बस्तर में बरसों से पुलिस जुल्म झेलती आ रही मानवाधिकार कार्यकर्ता सोनी सोरी अभी भी दो सरकारों के हुक्म के बीच पिस रही हैं। उन्हें भाजपा विधायक भीमा मंडावी की नक्सल-हत्या के मामले में एनआईए ने पूछताछ के लिए 25 सितंबर को बुलाया था। एक दिन पहले 24 सितंबर को वे कोरोना पॉजिटिव निकलीं, और उन्होंने इसकी सूचना एनआईए को दे दी। इसके बावजूद एनआईए ने कहा कि वे पूछताछ के लिए पहुंचें। इसके चार दिन बाद बस्तर के जिला प्रशासन ने उनके खिलाफ क्वॉरंटीन नियमों को तोड़ने का केस दर्ज कर दिया है।
अंग्रेजी की वेबसाइट ‘द वायर’ ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। रिपोर्ट में सोनी सोरी के हवाले से कहा गया है, “जब मैंने एनआईए अफसरों को अपने कोरोना पॉजिटिव होने की बात बताई तो उन्होंने इस पर भरोसा करने से मना कर दिया, और मुझसे कहा कि मैं 80 किलोमीटर दूर दंतेवाड़ा एनआईए दफ्तर पहुंचूं। उन्हें कोई वाहन मालिक गाड़ी देना नहीं चाहते थे, और ऐसे में वह भारी बुखार के बीच बरसते पानी में मोटरसाइकिल पर अपने भतीजे के साथ गईं। वहां उन्होंने मेरी ऐसी हालत के बाद भी सात घंटे लगातार पूछताछ की।
सोनी सोरी ने बताया कि अब उनके ऊपर संक्रामक रोग महामारी की धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया गया है कि उन्होंने क्वॉरंटीन नियम तोड़कर जन-जीवन खतरे में डाला है। इस मामले में गीदम के स्वास्थ्य अधिकारी देवेंद्र बहादूर सिंह कहते हैं, “एफआईआर दर्ज करवाई है, क्योंकि सोनी सोरी ने कड़े क्वॉरंटीन के बावजूद सफर किया।”
रिपोर्ट में आगे लिखा गया है कि नियमों के मुताबिक एनआईए को पूछताछ करने के लिए सोनी सोरी के घर जाना था, न कि उन्हें दूसरे शहर बुलाना था, लेकिन एनआईए ने ऐसा किया और सोनी सोरी को कोई यात्रा-भत्ता भी नहीं दिया।
(जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)
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