कांग्रेस अध्यक्ष लल्लू और विधायक दल की नेता आराधना।

मृत व्यापारी के परिजनों से मिलने जा रहे कांग्रेस अध्यक्ष लल्लू घाटमपुर में गिरफ्तार

8 सितंबर को गोली लगने से घायल हुए व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी कल रविवार की शाम कानपुर रीजेंसी अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिए। इंद्रकांत के परिवार में पत्नी रंजना, बेटा कृष्णा व एक बेटी है। उन्होंने मां काली एसोसिएट व आईपी ट्रेडर्स के नाम से विस्फोट का लाइसेंस लिया था और क्रशर का काम करते थे। 

कल कानपुर अस्पताल में महोबा व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत के बाद आज सोमवार की सुबह पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और विधायक दल की नेता आराधना मिश्रा को घाटमपुर में यूपी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। 

https://twitter.com/anilinsaf/status/1305431683328483330?s=19

वहीं समजावादी पार्टी के नेताओं को भी पीड़ित परिवार से मिलने जाते समय यूपी पुलिस द्वारा रोक दिया गया। समाजवादी पार्टी के ट्विटर हैंडल से यह जानकारी साझा की गयी है।

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस बाबत ट्वीट करके योगी सरकार पर मामले की निष्पक्ष जांच के बजाय लीपापोती करने का आरोप लगाया है। साथ ही उन्होंने आरोपित पुलिस कप्तान व डीएम के ख़िलाफ़ सरकार द्वारा इतनी ढिलाई बरते जाने पर भी सवाल खड़े किए हैं? इसके अलावा विपक्षी दलों को पीड़ित परिवारों से मिलने से रोकने पर सवाल खड़ा करते हुए वो पूछते हैं कि आखिर पुलिस किस अधिकार से जन प्रतिनिधियों को जनता से मिलने व उनके मुद्दे उठाने से रोक रही है? 

उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था बहाल करने के बजाय योगी सरकार का पूरा फोकस पीड़ित परिवारों से विपक्षी दलों को मिलने से रोकने पर है ताकि विपक्ष की सहानुभूति पाकर पीड़ित जाति समुदाय का वोट बैंक विपक्ष के पाले में न खिसक जाए। व्यापारी ने मरने से पहले सरकारी महकमे के ऊपर रंगदारी और प्रताड़ना का आरोप लगाया था। बता दें कि मरहूम व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी क्रशर कारोबारे थे और माइनिंग के लिए विस्फोटक सप्लाई करते थे।

महोबा एसपी पर प्रतिमाह 6 लाख घूस और जान से मारने की धमकी देने का आरोप

5 सितंबर को इंद्रकांत त्रिपाठी ने एक वीडियो वायरल कर आरोप लगाया था कि एसपी मणिलाल पाटीदार के दबाव में उन्हें 6 लाख रुपये महीना घूस देते हैं। लेकिन, लॉकडाउन में धंधा मंदा हो जाने के चलते जब उन्होंने आगे से घूस देने में असमर्थता ज़ाहिर की तो एसपी ने उनसे कहा कि अगर पैसा नहीं दोगे तो तुम्हें गोली मरवा देंगे। हमारे पास इतनी बड़ी फ़ोर्स है कि कोई तुम्हें कहीं भी गोली मार देगा। इंद्रकांत त्रिपाठी ने वीडियो वायरल करने से पहले मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखकर तत्कालीन एसपी के उत्पीड़न से अवगत कराया था।

इसके बाद 8 सितंबर 2020 को झांसी-मिर्जापुर हाइवे पर संदिग्ध परिस्थितियों में व्यापारी को गोली लगी थी। महोबा में एसपी के खिलाफ दिए बयान का वीडियो वायरल होने के अगले दिन ही क्रशर कारोबारी इंद्रकांत अपनी कार में घायल अवस्था में मिले थे। उनके गले में गोली लगी थी, उन्हें कानपुर के रीजेंसी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज़ करने वाले चिकित्सकों के मुताबिक़ व्यापारी इंद्रकांत के वोकल कार्ड के लेरिंग्स यानी ठोड़ी पर लगी गोली गले के पीछे सर्वाइकल स्पाइनल कॉर्ड को छूती हुई निकल गई थी, जिसकी वजह उन्हें पैरालाइसिस का अटैक पड़ गया था और पूरा शरीर पहले से शिथिल पड़ा हुआ था। बाद में उनके फेफड़े संक्रमित होने पर वेंटिलेटर पर रखा गया था। फेफड़ों में संक्रमण बढ़ऩे के चलते हालत बिगड़ती जा रही थी। रविवार देर शाम उनकी मौत हो गई। 

मामले को तूल पकड़ता देख 9 सितंबर को आईपीएस मणिलाल पाटीदार को सस्पेंड करते हुए उनके खिलाफ हत्या की कोशिश की एफआईआर दर्ज किया गया था। इस मामले में मणिलाल पाटीदार, पूर्व एसओ देवेंद्र शुक्ला सहित 4 नामजद, व अधीनस्थों पर आईपीसी की धारा 307 और 120बी के तहत केस दर्ज़ कराया गया था।

वीडियो वायरल होने के बाद अपनी जान बचाने के लिए गोली मरवाया

इंद्रकांत गोली कांड से पहले का एक धमकी भरा एक ऑडियो भी वायरल हो रहा है। इस ऑडियो कॉल में गैंगस्टर आशु भदौरिया व्यापारी के साले को धमकी देकर कह रहा है कि राजा साहब के नाराज होने पर अंजाम भुगतना होगा। बताया जा रहा है कि गोली मारने के चंद घंटे पहले ही यह धमकी दी गयी थी।

घर वालों का आरोप है कि वीडियो वायरल होने के बाद खुद को फंसता देख निलंबित एसपी ने ही इंद्रकांत पर गोली चलवा दी थी। 

गोली मारे जाने से पूर्व व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर पूरी जानकारी दी थी। उन्होंने दो कंपनियों का नाम लेते हुए एसपी को प्रतिमाह पांच-पांच लाख रुपये दिये जाने की जानकारी दी थी और एसपी पर धमकाकर रुपये वसूलने का आरोप लगाया था। इस वसूली में कबरई थाना प्रभारी के मध्यस्थ होने का भी आरोप लगाया गया था। पत्र में स्पष्ट रूप से बताया था कि उसने रुपये देने से मना किया तो एसपी पाटादीर ने उन्हें बुलवाया और डांटते हुए रुपये की व्यवस्था करने के लिए कहते हुए फर्जी मुकदमे में फंसाने या जान से मरवाने की धमकी दी थी। 

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