दलित कर्मचारी ने मांगा वेतन तो कंपनी की मालकिन ने मुंह में डाला जूता

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नई दिल्ली। गुजरात में लंबे समय से संघ-भाजपा की सरकार है। संघ-भाजपा के लोग राजनीति में गुजरात मॉडल की अक्सर चर्चा करते हैं, और दूसरे राज्यों को भी इस राजनीतिक और विकास मॉडल को अपनाने की सलाह देते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि गुजरात मॉडल दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों और आदिवासियों के उत्पीड़न के साथ-साथ हिंदुत्व की प्रयोगशाला है। जिसमें दलित,महिला, अल्पसंख्यक और गरीबों के लिए कोई जगह नहीं है। राज्य में आए दिन दलितों-महिलाओं के उत्पीड़न की खबरें अखबारों की सुर्खियां बनती है। और दलितों-महिलाओं और समाज के कमजोर तबकों के साथ घटित कई घटनाएं तो अमानवीयता की हद पार कर जाती हैं। ताजा मामला गुजरात के मोरबी शहर का है जहां वेतन मांगने पर दलित मजदूर के मुंह में जूते डालकर माफी मांगने के लिए मजबूर किया गया।

गुरुवार को गुजरात के मोरबी शहर में एक महिला व्यवसायी और उसके सहयोगियों ने अपने पूर्व कर्मचारी की वेतन मांगने पर पिटाई की और उसके मुंह में जूता ठूंस कर माफी मांगने को मजबूर किया। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर लिया है।  

एफआईआर के अनुसार, 21 वर्षीय नीलेश दलसानिया, उनके बड़े भाई मेहुल और उनके पड़ोसी भावेश मकवाना गुरुवार की शाम करीब 7 बजे विभूति पटेल द्वारा संचालित एक निजी कंपनी रानीबा इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड (आरआईपीएल) के कार्यालय गए।

नीलेश ने अक्टूबर में आरआईपीएल के निर्यात विभाग में काम किए गए 16 दिनों के अपने वेतन की मांग की। हालांकि, एफआईआर के अनुसार, ओम पटेल, जिन्होंने खुद को विभूति का भाई बताया, ने नीलेश पर हमला किया। इसमें कहा गया है कि विभूति के कार्यालय में प्रबंधक परीक्षित पटेल, विभूति और चार अन्य लोगों ने भी दलित युवक के साथ मारपीट की। उन्होंने कथित तौर पर उसे लिफ्ट में खींच लिया, वाणिज्यिक भवन की छत पर ले गए और बेल्ट से उसकी पिटाई की, साथ ही उसे लात और मुक्कों से भी पीटा।

एफआईआर में नीलेश के हवाले से कहा गया है, “विभूति पटेल ने मुझे अपनी चप्पल मुंह में लेने के लिए मजबूर किया और मुझसे माफी मांगने को कहा, उसने मुझे चेतावनी दी कि अगर मैं रावपार रोड पर गया या शिकायत दर्ज करने की हिम्मत की तो मुझे मार दिया जाएगा।”  

मोरबी के पुलिस उपाधीक्षक (एससी/एसटी सेल) प्रतिपाल सिंह झाला ने कहा कि हमले के बाद, नीलेश मोरबी में राज्य सरकार द्वारा संचालित जीएमईआरएस अस्पताल गए। उन्होंने कहा, “उसे बुरी तरह पीटा गया और अस्पताल में भर्ती कराया गया। हमने एफआईआर दर्ज कर ली है और आरोपी की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।”

एफआईआर के मुताबिक, नीलेश 2 अक्टूबर को कंपनी में शामिल हुए थे और उन्हें 12,000 रुपये मासिक वेतन देने का वादा किया गया था। हालांकि, 18 अक्टूबर को उन्हें बताया गया कि अब उनकी सेवाओं की आवश्यकता नहीं है। इसके बाद वह दूसरी कंपनी में नौकरी करने लगे।

एफआईआर में आईपीसी की धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान), 506 (2) (आपराधिक धमकी), 143 (गैरकानूनी सभा), 147 (दंगा) और 149 (सामान्य उद्देश्य के अभियोजन में किए गए अपराध के लिए गैरकानूनी जमाव) लगाई गई है। आरोपियों पर एससी/एसटी एक्ट के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।

(जनचौक की रिपोर्ट)

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