चंद्रबाबू नायडू: टीडीपी की विरासत और आंध्र प्रदेश की राजनीति के कुशल खिलाड़ी

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आंध्र प्रदेश में एन. चंद्रबाबू नायडू यानि तेलुगु देशम पार्टी की सरकार बननी तय है। लोक सभा-2024 चुनावों के साथ ही आंध्र प्रदेश और ओडिशा विधान सभाओं के भी चुनाव कराए गए थे, जिनमें ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी की करारी हार हुई। पर आंध्र प्रदेश विधान सभा के नए चुनावों में टीडीपी ने जबरदस्त जीत दर्ज की। टीडीपी ने 2024 के विधान सभा चुनावों में सदन की 175 में से 135 सीटों पर जीत दर्ज की है। इन चुनावों में टीडीपी का भाजपा और तेलुगु फिल्मों के अभिनेता पवन कल्याण की जनसेना पार्टी से गठबंधन था। भाजपा ने 8 और जनसेना पार्टी ने 21 सीटें जीती है। वाईएसआरसीपी ने 21 सीटें जीती है।

नायडू तीसरी बार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बन रहे हैं। शपथ ग्रहण समारोह गन्नावरम हवाई अड्डे के पास केसरपल्ली आईटी पार्क में बुधवार 12 जून को पूर्वाहन 11 बज कर 27 मिनट से शुरू होगा। वह पहली बार 30 वर्ष पहले 1995 में मुख्यमंत्री बने थे और 2004 तक इस पद पर रहे। टीडीपी के 2004 के विधान सभा चुनावों में हार जाने पर वाई एस राजशेखर रेड्डी यानि वायएसआरआर मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद चंद्रबाबू ही 2014 में नवगठित राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने थे।

नायडू की आंध्र प्रदेश ही नहीं राष्ट्रीय राजनीति में भी बड़ी भूमिका रही है। वह लोक सभा के 1996 और 1998 के चुनावों में उस नेशनल फ्रंट के संयोजक थे जिसने लोक सभा के 1998 के चुनावों के बाद बनी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार का समर्थन किया था।

मोदी सरकार के खिलाफ नया मोर्चा

चंद्रबाबू नायडू पहले भी 1994 से 2004 तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे। उन्होंने मोदी सरकार के खिलाफ नया मोर्चा बनाने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी संपर्क साधा था। उन्होंने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देने आदि के कारणों से मोदी सरकार और एनडीए का साथ छोड़ दिया था। कांग्रेस की अगुवाई के यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस यानि यूपीए की सरकार ने 2014 के लोक सभा चुनावों में आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा किया था। तब कांग्रेस ने माना था कि हैदराबाद को नए बने राज्य तेलंगाना को देने से आंध्र प्रदेश के राजस्व का नुक्सान होगा।

राहुल गांधी ने आंध्र प्रदेश के कांग्रेसी नेताओं के साथ बैठक में कहा था कि उनकी पार्टी के केंद्र की सत्ता में लौटने पर तत्काल प्रभाव से इस प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाएगा। आंध्र प्रदेश के विभाजन के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री एन किरण कुमार रेड्डी यानि एनकेकेआर ने कांग्रेस से अलग होकर अपनी नई पार्टी बना ली थी। पर वह बाद में कांग्रेस में लौट आये।

आंध्र विभाजन और राजधानी की राजनीति

आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के नेता रहे वाय एस राजशेखर रेड्डी यानि वायएसआरआर के निधन के बाद मुख्यमंत्री बने एन किरण कुमार ने यूपीए सरकार के दूसरे शासनकाल में आंध्र प्रदेश रिऑर्गेनाइजेशन एक्ट बनाने के विरोध में फरवरी 2014 में कांग्रेस से इस्तीफा देकर अलग पार्टी बना ली थी। उनके इस्तीफा के बाद आंध्र प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया और उसी दौरान प्रदेश का विभाजन कर उसे दो जून से विधिवत प्रभावी कर दिया गया। इसके फलस्वरूप तेलंगाना और शेष आंध्र प्रदेश के समुद्र-तटीय क्षेत्र सीमांध्र के दो राज्य बने।

पूर्ववर्ती आंध्र प्रदेश के तीन क्षेत्रों- तेलंगाना, तटीय आंध्र और रायलसीमा में से तेलंगाना को यूनियन ऑफ इंडिया रिपब्लिक का 29 वां राज्य बनाया गया। तेलंगाना में आंध्र प्रदेश के 10 उत्तर पश्चिमी जिलों को शामिल किया गया। हैदराबाद को 10 वर्ष के लिए तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की संयुक्त राजधानी बनाया गया। राष्ट्रपति शासन की अवधि 2 जून 2014 को खत्म होने पर तेलंगाना और शेष आंध्र प्रदेश दोनों राज्यों में भारत के संविधान के तहत विधान सभाओं का गठन कर उनकी विधान सभा के चुनाव कराये गए।

टीडीपी, मोदी सरकार और एनडीए से भी मार्च 2018 में अलग हो गई थी। मोदी सरकार के खिलाफ लोक सभा में पेश अविश्वास प्रस्ताव पर जुलाई 2018 में हुई बहस में टीडीपी सांसद जयदेव गाला ने यहां तक कह दिया था कि प्रधानमंत्री जी, यह धमकी नहीं, श्राप है, आंध्र में भाजपा का भी कांग्रेस की तरह सूपड़ा साफ हो जाएगा। क्योंकि इस सरकार के कार्यकाल में आंध्र प्रदेश के लिए किये गए वादे खोखले वादों की कहानी है। टीडीपी की मांग है कि आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद विजयवाड़ा नगर के पास अमरावती में बसाई नई राजधानी के लिए वित्तीय मदद देकर आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए।

दक्षिण भारत में फिल्म कलाकारों की राजनीति

फिल्म अभिनेता से नेता बने पवन कल्याण की जन सेना पार्टी का उत्तर आंध्रा में कुछ जनाधार है। फिल्म अभिनेता चिरंजीवी ने भी कुछ समय पहले प्रजा राज्यम पार्टी यानि पीआरपी बनाई थी जिसका बाद में कांग्रेस में विलय हो गया। दक्षिण भारत के सभी राज्यों में फिल्मी कलाकारों के राजनीति में आने की परंपरा रही है। एनटीआर ने आंध्र प्रदेश में सरकार बनाई और तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कषगम यानि डीएमके पार्टी के दिवंगत एम करूणानिधि मुख्यमंत्री रहे।

डीएमके से अलग गठित आल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम यानि एआईडीएमके अब दिवंगत नेता एम जी रामचंद्रन यानि एमजीआर और दिवंगत जे जयललिता भी फिल्मों से ही राजनीति में आये और मुख्यमंत्री भी रहे। कर्नाटक और केरल में भी फिल्म कलाकारों के राजनीति में आने की परम्परा रही है। पवन कल्याण की जेएसपी ने आंध्र प्रदेश के चुनावों में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की बहुजन समाज पार्टी यानि बसपा और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया यानि सीपीआई के साथ गठबंधन किया था।

चंद्रबाबू नायडू का जलवा

पहले भी मुख्यमंत्री रहे चंद्रबाबू नायडू टीडीपी के संस्थापक और दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री एन टी रामाराव यानि एनटीआर के दामाद हैं जो तेलुगु फिल्मों के लोकप्रिय नायक थे। चंद्रबाबू नायडू ने अपने ससुर एनटीआर के निधन के बाद टीडीपी की बागडोर संभाली। वह 1987 में पहला चुनाव लड़े थे और उनके बेटे नारा लोकेश को टीडीपी का भावी नेता माना जाता है। नारा लोकेश राज्य सरकार में मंत्री रहे हैं।

आंध्र प्रदेश के नवनिर्मित विधान सभा भवन में 2016 के बजट सत्र से कामकाज शुरू हो गया। इसमें नवीनतम तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध हैं। सदन में दिए भाषणों के स्वचालित अनुवाद और मतदान की स्वत: संचालित रिकॉर्डिंग की व्यवस्था भी हैं। यह भवन आन्ध्र प्रदेश के विजयवाड़ा नगर के निकट बसाई गई नई राजधानी अमरावती में है।

पीएचडी हैं चंद्रबाबू नायडू

एन. चंद्रबाबू नायडू का जन्म 20 अप्रैल 1950 को आंध्र प्रदेश के एक गांव नारावरिपल्ले के किसान एन खर्जुरा नायडू और अम्मानम्मा के घर में हुआ था। उन्होंने शेषपुरम के स्कूल से प्राथमिक शिक्षा और चंद्रगिरि के सरकारी स्कूल से 10वीं तक की पढ़ाई के बाद 1972 में तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर आर्ट्स कॉलेज से स्नातक और वेंकटेश्वर यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में एमए कर अर्थशास्त्र में ही पीएचडी भी की है।

(चंद्र प्रकाश झा स्वतंत्र पत्रकार और लेखक हैं)

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