Kisan Mahapanchayat: मांग नहीं मानी तो फिर से होगा किसान आंदोलन, 30 अप्रैल को मोर्चे की बैठक

Estimated read time 1 min read

नई दिल्ली। मोदी सरकार द्वारा किसानों के साथ किए गए वायदे पूरे न होते देख सोमवार को एक बार फिर किसानों का गुस्सा राजधानी दिल्ली में देखने को मिला। लाल, पीले, हरे झंडे के साथ लोग किसान एकता जिन्दाबाद के नारे लगाते हुए दिल्ली के सुनहरे मौसम के बीच सरकार को किसान आंदोलन की याद दिला रहे थे। किसानों के चेहरे यह कह रहे थे कि अगर सरकार नहीं मानी तो किसान आंदोलन 2.0 भी शुरू किया जा सकता है। सोमवार की सुबह से ही किसान देश के अलग-अलग हिस्से से आकर रामलीला मैदान में जमा होने लगे।

वादाखिलाफी का विरोध

सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले मोदी सरकार की वादाखिलाफी के विरोध में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया। यह आयोजन सुबह दस बजे से लेकर दोपहर तीन बजे तक चला। जिसमें हजारों की संख्या में देश के अलग-अलग हिस्से से आए किसानों ने हिस्सा लिया।

इस महापंचायत में किसान नेताओं ने कहा कि अगर सरकार 30 अप्रैल तक उनकी बात मान लेती है तो किसान आंदोलन पार्ट-2 खत्म हो जाएगा। नहीं तो 30 अप्रैल के बाद मोर्चे की बैठक में आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।

देश के अलग-अलग हिस्से से आए किसान

सरकार ने बातचीत के लिए सहमति जताई

सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा के 15 प्रतिनिधिमंडल ने कृषि भवन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री से मुलाकात कर उन्हें दो ज्ञापन भी सौंपे हैं। जिसके बाद सरकार ने एसकेएम के साथ किसानों के मुद्दों पर लगातार बातचीत करने पर सहमति जताई है।

रामलीला मैदान में हुई इस महापंचायत को साल 2024 में होने वाले चुनाव के साथ भी जोड़ा जा रहा है। डॉ. दर्शन पाल ने हमसे बातचीत करते हुए कहा कि अगर सरकार हमारी मांगों को नहीं सुनती है तो साल 2024 से पहले आंदोलन किया जाएगा। उनका कहना है कि छोटे मुद्दे तो हल हो जाते हैं लेकिन एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य), कर्ज माफी ऐसे मुद्दे हैं जिस पर सरकार को फैसला लेना होगा।

वहीं भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जब भी आंदोलन की जरूरत पड़ेगी, तो आंदोलन होंगे। फिलहाल 2024 को लेकर हमारा कोई प्लान नहीं है। इसके अलावा आंदोलन कब होगा, कहां होगा ये तो आने वाला समय ही बताएगा। फिलहाल में एमएसपी पर आश्वासन नहीं कानून चाहिए।

उन्होंने सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि सरकार चाहती है कि उन्हें सस्ते भाव में किसान की जमीन मिल जाए। किसानों को फसलों के दाम मिल नहीं रहे हैं ऐसे में उन्हें पैसे की जरूरत पड़ेगी वह अपनी जमीन को ही बचेंगे। इस तरह से किसानों को बर्बाद करने के लिए सरकार की एक बड़ी प्लॉनिंग चल रही है।

किसान महापंचायत में किसान नेताओं के साथ-साथ सामजिक कार्यकर्तओं ने भी शिरकत की। मेघा पाटेकर ने इस महापंचायत पर हमसे बातचीत करते हुए कहा कि 14 महीने पहले भले ही किसान दिल्ली के बॉर्डर से उठ गए हो लेकिन देश के अलग-अलग हिस्सों में आज भी किसान अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।

आज स्थिति ऐसी है कि संसद में कुछ नहीं हो रहा है। वहां सिर्फ एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं। देश के सबसे बड़े मुद्दे अन्न सुरक्षा पर कोई बात नहीं कर रहा है।

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author