मणिपुर जले या महिलाएं बिलखती रहें, मोदी जी नहीं उतरेंगे चुनाव-प्रचार रथ से

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पीएम मोदी पिछले तीन दिनों तक कर्नाटक में जमे हुए हैं। और अगले दो तक वहीं बने रहेंगे। इस दौरान वह लगातार चुनाव प्रचार कर रहे हैं। कहीं सभाएं तो कहीं रोड शो कर रहे हैं। तो कहीं किसी दूसरे तरीके से मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा करते हुए वह कई बार मर्यादा की तमाम सीमाओं को भी लांघ जा रहे हैं। मसलन अपनी कोई भी सभा शुरू करने से पहले वह बजरंग बली का नारा लगवा रहे हैं। और सभा के अंत में श्रोताओं को इस बात की ताकीद कर रहे हैं कि जयबजरंग बली का नारा लगा कर ही वो ईवीएम का बटन दबाएं। अपने चुनाव प्रचार में इस तरह के धार्मिक प्रतीकों के इस्तेमाल तक ही वह सीमित नहीं हैं बल्कि अब उन्होंने खुलकर सांप्रदायिकता का कार्ड खेलना शुरू कर दिया है।

कल उन्होंने एक सभा में ‘द केरल स्टोरी’ का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा और उसे आतंकवाद का पक्षधर और संरक्षक तक करार दे दिया। दरअसल पार्टी की बुरी स्थिति को देखते हुए और सूबे के नेताओं के समर्पण के बाद उन्होंने अब चुनाव की कमान खुद संभाल ली है। और पीएम से ज्यादा प्रचारक की भूमिका में खड़े हो गए हैं। ऐसे में देश के दूसरे बड़े सवालों की तरफ न तो उनका ध्यान जा रहा है और न ही उस पर वह देखना चाहते हैं। एक तरफ मणिपुर जल रहा है जहां 53 से ज्यादा लोगों की मौतें हो चुकी हैं। सूबे के आधे से ज्यादा जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है और देखते ही गोली मारने का आदेश है। और इसी कड़ी में आज पुलिस की गोली से चार लोगों की जान चली गयी।

एक सूबे में अपने ही लोग अपने लोगों की हत्या कर रहे हैं। कहीं हिंसा में मौत हो रही है तो कहीं पुलिस की निकली गोलियां उनका जान ले रही हैं। हमें नहीं भूलना चाहिए कि इसी सूबे के चुनाव के दौरान एक चुनावी सभा में पीएम मोदी ने कहा था कि मणिपुर की जनता सूबे को बीजेपी के हाथ में देकर 25 साल तक निश्चिंत रह सकती है। लेकिन 25 की क्या बात करें अभी डेढ़ साल भी नहीं हुआ बीजेपी के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने पूरे सूबे को गृहयुद्ध में झोंक दिया है। लेकिन पीएम मोदी वहां जाने, उन हालातों को समझने और उस पर बैठक कर मामले को हल करने की जगह उस पर एक बयान तक देने के लिए तैयार नहीं हैं। और कर्नाटक में रहते हुए इस तरह का हाव-भाव प्रदर्शित कर रहे हैं जैसे देश में कुछ हुआ ही न हो। या फिर उनको इस बात की जानकारी ही न हो। 

महिला पहलवानों के मसले पर भी उन्होंने यही रुख अपना रखा है। मेडल जीतने के समय जिन महिला पहलवानों से मिलकर देश को गौरव के क्षण मुहैया कराने के लिए उन्हें शाबाशी दी थी अब वही महिला पहलवान जब अपने यौन शोषण के मामले को लेकर सड़क पर उतरने के लिए मजबूर हो गयी हैं और उनके आवास से चंद कदमों की दूरी पर बैठी हैं तो उनकी खोज-खबर लेने की बात तो दूर उनके लिए सहानुभूति और आश्वासन के दो लफ्ज भी उनके मुंह से नहीं निकल रहा है। आलम यह है कि इस मामले के आरोपी और उनके सांसद घूम-घूम कर चैनलों पर महिलाओं के खिलाफ बयानबाजी करते हुए उनके चरित्र का हनन कर रहे हैं।

पिछले नौ सालों के शासन के बाद अब पूरा देश इस बात को जान गया है कि बगैर पीएम मोदी के इशारे के बीजेपी में एक पत्ता तक नहीं हिलता है। उनके खिलाफ जाकर कोई एक दिन भी बीजेपी में नहीं रह सकता है। ऐसे में अगर बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह इस तरह का कोई बयान दे रहे हैं तो यह बगैर पीएम मोदी की जानकारी और यहां तक कि उनकी सहमति के बगैर संभव नहीं है। 

लेकिन अब विपक्ष ने इस पर हमला बोलना शुरू कर दिया है। और एक बार फिर से उन्हें उनके राजधर्म की याद दिलायी जाने लगी है। शुक्रवार को कांग्रेस ने कहा कि पीएम मोदी कर्नाटक के चुनाव प्रचार में इतना डूब गए हैं कि उन्हें मणिपुर में जारी हिंसा का कोई ख्याल तक नहीं है। कांग्रेस का कहना है कि पीएम मोदी ने जिस तरह से तीन दिनों तक कर्नाटक में रहने का फैसला किया है उससे लगता है कि वह देश के पीएम नहीं बल्कि उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी बीजेपी के लिए वोट हासिल करना है। यह पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी इस तरह से किसी राज्य के चुनाव में शामिल हुए हैं। इसके पहले भी अपनी इस शैली के लिए वह विपक्ष के निशाने पर रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि देश का कोई प्रधानमंत्री इस तरह से चुनाव अभियानों में हिस्सा नहीं लेता था।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी से शांति की बहाली के लिए उनसे मणिपुर पर केंद्रित करने का निवेदन किया। जबकि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट कर कहा कि “मणिपुर जल रहा है। बीजेपी ने समुदायों के बीच संदेह पैदा कर दिया है और एक खूबसूरत राज्य की शांति को बरबाद कर दिया है। इस तबाही के लिए बीजेपी की घृणा, विभाजन और लालच की राजनीति जिम्मेदार है। हम सभी पक्षों के लोगों से धैर्य रखने और शांति को एक मौका देने की अपील करते हैं।”

इस मामले में पीएम मोदी पर हमले के लिए कांग्रेस ने अपने कई नेताओं को लगता है उतार दिया है। कांग्रेस की सोशल मीडिया सेल की इंचार्ज सुप्रिया श्रीनेत जो अपने कड़े तेवरों के लिए जानी जाती हैं, ने एक बार फिर से पीएम मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि “मोदी जी आपको आपके राजधर्म की याद दिलाना जरूरी हो जाता है। आप एक चुने हुए प्रधानमंत्री हैं न कि बीजेपी के एक प्रचारक। मणिपुर का आधा हिस्सा कर्फ्यू में है, हिंसा और आगजनी ने पूरे सूबे को अपनी चपेट में ले लिया है। और आप ने पूरे मामले को एक गवर्नर पर देखते ही गोली मारने का आदेश जारी करने के लिए छोड़ दिया है।”

उन्होंने आगे सवालिया लहजे में कहा कि अगर मणिपुर जलकर राख हो जाता है तो यह आपके और आपके गृहमंत्री अमित शाह के लिए कोई मायने नहीं रखता है? कोई नैतिकता नहीं बची है? गृहमंत्री कर्नाटक जाते हैं और कहते हैं कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो सूबे में दंगे होंगे। मणिपुर में कौन सत्ता में है? वह गृहमत्री के तौर पर नाकाम हो गए हैं। कभी असम और मेघालय के बीच फायरिंग होती है। कभी कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच झगड़ा होता है। क्या अब भी शाह के पास सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार बचा है?

मणिपुर की हिंसा को बेहद पीड़ादायक करार देते हुए कांग्रेस के कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि मणिपुर में संवैधानिक तंत्र ध्वस्त हो चुका है लेकिन पीएम और गृहमंत्री को इसकी कोई परवाह नहीं है। उन्हें सिर्फ एक बात से मतलब है और वह है वोट। राज्य में शांति की बहाली के बजाए बीजेपी के लिए कुछ और वोट उनके लिए ज्यादा मायने रखते हैं। शाह को बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए। कर्नाटक के लोग विभाजन के इन दूतों को माफ नहीं करेंगे।

कांग्रेस के महासचिव अजय माकन ने कहा कि पीएम यहां न केवल तीन दिनों से हैं बल्कि नौ घंटे का रोड शो कर वह आम जनता को परेशान करेंगे। यहां तक कि मरीज भी अस्पताल तक नहीं जा सकेंगे। पीएम पर देश की जिम्मेदारी होती है और मणिपुर जल रहा है। मोदी को लगातार मणिपुर की स्थितियों पर नजर रखनी चाहिए थी। क्या उनके स्थानीय नेता सक्षम नहीं हैं कि वो चुनाव अभियान को संचालित कर सकें?

(कुछ इनपुट टेलीग्राफ से लेकर जनचौक डेस्क पर बनी खबर।)

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