नई दिल्ली। यदि देश के संविधान की आत्मा ढूंढ रहे हैं आप, और पार्लियामेंट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक आपको नहीं मिला वो तो एक बार जामिया हो आइए देश के संविधान की आत्मा आजकल वहीं विराजमान है। यूनिवर्सिटी के गेट पर संविधान की प्रस्तावना मिल जाएगी आपको। हाईकोर्ट परिसर में भले मनु महाराज काबिज हों लेकिन यूनिवर्सिटी के गेट की दीवारों पर आपको अंबेडकर और गाँधी मिलेंगे।
जामिया के मोहम्मद शहजाद तो बाकायदा अपने जैकेट पर “We love our CONSTITUTION, #No CAA-NRC” लिखवाकर घूमते हैं। पूछने पर वो कहते हैं- “गोडसे जब पार्लियामेंट में हों तो संविधान को सड़कों, गलियों और स्कूलों में ही शरण लेनी पड़ती है।”

जामिया देश का दूसरा जंतर-मंतर बन गया है। जहां रोज़-ब-रोज़ आंदोलन हो रहे हैं। रोज हजारों लोग जुटते हैं दिन भर एक दूसरे को कहते सुनते हैं, संविधान की प्रस्तावना पढ़ते हैं और देश व संविधान की रक्षा की प्रतिज्ञा दोहराते हैं। यहाँ छोटे-छोटे बच्चे संविधान बचाने की गुहार लगाते मिलेंगे आपको।

जामिया यूनिवर्सिटी के छात्र मिलकर “सेंड योर क्लॉथ्स टू पीएम हाउस (अपने कपड़े प्रधानमंत्री आवास भेजिए)” के नाम से एक कैंपेन चला रहे हैं। इस कैंपेन के तहत वो संविधान और मनुष्यता में विश्वास रखने वाले लोगों से अपील कर रहे हैं कि कृपया हर धर्म जाति के लोग अपने परंपरागत और गैर-परंपरागत कपड़े प्रधानमंत्री आवास 7 लोक कल्याण मार्ग भेजें ताकि प्रधानमंत्री जी हमें हमारे कपड़े से पहचान सकें। इस देश की विविधता को उसकी संस्कृति, बोली, भाषा और गंध से तो वो नहीं पहचान सके, अब अगर वो तरह-तरह के कपड़ों से ही इस देश की विविधता को पहचान सकें तो यही सही।

काम छोड़कर जामिया में प्रदर्शन कर रहे लोगों को मुफ़्त चाय पिलाते हैं मोहम्मद अनस
मोहम्मद अनस काम धंधा छोड़कर जामिया में विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों को मुफ़्त चाय पिलाते हैं। वो कहते हैं –“हम सब एकजुट होकर एकस्वर में एनआरसी-सीएए को रिजेक्ट करते हैं। मैं जामिया का छात्र रहा हूँ मैं जामिया के छात्रों पर हुई पुलिस की बर्बरता को भलीभाँति महसूस करता हूँ। तभी मैं अपना काम-काज छोड़कर यहाँ हूँ। चाय लोगों को ठंडी में एक सहारा होता है। मेरा थोड़ा सा, छोटा सा प्रयास है कि हम किसी तरह अपने संविधान को बचा सकें।”

हाथों में संविधान बचाने की प्रतिज्ञा लिखा पोस्टर उठाए घूमते मोहम्मद सादिक़ ख़ान कहते हैं- “ 13 दिसंबर 2019 से लगातार हर रोज मैं सुबह 5 बजे से लेकर रात 10 बजे तक ये बैनर उठाए घूमता रहता हूँ, लोगों से अपील करता हूँ कि वो संविधान बचाने की इस लड़ाई में हमारे साथ आएं। जब तक ये कानून वापस नहीं होता तब तक मैं ये करता रहूँगा। हम मोदी जी से अपील करते हैं कि वो इस कानून को वापस लें।” इसके बाद वो एक शेर सुनाते हैं- “किसे फ़रियाद ए हाजत, शिकायत कौन करता है। अगर इंसाफ़ मिल जाए तो बग़ावत कौन करता है।”

जामिया के पीएचडी छात्र रज़ी अनवर कहते हैं- “ जैसे इस दुनिया को पेड़ से ऑक्सीजन मिलता, जैसे जीवन के लिए ऑक्सीजन ज़रूरी है, वैसे ही देश की जनता के लिए संविधान है। देश की एकता, अखंडता के लिए संविधान ऑक्सीजन है। यदि ऑक्सीजन रोक दिया जाए तो व्यक्ति नहीं जी रहेगा, वैसे ही संविधान से छेड़छाड़ करने पर देश नहीं रहेगा। सीएए संविधान पर हमला है। ये कानून देश को तोड़ देगा। इसलिए आज देश का हर राजनीतिक चेतना संपन्न व्यक्ति इस कानून के ख़िलाफ़ है।”

माज़िद मोहम्मद ज़ाहिद कहते हैं- “आप हमें आतंकवादी कहते हैं लेकिन असली आतंकवादी तो आप हैं। आज आप संविधान के लिए लड़ने वालों को देशद्रोही कहते हैं। हमारे पुरखों का प्रूफ मांग रहे हो अपनी डिग्री दिखाओ पहले, स्मृति इरानी की डिग्री दिखाओ। देश के गद्दार सब आरएसएस की शाखा से निकलते हैं। मस्जिद से शरीफ़ लोग निकलते हैं। हममें कोई डिवीजन नहीं है। हम सब इस देश के नागरिक एक हैं। तुम्हें हमसे नफ़रत है। तुम्हें मुग़लों से नफ़रत है तो मुग़लों के बनाए लालकिला से क्यों भाषण देते हो। अपने बनाए शौचालय से भाषण दो न फिर। हमारी पहचान इस देश की ऐतिहासिक धरोहर हैं। हमारी पहचान का प्रमाण इस देश की ऐतिहासिक इमारते हैं।”

शायर हाशिम फ़िरोज़ाबादी कहते हैं- “जब शरीयत पर हमला होता है हम उस पर ख़ामोश रहते हैं। धारा 370 पर हमला होता है हम उस पर भी ख़ामोश रहते हैं। यहां तक कि बाबरी मस्जिद का फैसला आता है, हमसे हमारा 500 साल पुरानी मस्जिद छीन लिया जाता है हम उस पर भी ख़ामोश रहते हैं लेकिन जब इस मुल्क़ के संविधान को छेड़ा गया तो हमसे ख़ामोश नहीं रहा गया यही इस मुल्क़ की सबसे ख़ूबसूरत बात है। अपने मुल्क़ से मोहब्बत करने की इससे बड़ी दलील नहीं हो सकती है।”

“है जामिया का यही नारा
है संविधान जाँ से प्यारा
है संविधान जाँ से प्यारा
वतन के हिंदू-मुसलमाँ को अब जगाना है

गुरूर खाक़ में हिटलर तेरा मिलाना है
हर एक शख्स ने पुकारा
है संविधान जाँ से प्यारा
नदी विकास की हम मुल्क में बहाएंगे

कभी कहा था कि हम कालाधन भी लाएंगे
है झूठा तुम्हारा हर नारा
है संविधान जाँ से प्यारा”

शायर हाशिम फ़िरोज़ाबादी आगे कहते हैं – “इस सरकार द्वारा लगातार हमारा ध्यान भटकाने के लिए कोशिश की जा रही है। ताकि हम बुनियादी मुद्दों पर बात न कर सकें। पहले वो हमें सांप्रदायिक और राष्ट्रविरोधी घोषित करने की कोशिश करते हैं और अब वो हमें आपस में बाँटने की कोशिश कर रहे हैं।”

“मंदिर मस्जिद पर तो चर्चा की है सौ-सौ बार
अर्थव्यवस्था पर भी चर्चा कर लीजै सरकार
देश में आखिर क्यों आई है इस दर्ज़ा ये मंदी

इसका कारण है जो आपने की थी नोट की बंदी
वेंटिलेटर पर आ पहुँचा देश का कारोबार
अर्थव्यवस्था पर भी चर्चा कर लीजै सरकार
अमरीका छोड़ो हम बंग्लादेश से भी पीछे हो गए

अच्छे दिन आने वाले हैं नारे कहां पर खो गए
अमरीका छोड़ो हम बंग्लादेश से भी पीछे हो गए
छोटू भैया से तुम जाकर मिल लो एक बार

जाति धर्म की राजनीति से दिल्ली जल्दी जागे
नीरव मोदी, विजय माल्या देश से कैसे भागे
चौकीदारी खूब निभाई वाह रे चौकीदार।”

हाशिम फिरोजाबाद कहते हैं – “हमारे गृहमंत्री जी कहते हैं कि इस देश के मुसलमान को डरने की ज़रूरत नहीं है। तो मैं गृहमंत्री जी से कहता हूँ कि इस देश का मुसलमाँ आपसे डरता भी नहीं है क्योंकि इस देश का मुसलमाँ सिर्फ़ अल्लाह से डरता है।”
“सिवा खुदा के किसी से भी हम नहीं डरते

जो संविधान वतन का है उस पर हैं मरते
हर एक शख्स ने है पुकारा
है संविधान जाँ से प्यारा”
हाशिम इतिहास में झाँककर बताते हैं – “हम कहां जाएं जिस मुल्क़ भेजने की बात आप करते हो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उस मुल्क के बनने के बाद उस इस्लामिक मुल्क़ को सबसे पहले तो हमीं ने नहीं स्वीकारा। हमारे पास मौका था लेकिन हमारे बुजुर्गों ने फैसला किया कि हमें इस्लामिक देश में नहीं बल्कि उस देश में रहना है जहाँ हिंदू-मुस्लिम, सिख, ईसाई सारे मजहब के लोग एक साथ रहते हैं। हम यकीनन जीतेंगे क्योंकि हमारे साथ पूरा देश खड़ा है।”

“जो ख्वाब हमको मिटाने के देखते हो तुम
हमेशा हमको भगाने की सोचते हो तुम
तो सुन लो मुल्क़ है हमारा
वतन है हमको जाँ से प्यारा”
गोदी मीडिया पर ग़ज़लों के जरिए वो व्यंग्य कहते हैं

हाशिम जामिया की लड़कियों को सलाम करते हुए कहते हैं -हमारी लड़ाई हमारी बहने लड़ रही हैं। चंद लाइनें उनकी खिदमत में-
“एक एक नज़र में आपका आला मकाम है
हर आदमी के दिल में बड़ा एहतेराम है
करते हैं नाज़ आप पर हम हिंद के लोग
ऐ जामिया की बेटियों तुमको सलाम है।”
हाशिम फिरोजाबाद गोदी मीडिया के दलाल पत्रकारों से मुखातिब होते हुए कहते हैं- “ये मीडया जो हमारी आवाज़ दबा रहा, हमारे सच को झूठ साबित कर रहा है उनसे मुखातिब होते हुए कहता हूँ-
“है मेरा झूठ का कारोबार
है मेरे काँधों पर सरकार की

मैं एक पत्रकार हूँ
मैं सच को झूठ बनाता हूँ
मैं फर्जी न्यूज दिखाता हूँ
मैं सब धर्मों को लड़ाता हूँ
मैं पब्लिक को फँसाता हूँ
हो टीवी चैनल या अख़बार
सरासर झूठ का है प्रचार
जो आका बोले मैं करता हूँ
मैं जूते सर पर धरता हूँ
मैं जेबे नोट से भरता हूँ
मैं सच कहने से डरता हूँ
है रुपया ही मेरा ईमान
है रुपया ही मेरा भगवान
मिले चाहे जितना अपमान
कि मैं एक पत्रकार।”
और आखिर में वो इस मुल्क़ के आवाम को आगाह करते हुए कहते हैं-
“जिनके हाथों से तिरंगा न सम्हाला जाए
ऐसे नेताओं को संसद से निकाला जाए
अपने इस देश को, अपने इस मुल्क को
एक बात बतानी है मुझे
आस्तीनों में कोई साँप न पाला जाए।”
(पत्रकार और लेखक सुशील मानव की रिपोर्ट।)
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