, बुर्किनाबे की धरती पर फ्रांसीसी सैन्य अभियानों पर प्रतिबंध लगा दिया है, सैनिकों को निष्कासित करने से लेकर फ्रांसीसी मीडिया तक पहुंच को प्रतिबंधित कर दिया है। पूर्व औपनिवेशिक ताकत के साथ यह विच्छेद पूर्ण राष्ट्रीय संप्रभुता को पुनः प्राप्त करने के दृढ़ रुख को दर्शाता है।

बुनियादी ढांचे के विकास के काम को भी पीछे नहीं छोड़ा गया है। सड़कों को चौड़ा किया गया है, नए निर्माण किए जा रहे हैं या आधुनिकीकरण किया जा रहा है – बजरी के रास्तों को पक्की सड़कों में बदल दिया गया है जो देश की गतिशीलता और विकास की जरूरतों के लिए बेहतर अनुकूल हैं।

इतना ही नहीं पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति इब्राहिम ट्रोरे को अमेरिका आने का निमंत्रण दिया था, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया। एक ऐसे समय में जब बड़े-बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्ष नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति की बगल में खड़े दिखने के लिए लॉबीइंग करने में जुटे थे, एक गरीब अफ्रीकी मुल्क के राष्ट्रपति की इस हरकत ने ट्रंप को आगबबूला कर दिया था। 

जाहिर है, ट्रोरे किसी भी कीमत पर हासिल इस स्वतंत्रता को खोना नहीं चाहते. पश्चिमी ताकतों को बुर्किना फासो में 1983 में प्रधानमंत्री के तौर पर निर्वाचित मार्क्सवादी नेता थॉमस संकारा (1984-87) की यादें ताजा करने पर विवश कर देती हैं, जिनके साम्राज्यवाद-विरोधी नेतृत्व में बुर्किना फासो ने पहली बार महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की थी।

आज के ट्रैओरे की तरह, संकारा ने आत्मनिर्भरता, कृषि सुधार, पर्यावरण संरक्षण, महिलाओं के अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और क्रांति की रक्षा के लिए समितियों की स्थापना पर जोर दिया था। यह वही थे जिन्होंने 4 अगस्त, 1984 को फ्रंसिसीयों द्वारा दिए गये देश के नाम रिपब्लिकन ऑफ़ अपर वोल्टा से बदलकर बुर्किना फासो कर दिया था, जिसका अर्थ है “ईमानदार लोगों की भूमि।”

(रविंद्र पटवाल जनचौक संपादकीय टीम के सदस्य हैं)

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