हाथरस कांड: पुलिस के रवैये से हाईकोर्ट ख़फ़ा, अगली सुनवाई 2 नवंबर को

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हाथरस गैंगरेप कांड को लेकर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में ‘गरिमापूर्ण ढंग से अंतिम संस्कार के अधिकार’ टाइटिल के तहत जस्टिस पंकज मित्तल व जस्टिस राजन रॉय की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। पीठ ने पुलिस की कार्रवाई पर नाराजगी जताई है। इस मामले की सुनवाई 2 नवंबर को होगी। पीड़िता के परिजनों ने कोर्ट में भी कहा कि अंतिम संस्कार उनकी सहमति के बिना रात के समय कर दिया गया। परिजनों ने यह भी कहा कि अंतिम संस्कार में हमें शामिल तक नहीं किया गया। परिजनों ने आगे जांच में फंसाए जाने की आशंका जताई और साथ ही सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई। दूसरी ओर हाथरस मामले में यूपी सरकार का अतिरिक्त हलफनामा नहीं दाखिल होने के कारण उच्चतम न्यायालय 15 अक्तूबर को सुनवाई करेगा।

पीड़ित परिवार की ओर से अंतिम संस्कार को लेकर लगाए गए आरोप पर जिलाधिकारी (डीएम) ने कहा कि वहां काफी लोग जमा थे। कानून-व्यवस्था बिगड़ने की वजह से अंतिम संस्कार का फैसला लिया गया। डीएम के बयान के दौरान पीड़िता के परिजनों ने टोकते हुए सवाल किया कि वहां भारी तादाद में पुलिस बल मौजूद था तो कानून व्यवस्था कैसे खराब होती? दो जजों की बेंच के सामने पीड़िता के परिवार ने अपना पक्ष रखा। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से भी कई अधिकारी अदालत में मौजूद रहे। हाईकोर्ट में आज की सुनवाई खत्म हो गई है। अगली सुनवाई 2 नवम्बर के दिन पीड़िता के परिजनों के आरोप पर बहस होगी। अदालत की ओर से इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया गया था, जिसमें परिवार और सरकार का पक्ष पूछा गया था।

सुनवाई के दौरान पीड़िता के परिवार ने हाई कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखते हुए तीन तरह की मांग की। उन्होंने कोर्ट से कहा कि वह इस मामले को यूपी के बाहर के किसी राज्य में ट्रांसफर करने का आदेश दे। इसके अलावा परिवार ने अनुरोध किया कि सीबीआई जांच के सभी तथ्य जांच पूरी होने तक पूरी तरह से गोपनीय रखे जाएं, साथ ही जांच की अवधि में परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।हाथरस कांड की पीड़िता के परिवार के साथ प्रसिद्ध वकील सीमा कुशवाहा ने हाई कोर्ट में तमाम दलीलें रखीं। वहीं यूपी सरकार की तरफ से एडिशनल एडवोकेट जनरल विनोद शाही अदालत में जिरह करने पहुंचे। सुनवाई के दौरान अदालत ने यूपी के डीजीपी, अपर मुख्य सचिव और हाथरस के डीएम एवं एसपी से सवाल पूछे। इसके अलावा पीड़िता के परिवार का बयान भी दर्ज कराया गया।

कोर्ट में पीड़ित परिवार ने कहा कि पुलिस ने शुरुआत से ही सही जांच नहीं की। हमें परेशान किया, कोई मदद नहीं की। शुरू में तो एफआईआर भी नहीं लिखी। बिना हमारी सहमति के रात में अंतिम संस्कार कर दिया। इसमें शामिल भी नहीं किया। हमें पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं है। डीएम ने भी अनुचित दबाव बनाया।

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने 1 अक्तूबर को घटना पर स्वत: संज्ञान लिया था। हाई कोर्ट के दखल के बाद योगी सरकार हरकत में आई और परिवार को सुरक्षा का पहरा दिया गया। परिवार की सुरक्षा में करीब 60 पुलिस वालों की तैनाती की गई और घर के आस पास सीसीटीवी कैमरों का घेरा लगाया गया। इसके साथ ही घर आने-जाने वाले हर शख्स पर कड़ी नजर रखी गई।

हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने सुनवाई के दौरान अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह, डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार के अलावा हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार और एसपी रहे विक्रांत वीर को तलब किया था। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में पीड़िता के माता-पिता समेत पांच परिजन सोमवार सुबह छह बजे हाथरस से लखनऊ के लिये रवाना हुये थे और दोपहर को इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे थे।

इस पूरे मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने केस दर्ज किया है। साथ ही सीबीआई ने इस मामले में अपनी जांच पड़ताल शुरू कर दी है। सीबीआई ने उत्तर प्रदेश सरकार के अनुरोध पर मामला दर्ज किया है। जांच एजेंसी ने इस सिलसिले में एक टीम गठित की है।

गौरतलब है कि गत 14 सितंबर को हाथरस जिले के चंदपा थाना क्षेत्र में 19 साल की एक दलित लड़की से अगड़ी जाति के चार युवकों ने कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया था। इस घटना के बाद हालत खराब होने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया, जहां गत 29 सितंबर को उसकी मृत्यु हो गई थी।

इस मसले को लेकर उच्चतम न्यायालय में अगली सुनवाई 15 अक्तूबर को होगी।पिछली सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने यूपी सरकार से तीन सवाल पूछे थे। कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा था कि पीड़ित परिवार और गवाहों की सुरक्षा के क्या इंतजाम किए गए हैं? क्या पीड़ित परिवार के पास पैरवी के लिए कोई वकील है? इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुकदमे की क्या स्थिति है? यूपी सरकार की ओर से पैरवी करते हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा था कि वे इन सवालों के जवाब 8 अक्तूबर तक दे देंगे। 8 अक्तूबर की तिथि को गुजरे चार दिन हो गए, लेकिन यूपी सरकार कोर्ट के सवालों के जवाब अब तक नहीं दे पाई है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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