एनडीपीएस स्पेशल कोर्ट ने डीआरआई से पूछा- क्या अडानी कानून से ऊपर हैं?

Estimated read time 1 min read

क्या वे (अडानी) क़ानून से ऊपर हैं? क़ानून से ऊपर कोई नहीं है। यह देश की सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मामला है।” कोर्ट उपरोक्त टिप्पणी मुंद्रा अडानी पोर्ट से ब्योरा नहीं हासिल करने पर डीआरआई को फटकार लगाते हुये कही है। दरअसल कल भुज अदालत ने डीआरआई से पूछा, “मुंद्रा बंदरगाह से आपको क्या विवरण मिला है?” जिसके जवाब में डीआरआई ने कोर्ट से कहा कि उसने बयान दर्ज़ किए हैं और अडानी समूह मामले में कानूनी राय ले रहे हैं। इस पर अदालत ने बिफरते हुये कहा, “क्या कानूनी राय ? क्या वे क़ानून से ऊपर हैं? क़ानून से ऊपर कोई नहीं है। यह देश की सुरक्षा से जुड़ा एक गंभीर मामला है।”
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक कल भुज, कच्छ में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) के लिए विशेष अदालत ने गुरुवार को मुंद्रा बंदरगाह से 21,000 करोड़ रुपये की हेरोइन के संबंध में चेन्नई के एक जोड़े की हिरासत बढ़ा दी और मुंद्रा अडानी पोर्ट को लगभग 3,000 किलोग्राम मादक पदार्थ के आयात से कोई “लाभ” प्राप्त हुआ है या नहीं, इसकी जांच के लिए 26 सितंबर के अपने निर्देश पर ताजा अपडेट जानने की मांग की।

30 सितंबर, 2021 को डीआरआई की गांधीधाम क्षेत्रीय इकाई के अधिकारियों ने 10 दिन की रिमांड खत्म होने के बाद सुधाकर और वैशाली को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पवार की एनडीपीएस अदालत में पेश किया। डीआरआई ने एक अर्जी दाखिल कर अदालत से आरोपी की हिरासत चार दिन और बढ़ाने का अनुरोध किया। हालांकि, अदालत ने हिरासत की अवधि सिर्फ़ एक दिन और बढ़ा दी।

बता दें कि दंपत्ति मचावरम सुधाकर और उनकी पत्नी गोविंद-अराजू दुर्गा पूर्ण वैशाली राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) की हिरासत में हैं। चेन्नई निवासी सुधाकर और वैशाली को 17 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। जिन्हें भुज अदालत ने 20 सितंबर को डीआरआई को 10 दिनों की हिरासत में दे दिया। डीआरआई ने कोयंबटूर निवासी राजकुमार पी को भी गिरफ्तार कर लिया और मुंद्रा जब्ती के बाद हुई छापेमारी में अन्य स्थानों से नशीले पदार्थ बरामद किए। चार अफ़ग़ान नागरिकों और एक उज्बेक नागरिक को भी गिरफ्तार किया गया है।

कल सुनवाई के दौरान अदालत ने यह भी जानने की कोशिश की कि डीआरआई ने अफ़ग़ानिस्तान में हेरोइन के स्रोत की जांच क्यों नहीं की थी। गौरतलब है कि 26 सितंबर को, कोयंबटूर के एक आरोपी राजकुमार पी की रिमांड याचिका पर सुनवाई करते हुए, अदालत ने डीआरआई को निर्देश दिया था कि वह जांच करके बताये कि क्या कच्छ में अपने बंदरगाह मुंद्रा पर प्रतिबंधित सामग्री की खेप के माध्यम से अदानी समूह को कोई “लाभ” प्राप्त हुआ था।

अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सी एम पवार की अदालत ने पूछा कि जांच एजेंसी अफ़ग़ानिस्तान से अन्य कथित आरोपियों को पकड़ने की क्या योजना बना रही है और लगभग 3,000 किलोग्राम हेरोइन उतरने के एवज में मुंद्रा बंदरगाह को प्राप्त होने वाले किसी भी “लाभ” के कोण की जांच में ताजा प्रगति क्या है।

जवाब में डीआरआई ने कच्छ के लिए अपने वकील और जिला सरकार के वकील कल्पेश गोस्वामी के माध्यम से कोर्ट से कहा कि “वह अभी जांच का विषय है। आरोपियों को विदेश से निर्देश प्राप्त करने थे। लेकिन इससे पहले कि वे खेप प्राप्त कर पाते, हमने इसे ज़ब्त कर लिया”।

अदालत के एक अन्य सवाल के जवाब में डीआरआई ने कहा कि उन्हें आरोपियों के मोबाइल कॉल रिकॉर्ड मिल गए हैं। और वह इसका विश्लेषण कर रहे हैं और इससे विदेशियों के साथ उनके संपर्क का सूत्र मिला है। यहां तक ​​​​कि व्यक्तियों की भी पहचान की गई है।
जांच एजेंसी से यह पूछते हुए कि उसे सुधाकर और वैशाली की हिरासत बढ़ाने की आवश्यकता क्यों है, अदालत ने डीआरआई से पूछा कि क्या उसने अफ़ग़ानिस्तान के हसन हुसैन को पकड़ने का कोई प्रयास किया था, जिसने अपनी फर्म मेसर्स हसन हुसैन के मार्फ़त ड्रग्स को अर्ध प्रसंस्कृत तालक पत्थरों की आड़ में ईरान के रास्ते भारत भेजा।
अदालत ने पूछा-“क्या आपने भारतीय दूतावास के माध्यम से अफ़ग़ानिस्तान से संपर्क किया है?”और जब डीआरआई ने जवाब में ‘नहीं’ कहा तो अदालत ने चेतावनी देते हुये फटकार, लगाते हुये कहा कि ग्यारह दिन बीत चुके हैं और आपने अफ़ग़ानिस्तान से यह नहीं पूछा है कि इन कंटेनरों को किसने भेजा है? आप केवल इन दो व्यक्तियों के बारे में चिंतित हैं।”

गौरतलब है कि खुफिया जानकारी के आधार पर 11 सितंबर को डीआरआई ने ईरान के बंदर अब्बास बंदरगाह से कच्छ के मुंद्रा बंदरगाह पर भेजे गए दो कार्गो कंटेनरों को पकड़ा था। आयात दस्तावेजों से मालूम चला कि अर्ध-संसाधित टॉक और टॉक स्टोन वाले दोनों कार्गो कंटेनर अफ़ग़ानिस्तान से हसन हुसैन लिमिटेड द्वारा निर्यात किए गए थे। जिनके फॉरेंसिक जांच में हेरोइन होने की पुष्टि हुई।
डीआरआई के अनुसार, खेप का आयात आशी ट्रेडिंग कंपनी द्वारा किया गया था, जो वैशाली के नाम से पंजीकृत एक प्रोपराइटर शिप फर्म है और आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में उसके मालिक का पता है। जांच से पता चला कि हसन हुसैन के मार्केटिंग एजेंट की पहचान अमित के रूप में हुई थी, जिसे यह निर्देश देना था कि ड्रग्स की खेप किसको बेची जाए।

यह देखते हुए कि मामला गंभीर है, भुज कोर्ट ने गुरुवार को डीआरआई से कहा, “आप आंख बंद करके सच नहीं देख सकते। सच्चाई देखने के लिए आपको अपनी आंखें खुली रखनी होंगी”।
(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author