नई दिल्ली। न्यूज़क्लिक से जुड़े पत्रकारों और ढेर सारे दूसरे क्षेत्र से जुड़े लोगों के घर पर दिल्ली पुलिस की रेड पड़ रही है। इनमें न्यूज़क्लिक के एडिटर इन चीफ और मालिक प्रवीर पुरकायस्थ, वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा, न्यूज़क्लिक हिंदी के संपादक मुकुल सरल, अभिसार शर्मा, अनिंद्यो चक्रवर्ती साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय के रिटायर्ड प्रोफेसर सोहेल हाशमी शामिल हैं। इनमें से कुछ के डिटेन भी किए जाने की खबर है।
बताया जा रहा है कि सुबह तड़के ही ईडी की टीम इनके घर पहुंच गयी और उसने कार्रवाई शुरू कर दी। इसके तहत उनके लैपटाप, फोन और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक सामानों की जांच शुरू कर दी गयी। मुकुल सरल के लैपटाप और मोबाइल फोन को टीम ने जब्त कर लिया है।
बताया जा रहा है यह सारी कवायद न्यूजक्लिक के खिलाफ साक्ष्य इकट्ठा करने के लिए किया जा रहा है। दरअसल इसी महीने की 8,9 और 10 तारीख को न्यूजक्लिक मामले की सुनवाई है। पुलिस की इस कार्रवाई को इसी के तहत देखा जा रहा है।
तीस्ता सीतलवाड़ और परंजयगुहा ठाकुरता के घरों पर भी रेड पड़ रही है। और दिल्ली पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है। दिल्ली साइंस फोरम के डी रघुनंदन को पुलिस ने डिटेन कर लिया है। न्यूजक्लिक के पत्रकार उबैद को भी पुलिस ने डिटेन कर लिया है।
द वायर के मुताबिक यह केस आतंकवाद से जुड़े एक मामले को लेकर बताया जा रहा है। 224/2023 के एक एफआईआर से जुड़ा है। यह केस 17 अगस्त, 2023 को फाइल हुआ था। इसमें यूएपीए से जुड़ी कई धाराएं लगायी गयी थीं। साथ ही इंडियन पैनल कोड की 153 (a) औऱ 120 (b) धाराएं भी लगायी गयी थीं।
प्रेस क्लब ने इस पूरी रेड की निंदा की है। उसने पुलिस की इस कार्रवाई पर चिंता जाहिर की है।
न्यूज़क्लिक के संस्थापक और संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को पुलिस डिटेन कर दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल कार्यालय ले गयी है। दिल्ली पुलिस यूएपीए और अन्य धाराओं के तहत न्यूज़क्लिक से जुड़े विभिन्न परिसरों पर छापेमारी कर रही है। वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश को भी पुलिस ने डिटेन कर लिया है।
दिल्ली पुलिस की टीम वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश को गाजियाबाद के वसुंधरा स्थित वार्तालोक सोसाइटी के उनके घर से उठाकर स्पेशल सेल के दफ्तर ले गई। असहमति को कुचलना /रौंदना ही आपातकाल होता है। हम एक नए दौर में प्रवेश कर रहे हैं जहां लोकतंत्र को तानाशाही में तब्दील होते हुए देख रहे हैं।
बताया जा रहा है कि कामेडियन संजय राजौरा को लोधी गार्डेन स्थित पुलिस के स्पेशल सेल दफ्तर ले जाया गया है।
आज सुबह रेड की कड़ी में दिल्ली पुलिस ने सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी के घर पर भी रेड डाला। बाद में येचुरी ने एएनआई को बताया कि उनके एक सहयोगी साथ रहते हैं जिनका बेटा न्यूज़क्लिक में काम करता है। वो उसका लैपटाप और फोन अपने साथ ले गए।
राष्ट्रीय जनता दल ने भी इसका विरोध किया है। एक्स पर एक पोस्ट में उसने कहा है कि केंद्र सरकार के अधीन दिल्ली पुलिस द्वारा निष्पक्ष पत्रकारों के घर रेड करना तानाशाह के डर का परिचायक है।
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी इस पर प्रतिक्रिया जाहिर की है। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि छापे हारती हुई भाजपा की निशानी हैं। ये कोई नयी बात नहीं है ईमानदार खबरनवीसों पर भाजपाई हुक्मरानों ने हमेशा डाले हैं छापे, लेकिन सरकारी प्रचार-प्रसार के नाम पर कितने करोड़ हर महीने ‘मित्र चैनलों’ को दिये जा रहे हैं ये भी तो कोई छापे!
जेडीयू अध्यक्ष लल्लन सिंह ने इस रेड पर कहा कि जो मीडिया आपका प्रचार करेगा वह निष्पक्ष है और जो आपकी आलोचना करेगा उसके यहां आप सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स का छापा पड़वाइयेगा। और फिर उसको भयभीत करने का प्रयास करिएगा। यह भी भयभीत करने का एक प्रयास है यह प्रयास सफल नहीं होगा। और 24 बहुत नजदीक है और उनकी विदाई तय है।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि जांच एजेंसियां स्वतंत्र हैं और वो नियमों का पालन करते हुए अपना काम कर रही हैं। मुझे रेड को न्यायोचित ठहराने की कोई जरूरत नहीं है। अगर किसी ने कुछ गलत किया है तो जांच एजेंसियां अपना काम करेंगी। यह कहीं नहीं लिखा है कि अगर किसी गलत स्रोत से आपके पास पैसा आ रहा है या फिर कुछ गलत किया गया है तो जांच एजेंसियां कार्रवाई नहीं कर सकती हैं। उन्होंने भुवनेश्वर में न्यूज़क्लिक पर पड़ने वाले छापे पर पूछे गए एक पत्रकार के सवाल के जवाब में यह कहा।
हम सरकार के इस कायराना कृत्य की घोर निंदा करते है और यह मांग करते हैं कि सभी पत्रकारों के लैपटॉप और अन्य सामग्री तुरंत वापिस की जाय।
Ye des drohiyo se paisa Laker des ko badman karne vale log hai inko koi mafi nhi honi chahiye
ये काम बहुत पहले होना चाहिए था जब ” द वाशिंगटन पोस्ट ” ने इन सबका पोल खोल दिया था, ये चीन और पकिस्तन का दलाली कर रहा था, पैसे लेकर भारत भारतीयों को बदनाम कर रहा था।।
हाल ही में INDI ठगबंधन के लफंगे कोन्ग्रेसीयों ने देश के कई बड़े-बड़े पत्रकार का ” बहिष्कार ” करने का आह्वान किया था, क्या उस समय इमरजेन्सी ” जैसी हालत नहीं हुई थी? आज ” दलालों ” के खिलाफ कार्रवाई हो रही है तो पेट में दर्द हो रहा है।।
बिहार की नीतीश सरकार ने मनीष कश्यप को तमिलनाडु पुलिस से सिर्फ इसलिए पकड़बा दिया था क्योंकि मनीष, नीतीश कुमार सरकार की ” काली करतूतों ” को देश को बता रहा था।
न्याय पूर्ण कार्यवाही होना चाहिए, सिर्फ़ पत्रकार होने से कोई कानून के ऊपर नहीं हो सकता। आज के समय कोई निस्पक्छ पत्रकार नही है, कोई इधर का है तो कोई उधर का, जनता सब समझ रही है।