झारखंड। उल्लेखनीय है कि झारखंड में पिछले लोकसभा की 14 सीटों में आदिवासियों के लिए आरक्षित 5 सीटों पर बुरी तरह हारने के बाद भाजपा बौखला सी गई है और वह विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोटों को अपने पक्ष में करने को लेकर हर तरह के हथकंडे अपना रही है।
कभी बांग्लादेशी घुसपैठिए का प्रोपेगेंडा, तो कभी उर्दू नाम से जाने जाने वाले शहरों और जिलों के नाम पर मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण इनका मूल मंत्र रह गया है।
एक तरफ अपने चुनावी भाषणों में भाजपा के केंद्रीय नेता से लेकर मंत्री व सांसद-विधायक रोज व रोज राग आलाप रहे हैं कि राज्य के संथाल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण आदिवासियों की आबादी गिर रही है। ये घुसपैठिए राज्य की आदिवासी लड़कियों से शादी करके लैंड जिहाद के माध्यम से आदिवासियों की जमीन को हड़प रहे हैं।
वहीं असम के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता हिमंता बिस्वा सरमा ने पिछले दिनों राज्य के हुसैनाबाद (जपला) पलामू में भाजपा की एक चुनावी सभा में बड़े ही नाटकीय तरीके से हुसैनाबाद नाम पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि यह हुसैनाबाद क्या नाम है? हमारे बगल के राज्य में राम एवं कृष्ण जन्मभूमि है, तो हुसैन यहां कहां से आ गया?
इसपर लोकतंत्र बचाओ अभियान ने राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को पत्र लिख कर असम के मुख्यमंत्री भाजपा नेता हिमंता बिस्वा सरमा द्वारा झारखंड के हुसैनाबाद में दिए गए सांप्रदायिक चुनावी भाषण के विरुद्ध शिकायत की और उनके विरुद्ध न्यायसंगत कार्यवाई की मांग की है।
अभियान ने बताया है कि 23 अक्टूबर 2024 को राज्य के हुसैनाबाद (जपला) पलामू में भाजपा की एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए असम के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता हिमंता बिस्वा सरमा ने हुसैनाबाद गांव के नाम पर सवाल उठाते हुए मुसलमानों के खिलाफ हिंसापूर्ण बातें कहीं।
उन्होंने कहा, “हुसैनाबाद क्या नाम है? हमारे बगल के राज्य में राम एवं कृष्णा जन्मभूमि है, तो हुसैन यहां कहां से आ गया? झारखण्ड वीरों का भूमि है, अगर ज़िला बनेगा तो वीरों के नाम का बनेगा ऐसे नाम का नहीं जिसका यहां से कोई लेना देना नहीं है, कोई परिचय नहीं है, कहां से आया? कैसे आया? कोई नहीं जानता है ऐसा नाम में हमें ज़िला नहीं बनाना सही है।
भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी तो कानून के रास्ते से हम झारखण्ड में NRC बनायेंगे और एक-एक करके घुसपैठियों को कानून के रास्ते से लात मार के भगा देंगे। यह हमारा सबसे प्राथमिक काम होगा। यह चुनाव किसी को विधायक बनाना नहीं, किसी को मुख्यमंत्री बनाना नहीं, यह चुनाव घुसपैठियों को लात मारकर भगाने का चुनाव है।”
कहना ना होगा कि यह भाषण स्पष्ट रूप से मुसलमानों के विरुद्ध साम्प्रदायिकता फ़ैलाने और चुनाव में धार्मिक ध्रुवीकरण करने के उद्देश्य से दिया गया है।
हुसैनाबाद शहर का नाम का लम्बा इतिहास है। इस भाषण में “हुसैन” नाम का ज़िक्र कर के और साथ में “घुसपैठियों” पर अफवाह फैलाकर मुसलमानों को धार्मिक रूप से टारगेट किया जा रहा है और उनके विरुद्ध अन्य समुदायों में धार्मिक ध्रुवीकरण किया जा रहा है।
यह भी गौर करने वाला तथ्य है कि एक तरफ केंद्र सरकार संसद में बयान देती है कि “बांग्लादेशी घुसपैठियों” से सम्बंधित उनके पास कोई आंकड़े नहीं हैं और दूसरी तरफ इस पर चुनावी भाषण में झूठ और अफवाह फैलाया जा रहा है। यह भाषण आचार संहिता का खुल्लम-खुला उल्लंघन है।
अभियान के पत्र में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को याद दिलाया गया है कि अभियान का प्रतिनिधिमंडल उनसे 21 अक्टूबर 2024 को मुलाकात कर ऐसी नफरती और सांप्रदायिक भाषणों की संभावना के विषय में बताया था और कार्रवाई की मांग की थी।
यह भी कहा गया था कि लोकसभा चुनाव में प्रधान मंत्री समेत भाजपा नेताओं द्वारा लगातार ऐसे भाषण दिए गए थे लेकिन कार्रवाई नहीं हुई थी।
इस आलोक में अभियान ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से मांग की है कि तुरंत हिमंत बिस्वा सरमा के विरुद्ध न्यायसंगत कार्रवाई जाए एवं यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी नेता अपने चुनावी भाषण में साम्प्रदायिकता न फैलाये और धार्मिक ध्रुवीकरण न करे।
जिसके आलोक में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने कार्यवाई का आश्वासन दिया और लोगों को cVIGIL ऐप पर शिकायत दर्ज करने को भी कहा था।
अभियान की ओर से अफ़जल अनीश, अजय एक्का, अंबिका यादव, अमृता बोदरा, अंबिता किस्कू, अलोका कुजूर, अरविंद अंजुम, बासिंग हस्सा, भरत भूषण चौधरी, भाषण मानमी, बिनसाय मुंडा, चार्ल्स मुर्मू, दिनेश मुर्मू , एलिना होरो, एमिलिया हांसदा, हरि कुमार भगत, ज्याँ द्रेज, ज्योति कुजूर, कुमार चन्द्र मार्डी, किरण, लीना, लालमोहन सिंह खेरवार, मानसिंग मुंडा, मेरी निशा हंसदा, मंथन, मुन्नी देवी, नंदिता भट्टाचार्य, प्रवीर पीटर, पकू टुडु, रामचंद्र मांझी, राजा भारती, रमेश जेराई, रेशमी देवी, रोज़ खाखा, रोज मधु तिर्की, रिया तूलिका पिंगुआ, शशि कुमार, संदीप प्रधान, सिराज दत्ता, सुशील मरांडी, सेबेस्टियन मरांडी, संतोष पहाड़िया और टॉम कावला वगैरह ने पत्र जारी किया।
(विशद कुमार वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
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