मुफ्त राशन योजना बढ़ाये जाने पर कांग्रेस का तीखा वार, कहा-आर्थिक संकट और बढ़ती असमानताओं का संकेत

नई दिल्ली। विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि केंद्र सरकार अगले पांच वर्षों तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न प्रदान करना जारी रखेगी। पीएम के इस घोषणा पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) योजना इस वर्ष दिसंबर में समाप्त होने वाली थी। शनिवार को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनावी रैलियों को संबोधित करते हुए, मोदी ने कहा कि यह सुनिश्चित करने का उनका संकल्प था कि देश में कोई भी भूखा न रहे। उन्होंने रविवार को मध्य प्रदेश के सिवनी में एक बार फिर ये घोषणा दोहराते हुए कहा कि “मैंने गरीबी देखी है… ये मोदी का संकल्प है। हम इस योजना को पांच साल के लिए बढ़ाएंगे। ये मोदी की गारंटी है। गरीबों को मुफ्त राशन मिलता रहेगा। हर गरीब माता-बहन जानती है कि जब मोदी गारंटी देते हैं, तो उन्होंने उस गारंटी को पूरा करने का संकल्प लिया है।”

कांग्रेस ने पीएम मोदी की इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि मुफ्त राशन योजना का विस्तार करने का फैसला “निरंतर उच्च स्तर के आर्थिक संकट और बढ़ती असमानताओं” का संकेत है।

जहां मुफ्त सुविधाओं को लेकर प्रधानमंत्री और भाजपा अक्सर विपक्ष हमला करते देखे गए हैं वहीं भाजपा की ये घोषणा कांग्रेस के लिए एक अहम मुद्दा बन गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं मुफ्त के वादों को “रेवड़ी संस्कृति” के रूप में परिभाषित किया था।

कांग्रेस के संचार प्रमुख जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री की ”ताजा घोषणा निरंतर उच्च स्तर के आर्थिक संकट और बढ़ती असमानताओं का संकेत है। अधिकांश भारतीयों की आय जरुरी वस्तुओं की आसमान छूती कीमतों के अनुरूप नहीं बढ़ी है।”

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में “सितंबर 2013 में संसद द्वारा पारित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा का लगातार विरोध किया था।”

जयराम रमेश ने कहा कि “पीएमजीकेवाई और कुछ नहीं बल्कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) है जो पहले से ही 80 करोड़ भारतीयों को कवर करता है। निःसंदेह यह उनकी ओर से लिए गए यू-टर्न का एकमात्र उदाहरण नहीं है। मनरेगा पर भी, जो महामारी के दौरान जीवन रक्षक साबित हुई, उन्हें अपना निर्णय बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा।”

केंद्र सरकार ने अप्रैल 2020 में पीएमजीकेएवाई योजना शुरू की थी, जिसके तहत प्रत्येक व्यक्ति को रियायती दरों पर खाद्यान्न की एनएफएसए पात्रता के अलावा 5 किलोग्राम मुफ्त खाद्यान्न दिया गया था।

केंद्र सरकार एनएफएसए के तहत लोगों को खाद्यान्न प्रदान करती है जिसमें चावल 3 रुपये प्रति किलोग्राम, गेहूं 2 रुपये प्रति किलोग्राम और मोटा अनाज 1 रुपये प्रति किलोग्राम दिया जाता है। पिछले साल दिसंबर में, सरकार ने पीएमजीकेएवाई को एनएफएसए के साथ मिला दिया और एनएफएसए के तहत लाभार्थियों को जनवरी 2023 से शुरू होने वाले एक वर्ष के लिए उनकी पात्रता के अनुसार मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने का फैसला लिया गया। प्रधानमंत्री ने इस योजना को अगले पांच वर्षों के लिए आगे बढ़ाने की घोषणा की है।

एनएफएसए में लगभग 81.35 करोड़ लोग शामिल हैं और केंद्र ने कहा था कि वह उन्हें खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए 2 लाख करोड़ रुपये की पूरी लागत वहन करेगी।

एनएफएसए में 50 प्रतिशत शहरी आबादी और 75 प्रतिशत ग्रामीण आबादी शामिल है। एनएफएसए के तहत लाभार्थी परिवारों की दो श्रेणियां हैं जिनमें अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) और प्राथमिकता वाले परिवार हैं। जबकि एएवाई परिवार के सदस्यों की संख्या की परवाह किए बिना प्रति माह 35 किलोग्राम खाद्यान्न के हकदार हैं, प्राथमिकता वाले परिवारों को परिवार के सदस्यों की संख्या (प्रत्येक सदस्य 5 किलोग्राम प्रति माह) के आधार पर खाद्यान्न मिलता है।

(‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)

More From Author

ग्राउंड से चुनाव: प्रदेश अध्यक्ष को टिकट देने से नाराज जनता को कैसे खुश करेगी कांग्रेस

योगी सरकार का दलितों को सवा करोड़ भूमि पट्टा देने के वायदे का सच

Leave a Reply