चंद्रयान-3: वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को नहीं मिला है 17 महीने से वेतन

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नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता को भारत के लिए गर्व का क्षण बताया। उसके बाद केंद्र सरकार और संघ-भाजपा के कार्यकर्ता-नेता इस उपलब्धि का श्रेय लेने के प्रचार में लग गए। लेकिन इसके बाद चंद्रयान मिशन में वर्षों से लगे वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और कर्मचारियों को लेकर जो सच्चाई सामने आई, उससे पूरा देश हतप्रभ रह गया। द टेलिग्राफ में प्रकाशित खबर के मुताबिक चंद्रयान-3 मिशन पर काम करने वाले इंजीनियरों को वर्षों से वेतन नहीं मिला है।

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि “चंद्रयान-3 पर काम करने वाले एचईसी (हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन, रांची) के इंजीनियरों को पिछले 17 महीनों से वेतन नहीं मिला है। साथ ही मोदी सरकार ने ऐसे महत्वपूर्ण मिशनों के लिए बजट में 32 प्रतिशत की कटौती कर दी है। ये हमारे देश के हीरो हैं, ये विश्वस्तरीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम चलाते हैं, लेकिन मोदी सरकार को इनकी प्रतिभा और मेहनत की कोई कद्र नहीं है। जले पर नमक छिड़कने के लिए, आप तब सुर्खियों में आए जब वह क्षण वैज्ञानिकों की उपलब्धियों का था।”

केंद्र सरकार द्वारा इस वर्ष पारित बजट में अंतरिक्ष विभाग के बजट में कटौती की गई है। सबसे बड़ी कटौती अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के लिए 1,093.84 करोड़ रुपये की थी, जिससे उपग्रहों और प्रक्षेपण वाहनों से जुड़े विकास और संचालन परियोजनाओं पर इसरो का खर्च प्रभावित हुआ।

अंतरिक्ष मिशनों के लिए बजटीय आवंटन में कटौती और चंद्रयान-3 मिशन पर काम करने वाले इंजीनियरों के वेतन भुगतान में कथित देरी को लेकर अब सवाल उठ रहे हैं। लेकिन बात वेतन तक ही सीमित नहीं है। वैज्ञानिक अमिताभ पांडेय ने जनचौक से बातचीत में बताया कि “ऐसे किसी भी अंतरिक्ष मिशन या उपलब्धि के बाद मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को एक प्रोत्साहन राशि (इंसेंटिव) मिलता रहा है। यह किसी महत्वपूर्ण उपलब्धि के बाद वैज्ञानिकों-इंजीनियरों का हौसला बढ़ाने, और वो किसी दूसरी जगह जाने के बारे में न सोचें, इसलिए किया जाता है। लेकिन मोदी सरकार ने चंद्रयान-2 की विफलता के बाद वैज्ञानिकों-इंजीनियरों को कोई प्रोत्साहन राशि नहीं दिया। अब चंद्रयान-3 की सफलता के साथ उनका 17 महीने से वेतन रूका है।”

चंद्रमा पर चंद्रयान-3 उतरने की उपलब्धि के लिए मोदी के नेतृत्व के प्रचार को देखते हुए कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने विज्ञान के प्रति सरकार के रवैये पर गंभीर सवाल उठाए। इस दौरान उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को याद किया, जिन्होंने देश में तकनीकी प्रगति के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे का निर्माण किया था।

वेणुगोपाल ने एक्स पर पोस्ट किया, “चंद्रयान-3 का उत्साह और गौरव लंबे समय तक हमारे साथ रहेगा। इसरो के अध्यक्ष डॉ. सोमनाथ के नेतृत्व ने वास्तव में इतिहास रचा है और हम उन्हें और उनकी टीम को हार्दिक बधाई देते हैं। हालांकि, प्रधानमंत्री को अपने पाखंड के लिए कुछ (सवालों) का जवाब देना चाहिए। आपको स्क्रीन पर आने और लैंडिंग के बाद श्रेय लेने की जल्दी थी, लेकिन आपकी सरकार वैज्ञानिकों और इसरो का समर्थन करने में इतनी बुरी तरह विफल क्यों रही है?”

वेणुगोपाल के अलावा दिग्विजय सिंह ने भी हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन, रांची के इंजीनियरों के वेतन का मुद्दा उठाया। रिपोर्टों से पता चलता है कि एचईसी के कर्मचारियों को परेशानी हुई लेकिन उन्होंने बिना वेतन के चंद्रयान परियोजना पर काम जारी रखने का फैसला किया। चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद एचईसी के इंजीनियरों और कर्मचारियों ने रांची परिसर में पटाखे भी फोड़े और मिठाइयां बांटी।

कांग्रेस संचार प्रमुख जयराम रमेश ने बुधवार को कहा था कि कैसे इंदिरा गांधी ने वैज्ञानिकों के साथ असाधारण व्यवहार करते हुए उनकी जरूरतों और मांगों को पूरा करती थीं।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार ने गुरुवार को इसरो चेयरमैन सोमनाथ से मुलाकात की। सोनिया गांधी ने भी उन्हें पत्र लिखकर इस उपलब्धि के लिए बधाई दी।

सोनिया ने लिखा, ”इसरो की उत्कृष्ट क्षमताएं दशकों में विकसित हुई हैं। इसमें उल्लेखनीय नेतृत्वकर्ता रहे हैं और सामूहिक प्रयास की भावना ने इसे हमेशा प्रेरित किया है। साठ के दशक की शुरुआत से ही इसे आत्मनिर्भरता पर आधारित किया जा रहा है, जिसने इसकी बड़ी सफलताओं में योगदान दिया है।

चंद्रयान-3 मिशन के चांद की कक्षा में प्रवेश कर सफलतापूर्वक लैंड करने पर पूरा देश गर्व महसूस कर रहा है। 23 अगस्त, 2023 को भारतीय समयानुसार सायं 06:04 बजे के आसपास जब यह यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास की सतह पर सफलतापूर्वक उतरा तो यह भारतीय वैज्ञानिक इतिहास का स्वर्णिम इतिहास बन गया। इसी के साथ भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला और चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा देश बन गया।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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    Rajesh Kumar

    ये प्रोपेगंडा ना फैलाएं।HEC जैसी कंपनियों ने टेंडर के आधार पर ISRO में CONTRACT पर काम किया है।जिसका उन्हें पेमेंट किया गया है।ये सब पब्लिक सेक्टर कंपनी है।ऐसी सैकड़ो कंपनीज ने ISRO से चंद्रयान के ठेके उठाये और पेमेंट लिया है।ऐसी कंपनीज ISRO और चन्द्रयान का हिस्सा नही हैं। HEC जैसी पब्लिक सेक्टर कंपनीज में हरामखोरी चरमसीमा पर है।कोई इंप्लाई काम करने को राजी नहीं।ऐसी घाटेवाली कंपनीज को तुरंत बंद करके पब्लिक का पैसा बरबाद होने से बचाना चाहिए।

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