केरल की पाठ्यपुस्तकों में एनसीईआरटी द्वारा हटाए गए अध्यायों को किया गया शामिल

Estimated read time 1 min read

नई दिल्ली। केरल सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम से एनसीईआरटी द्वारा हटाए गए पाठों को राज्य की स्कूली शिक्षा में शामिल करने का महत्वपूर्ण फैसला किया है। इस तरह अब तमाम विषयों के छात्रों को इतिहास, समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र की पूरी समझ विकसित करने में मदद मिलेगी। अब छात्र आधी-अधूरी जानकारी के बजाए पूरी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।

राज्य सरकार ने मुगल काल और अकबरनामा, जो राजा अकबर और उनके पूर्ववर्तियों के शासनकाल का विवरण देता है, केरल के कक्षा 11 और 12 के छात्रों के लिए जल्द ही जारी होने वाली पूरक पाठ्यपुस्तकों में प्रमुखता से शामिल किया है।

मुगल काल के अलावा, इतिहास की पाठ्यपुस्तक मध्य युग, सांस्कृतिक गठन, खोजों और आविष्कारों का युग और विभाजन के इतिहास जैसे विषयों को शामिल किया गया है। इतिहास, राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र की नई पाठ्यपुस्तकों में उन अंशों को फिर से शामिल किया गया हैं जिन्हें हाल ही में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने हटा दिया था।

किताबें छात्रों को भारत में गरीबी और अकाल, गरीबी जारी रहने के कारणों और गरीबी उन्मूलन के बारे में जानकारी देंगी। सूत्रों ने बताया कि ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ की नवीनतम रिपोर्ट को भी पाठ्यपुस्तक में शामिल किया गया है।

संयोग से, 2022 में 121 देशों के सूचकांक में भारत की रैंकिंग 107वें स्थान पर होने से ‘महिला एवं बाल विकास मंत्रालय’ नाराज हो गया था, जिसने रिपोर्ट को भारत की छवि को खराब करने के लगातार प्रयास का हिस्सा करार दिया था।

समाजशास्त्र की पाठ्यपुस्तक में जाति, सामाजिक परिवर्तन और विकास, और सांप्रदायिक दंगों के इतिहास और कुछ समुदायों के खिलाफ किए गए अत्याचारों सहित सामाजिक संस्थानों को शामिल किया गया है। मानवाधिकारों की अवधारणा और सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसलों के बारे में भी पढ़ाया जाएगा।

प्रमुख इतिहासकार राजन गुरुक्कल का मानना है कि पाठ्यपुस्तकों से इतिहास के कुछ निश्चित कालखंडों को हटाने से अतीत की केवल संक्षिप्त समझ ही सामने आएगी और एक सतत प्रक्रिया के रूप में इतिहास की समझ खो जाएगी। उन्होंने कहा कि इन्हें बहाल करने से बच्चों को बिना किसी सांप्रदायिक विभाजन और पूर्वाग्रह के इतिहास को एक धर्मनिरपेक्ष विषय के रूप में समझने में मदद मिलेगी जो राष्ट्रीय सरकार के एजेंडे का हिस्सा है।

हालांकि, समाजशास्त्र पर एनसीईआरटी की पाठ्यक्रम समिति के अध्यक्ष सी.आई.इसहाक ने कहा कि मुगल इतिहास को अत्यधिक पढ़ाया गया जबकि मुगलों को हराने वाले कई हिंदू राजाओं के इतिहास को नजरअंदाज कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि देश के अब तक के अस्पष्ट इतिहास को समायोजित करने और स्वतंत्रता के बाद के इतिहास सहित इतिहास का एक संतुलित संस्करण प्रस्तुत करने के लिए पुस्तकों के कुछ हिस्सों को संपादित किया गया था।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author