छत्तीसगढ़ः सामने आया पुलिस का हैवानी चेहरा, एचआईवी पीड़िताओं समेत एक्टिविस्ट प्रियंका शुक्ला को बुरी तरह पीटा, सभी को ले गए अज्ञात स्थान पर

छत्तीसगढ़ पुलिस का बर्बर चेहरा सामने आया है। यहां एचआईवी पीड़ित लड़कियों के साथ उनके शेल्टर होम ‘अपना घर’ में घुस कर पुलिस ने बुरी तरह से मारपीट की है। लड़कियों को बाल पकड़कर खींचा गया। उन्हें इस बुरी तरह से पीटा गया है कि फर्श पर खून फैला देखा गया है। इस बात का खुलासा एक पत्रकार ने फेसबुक लाइव के जरिये किया है।

एचआईवी पीड़ित लड़कियों के पक्ष में वहां मौजूद मानवाधिकार कार्यकर्ता और अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला के साथ भी पुरुष पुलिस वालों ने और महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने जमकर मारपीट की। एक चश्मदीद पत्रकार के मुताबिक, ‘अपना घर’ के फर्श पर खून फैला हुआ है और टूटी चूड़ियां बिखरी हुई हैं। प्रियंका शुक्ला और शेल्टर होम की लड़कियों को पुलिस किसी अज्ञात जगह पर ले गई है।

प्रियंका शुक्ला के फेसबुक पेज पर एक पत्रकार ने लाइव के जरिये यह जानकारी साझा की है। पत्रकार के मुताबिक, वे मौके पर पहुंचे तो पुलिस ने उनसे तू-तड़ाक की और सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए उनका मोबाइल फोन छीन लिया।

चश्मदीद पत्रकार के मुताबिक, सरकंडा थाने के थानेदार सनी परात्रे और उनके साथ पुरुष पुलिकर्मियों, निशा पांडेय, महिला बाल विकास अधिकारी पार्वती वर्मा, सुरेश सिंह आदि ने एचआइवी पीड़ित लड़कियों के साथ निर्ममता से मारपीट की। उन्हें बाल पकड़ कर घसीटा गया। फर्श पर खून बिखरा हुआ था और लड़कियों की चूड़ियां और कानों की बालियां टूटी पड़ी थीं।

वकील और पीयूसीएल की एक्टिविस्ट प्रियंका शुक्ला के साथ भी मारपीट की गई। प्रियंका आम आदमी पार्टी से भी जुड़ी हैं। इन सभी को पुलिस जबरन किसी अज्ञात स्थान पर ले गई है।

यह ‘अपना घर’ छत्तीसगढ़ राज्य में एचआईवी लड़कियों के लिए अकेला शेल्टर होम है। यह कई वर्षों से बिना सरकारी मदद के चल रहा है। पिछले साल सरकारी मदद के लिए एप्लिकेशन दी गई थी। आरोप है कि महिला बाल विकास विभाग की अधिकारी ने इसके एवज में अनुदान का 30 फीसदी हिस्सा रिश्वत के रूप में देने की शर्त रखी, जिसे मानने से इनकार कर दिया गया। इस पर महिला बाल विकास विभाग तरह-तरह की आपत्तियां जताने लगा।

शेल्टर होम में माइक्रोवेव है तो महिला बाल विकास विभाग ने अवन होने को आपत्तिजनक बताया, जबकि ऐसा कोई नियम नहीं है। इस बारे में ‘अपना घर’ की ओर से शिकायत भी प्रशासन से की गई थी।

इस घटना का पता चलते ही हर तरफ निंदा की जा रही है। सवाल उठाया जा रहा है कि क्या भाजपा की जगह कांग्रेस सरकार आ जाने के बाद भी निर्दोष लोगों के बर्बर दमन का सिलसिला जारी रहेगा।

मानवाधिकार कार्यकर्ता रवीश आलम ने लिखा है, “छत्तीसगढ़ सरकार अधिवक्ता प्रिया शुक्ला को तत्काल रिहा_करो।
मानवाधिकारनेताओं का #दमन #बंदकरो
HIV पॉजिटिव बच्चियों को छत्तीसगढ़ महिला बाल विकास अधिकारियों और पुरुष पुलिस ने मार-मार कर लहूलुहान कर दिया।
विरोध करने पर अधिवक्ता साथी Priya Shukla को भी मारा गया है और गिरफ़्तार करके अज्ञात जगह ले जाने की सूचना है।”

कवि-एक्टिविस्ट कविता कृष्णपल्लवी ने लिखा है, “छत्तीसगढ़ में मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील प्रियंका शुक्ला की गिरफ्तारी बहुत चिंताजनक समाचार है। क्या पुलिसिया ज़ोरो-ज़ुल्म, मानवाधिकारों के हनन, नक्सली का ठप्पा लगाकर आदिवासियों के बर्बर उत्पीड़न, नागरिक अधिकार कर्मियों के दमन और छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक संसाधनों को कौड़ियों के मोल पूंजीपतियों को सौंपने के मामले में छत्तीसगढ़ की कांग्रेसी सरकार भाजपा सरकार के ही नक़्शे-कदम पर नहीं चल रही है? और भला क्यों न चले!”

https://www.facebook.com/priya.shukla.aap/videos/1497140233822193/

उन्होंने लिखा है, “‘सलवा जुडुम’ का खूनी खेल इसी पार्टी के महेंद्र कर्मा ने शुरू किया था। गृहमंत्री रहते चिदंबरम ने ही अर्द्ध सैनिक बलों के ‘आतंक राज’ की शुरुआत की थी तथा पूरे इलाके को धनपशुओं की लूट के लिए निरापद बनाने और स्थानीय आबादी के प्रतिरोध को कुचल देने की नीतिगत दिशा तय करते हुए मनमोहन सिंह ने ही नक्सली आतंक को सबसे बड़ा आन्तरिक ख़तरा बताया था। भाजपा अगर एक बर्बर फासिस्ट पार्टी है तो कांग्रेस भी पुरानी बोनापार्टिस्ट टाइप पार्टियों से अधिक निरंकुश दमनकारी चरित्र की बुर्जुआ पार्टी है।”

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