Category: लेखक

  • डॉ. मुल्कराज आनंदः भारत के चार्ल्स डिकेंस

    डॉ. मुल्कराज आनंदः भारत के चार्ल्स डिकेंस

    डॉ. मुल्कराज आनंद, मुल्क की उन बाकमाल शख्सियतों में शामिल हैं, जिन्होंने विदेशियों को यह बतलाया कि एक हिंदुस्तानी भी उन्हीं की जुबान में उन जैसा उत्कृष्ट लेखन कर सकता है। अंग्रेजी जुबान उनके लिए कोई टैबू नहीं है। बीबीसी ने अपनी डाक्यूमेंटरी में उन्हें इंडियन डिकेेंस कहते हुए, भारत में अंग्रेजी लेखन का जनक…

  • पुण्यतिथिः मुंशी प्रेमचंद मानते थे- किसानों को स्वराज की सबसे ज्यादा जरूरत

    पुण्यतिथिः मुंशी प्रेमचंद मानते थे- किसानों को स्वराज की सबसे ज्यादा जरूरत

    हिंदी-उर्दू साहित्य में कथाकार मुंशी प्रेमचंद का शुमार, एक ऐसे रचनाकार के तौर पर होता है, जिन्होंने साहित्य की पूरी धारा ही बदल कर रख दी। देश में वे ऐसे पहले शख्स थे, जिन्होंने हिंदी साहित्य को रोमांस, तिलिस्म, ऐय्यारी, जासूसी कथानकों से बाहर निकालकर आम जन की जिंदगी से जोड़ा। दलित, अल्पसंख्यक और महिलाओं…

  • पूंजी की सभ्यता-समीक्षा के कवि मुक्तिबोध

    पूंजी की सभ्यता-समीक्षा के कवि मुक्तिबोध

    मुक्तिबोध गहन संवेदनात्मक वैचारिकी के कवि हैं। उनके सृजन-कर्म का केंद्रीय कथ्य है-सभ्यता-समीक्षा। न केवल कवितायें बल्कि उनकी कहानियां, डायरियां, समीक्षायें तथा टिप्पणियां सार रूप में सभ्यता समीक्षा की ही विविध विधायें हैं, वह जो उपन्यास लिखना चाहते थे, उसके केंद्र में भी सभ्यता समीक्षा को ही रखना चाहते थे, इसके संकेत उन्होंने अनेक जगहों…

  • जयंतीः राजेंद्र यादव ने साहित्य में दी अस्मिताओं के वजूद को नई पहचान

    जयंतीः राजेंद्र यादव ने साहित्य में दी अस्मिताओं के वजूद को नई पहचान

    हिंदी साहित्य को अनेक साहित्यकारों ने अपने लेखन से समृद्ध किया है, लेकिन उनमें से कुछ नाम ऐसे हैं, जो अपने साहित्यिक लेखन से इतर दीगर लेखन और विमर्शों से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुए। कथाकार राजेंद्र यादव का नाम ऐसे ही साहित्यकारों में शुमार होता है। वे जब तक जीवित रहे हिंदी साहित्य में…

  • कविता संग्रह नहीं, अवाम की लाचारी का दस्तावेज है ‘अंबर में अबाबील’

    कविता संग्रह नहीं, अवाम की लाचारी का दस्तावेज है ‘अंबर में अबाबील’

    हिंदी के लोकप्रिय और वैश्विक रूप से चर्चित कवि उदय प्रकाश का वाणी प्रकाशन से प्रकाशित कविता संग्रह ‘अंबर में अबाबील’ चर्चा में है। उदय प्रकाश ऐसे कवि और लेखक हैं, जो भारत के एक अत्यंत पिछड़े कस्बे से राजधानी दिल्ली आए। साहित्य जगत की तमाम जातीय और क्षेत्रीय गिरोहबंदियों के बीच पाठकों पर छा…

  • जयंती पर विशेष: हाशिये की महिलाओं की जुबान थीं इस्मत चुगताई

    जयंती पर विशेष: हाशिये की महिलाओं की जुबान थीं इस्मत चुगताई

    उर्दू और हिंदी की दुनिया में ‘इस्मत आपा’ के नाम से मशहूर इस्मत चुगताई की पैदाइश उत्तर प्रदेश के बदायूं शहर की है। अलबत्ता उनका बचपन और जवानी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कई शहरों में गुजरा। बाद में वे बंबई पहुंची, तो वहीं की होकर रह गईं। इस्मत चुगताई की जिंदगी पर शुरुआत से…

  • राहत की स्मृति: ‘वो गर्दन नापता है नाप ले, मगर जालिम से डर जाने का नहीं’

    राहत की स्मृति: ‘वो गर्दन नापता है नाप ले, मगर जालिम से डर जाने का नहीं’

    अब ना मैं हूं ना बाक़ी हैं ज़माने मेरेफिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरेकुछ ऐसे ही हालात हैं, शायर राहत इंदौरी के इस जहान-ए-फानी से जाने के बाद। उनको चाहने वाला हर शख्स, इस महबूब शायर को अपनी—अपनी तरह से याद कर रहा है। उनके अशआर को दोहरा रहा है। राहत इंदौरी बेहद…

  • जन्म दिन विशेषः नेमिचंद्र जैन ने रंगकर्म में भरे जीवन के रंग

    जन्म दिन विशेषः नेमिचंद्र जैन ने रंगकर्म में भरे जीवन के रंग

    साल 2019, नेमिचंद्र जैन यानी नेमि बाबू का जन्मशती वर्ष था। पिछले साल उनकी याद में शुरू हुए तमाम साहित्यिक कार्यक्रम, इस साल उनके जन्म दिवस 16 अगस्त पर खतम होंगे। नेमिचंद्र जैन, हिंदी साहित्य में अकेली ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने जिंदगी के मंच पर कवि, साहित्यालोचक, नाट्य आलोचक, अनुवादक, पत्रकार और संपादक जैसे मुख्तलिफ…

  • चंद्रकांत देवताले की पुण्यतिथिः ‘हत्यारे सिर्फ मुअत्तिल आज, और घुस गए हैं न्याय की लंबी सुरंग में’

    चंद्रकांत देवताले की पुण्यतिथिः ‘हत्यारे सिर्फ मुअत्तिल आज, और घुस गए हैं न्याय की लंबी सुरंग में’

    हिंदी साहित्य में साठ के दशक में नई कविता का जो आंदोलन चला, चंद्रकांत देवताले इस आंदोलन के एक प्रमुख कवि थे। गजानन माधव मुक्तिबोध, नागार्जुन, शमशेर बहादुर सिंह, केदारनाथ अग्रवाल जैसे कवियों की परंपरा से वे आते थे। अपने अग्रज कवियों की तरह उनकी कविताओं में भी जनपक्षधरता और असमानता, अन्याय, शोषण के प्रति…

  • कवयित्री शोभा सिंह को मिला ‘पथ के साथी’ सम्मान

    कवयित्री शोभा सिंह को मिला ‘पथ के साथी’ सम्मान

    नई दिल्ली। वरिष्ठ कवयित्री शोभा सिंह को ‘पथ के साथी’ सम्मान दिया गया। ‘सिद्धांत फाउंडेशन’ ने यह सम्मान उन्हें प्रसिद्ध कवि मंगलेश डबराल के हाथों दिया। शोभा के दूसरे कविता संग्रह ‘यह मिट्टी दस्तावेज़ हमारा’ का लोकार्पण भी हुआ। ‘सफाई कर्मचारी आंदोलन’ के दफ्तर में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मंगलेश डबराल ने कहा…