चुनावी हलफ़नामे में अपने अपराध केसेज छुपाने के मामले में देवेंद्र फडनवीस पर आरोप तय

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शनिवार 4 दिसंबर को ज्यूडिशियल एक्टिविस्ट सतीश उके की याचिका पर सुनवाई करते हुये प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट वीएम देशमुख की बेंच ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस के ख़िलाफ़ आरोप तय कर दिये हैं। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस पर साल 2014 में चुनावी हलफ़नामे में अपने ख़िलाफ़ दर्ज़ आपराधिक मामलों का कथित रूप से खुलासा नहीं करने के मामले में शनिवार को अदालत ने आरोप तय किए हैं।

अदालत अधिवक्ता सतीश उके की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें चुनावी हलफ़नामे में आपराधिक मामले का ‘खुलासा नहीं करने’ पर फडनवीस के ख़िलाफ़ आपराधिक कार्रवाई की मांग की गई थी। अदालत ने इस मामले में 24 नवंबर को दोनों पक्षों को सुना था। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया आरोपी (फडनवीस) के ख़िलाफ़ अपराध बनता है। उसने यह सुनवाई भी की कि क्या फडनवीस की मौजूदगी ज़रूरी है। फडनवीस ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 205 के तहत एक आवेदन दायर किया था और अदालत में व्यक्तिगत पेशी से छूट मांगी थी और एक शपथ-पत्र दिया था कि उनके वकील उदय दाबले मौजूद रहेंगे और उनकी ओर से आरोपों का जवाब देंगे। अदालत ने उनका आवेदन स्वीकर किया था।

सुनवाई के दौरान जब अदालत ने फडनवीस से पूछा कि क्या वह दोष मानते हैं, इस पर उनके वकील ने कहा कि वह दोषी नहीं हैं। अदालत ने फडनवीस को एक हलफ़नामा दायर करने का भी निर्देश दिया कि वह आरोपों को ठीक से समझ चुके हैं और उनकी अनुपस्थिति में याचिका और विवरण दर्ज़ करने में कोई पूर्वाग्रह नहीं है और वह भविष्य में इस पर विवाद नहीं करेंगे।

अदालत ने मामले में शिकायतकर्ता से भी गवाहों की नई सूची पेश करने को कहा। अधिवक्ता सतीश उके ने तर्क दिया है कि भाजपा नेता ने अपने ख़िलाफ़ दो लंबित आपराधिक मामलों का खुलासा नहीं करके 2014 में झूठा हलफ़नामा दायर किया था। फडनवीस के ख़िलाफ़ 1996 और 1998 में धोखाधड़ी और ज़ालसाजी के मामले दर्ज़ किए गए थे।

(जनचौक स्टाफ की तरफ से।)

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