संस्कृतिकर्मी कबीर के चेहरे पर पढ़ी जा सकती है लखनऊ पुलिस की बर्बरता

Estimated read time 1 min read

नई दिल्ली/ लखनऊ। लखनऊ के जाने माने थियेटर कलाकार और डायरेक्टर दीपक कबीर शुक्रवार से जेल में हैं। उनका कसूर सिर्फ इतना है कि उन्होंने हजरतगंज थाने जाकर सिर्फ यह जानने की कोशिश की थी कि कहीं उनका कोई दोस्त तो नहीं गिरफ्तार हुआ है।

48 वर्षीय इस संस्कृतिकर्मी को आधे दर्जन से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने मिलकर न सिर्फ बंदूक के कुंदों से पीटा बल्कि उसको अपराधी करार दे दिया। उससे पूछा गया कि वह क्यों अपराधियों के बारे में पूछताछ कर रहा है।

टेलीग्राफ में प्रकाशित खबर के मुताबिक उन्होंने बताया कि  “उनको गुरुवार को हुए नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान दंगा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।इसके साथ ही उन पर सरकारी काम में बाधा डालने संबंधी धाराएं भी लगायी गयी हैं।”

कबीर एक कवि हैं और हर साल लखनऊ में कबीर महोत्सव का आयोजन करते हैं। इस महोत्सव के जरिये 15वीं शताब्दी के कवि और संत कबीर के जीवन और उनकी शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार किया जाता है।

कबीर के एक रिश्तेदार ने बताया कि कबीर की पत्नी वीना राणा ने रविवार को अपने पति से जेल में मुलाकात की थी।

उन्होंने बताया कि  “उनकी पत्नी ने बताया कि वह अपने पैर पर खड़े नहीं हो पा रहे थे। हालांकि वह मुश्किल से ही दवाएं लेते हैं लेकिन उन्होंने एक दर्द की दवा मांगी।”

कबीर की जमानत पर आज सुनवाई होनी है।

हजरतगंज पुलिस स्टेशन के एसएचओ धीरेंद्र कुशवाहा ने बताया कि वह हिंसक विरोध-प्रदर्शन में शामिल थे और जब वो लोग काम कर रहे थे तो उन्होंने हंगामा खड़ा कर दिया।

लखनऊ में गुरुवार को विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वालों पर दंगा और हिंसा भड़काने का आरोप लगाते हुए पुलिस ने तकरीबन 120 लोगों को गिरफ्तार किया है। लखनऊ से गिरफ्तार प्रमुख लोगों में रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब, पूर्व आईपीएस और दलित नेता एसआर दारापुरी तथा कांग्रेस की प्रवक्ता सदफ जाफर शामिल हैं।

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author