तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के चर्चित लड्डू ‘प्रसादम’ में कितना मिलावट और कितनी राजनीति ?

Estimated read time 1 min read

शायद पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी मंदिर के प्रसाद में इतनी चर्बियों की मिलावट हुई कि आस्थावान हिंदुओं का दिल दहल गया। ये घटना देश के सबसे कमाऊ मंदिर तिरुपति बालाजी के प्रसादम लड्डू की है। जिसे मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने स्वत: अपने भाषण में दी, ठीक उस दिन, जिस दिन देश भर में पीएम का जन्मदिन और तीसरे टर्म के सौ दिन की खुशियां मनाई जा रही थीं।

विदित हो जून में जगन मोहन रेड्डी की पार्टी आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव हारी और नायडू ने एनडीए की सरकार बनाई। इसके लिए नायडू जगनमोहन रेड्डी को दोषी बता रहे हैं।

9 जुलाई को मंदिर बोर्ड ने घी के सैंपल गुजरात स्थित पशुधन लैब (NDDB CALF Ltd.) भेजे और 16 जुलाई को लैब रिपोर्ट आई। इसमें एक फर्म के घी में मिलावट पाई गई।

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की फूड लैब काल्फ (CALF) ने बताया कि जानवरों की चर्बी और फिश ऑयल से तैयार घी में प्रसादम के लड्डुओं बनाए जा रहे हैं। CALF (पशुधन और फूड में एनालिसिस और लर्निंग सेंटर) गुजरात के आनंद में स्थित NDDB (राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड) में विश्लेषणात्मक प्रयोगशाला है।

इधर वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के प्रमुख वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने रविवार (22 सितंबर) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ कार्रवाई का आग्रह किया।

सीएम ने तिरुपति मंदिर के प्रसाद में मिलावट में जगन की पार्टी YSRCP की संलिप्तता का आरोप लगाया था। इस बीच, केंद्र सरकार ने पूरे मामले में आंध्र प्रदेश सरकार से रिपोर्ट तलब की है।

बताया जाता है कि लड्डुओं के लिए घी की आपूर्ति 40-50 सालों से नंदिनी कर्नाटक दुग्ध केन्द्र से होती रही। लेकिन उसने जब रेट बढ़ाने की बात की तो यह आपूर्ति बंद कर दी गई और उसके स्थान पर पांच फर्मों से घी की खरीद शुरू हुई। रेट वही नंदनी वाले पुराने यानि 320 रुपये किलो वाले।

व्यापारी तब क्या करता उसने देवस्थानम को वो सब परोस दिया जिसकी कलई काफी वक्त के बाद खुली है। इन पांच फर्मों में से तमिलनाडु की डिंडीगुल फर्म के घी की जांच में ये सब मिला।

अन्य में क्या मिलावट हुई। जांच नहीं हुई। लेकिन त्वरित कार्रवाई करते हुए इन फर्मों से आपूर्ति रोक दी गई है तथा नंदिनी को बढ़े रेट के साथ पुनः आपूर्ति के आदेश दिए गए हैं।

लेकिन यहां भी यह याद रखनी चाहिए कि कारपोरेट की नजर काफी समय से, डेयरी जैसे बड़े उद्यम पर है। केंद्र सरकार लंबे समय से प्रयासरत है कि देशभर के सांची, अमूल, नंदिनी जैसे स्थापित ब्रांड वाले सहकारी दुग्ध संघ, केंद्र के अधीन आ जाएं और उनका संचालन नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के पास आ जाए।

इसके लिए पिछले 6-7 सालों से दुग्ध संघों को नष्ट करने और फिर हथियाने की रणनीति के तहत समय-समय पर हमले होते रहे हैं।

ऐसी ही हड़पने की अप्रत्यक्ष कोशिश कर्नाटक के नंदिनी ब्रांड के साथ भी की गई थी, लेकिन कर्नाटक की जनता का इस ब्रांड से जुड़ाव और भरोसा कितना होगा कि, इसकी भनक लगते ही जनता, स्थानीय राजनीतिक दल विरोध में आ गए; यहां तक कि नंदिनी चुनावी मुद्दा बन गया।

केंद्र को कदम वापस खींचने पड़े। पिछले दिनों मध्यप्रदेश की सांची दुग्ध योजना को मुख्यमंत्री ने सहकारी क्षेत्र से हटाकर नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के हवाले करने का निर्णय लिया है।

इसलिए इसको अन्य पहलुओं से भी सोचना होगा। इस पूरे कांड में यक़ीनन केंद्र का हाथ होने की पूरी संभावना है। दूसरी मुश्किल बात ये है कि यह मामला आस्था से जुड़ा हुआ है, इस जानकारी के बाद हिंदुओं में जो मांस नहीं खाते खलबली मची हुई है।

ज्यादा परेशान पूर्व मुख्यमंत्री रेड्डी हैं। क्योंकि वे हिन्दू नहीं हैं, उन्हें हिंदूविरोधी बताकर नायडू अपनी ज़मीन पुख्ता करने में जुटे हैं।

उधर जगनमोहन रेड्डी ने पीएम मोदीजी को पत्र लिखा है, जिसमें नायडू को झूठा और हिंदू आस्था को नुकसान पहुंचाने वाला बताया है। इधर कांग्रेस नेत्री जगन की बहन ने सीबीआई जांच कराने का मुद्दा उठाया। मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। देखना है इसे संत समुदाय और हिंदू आस्थावादी कैसे ग्रहण करते हैं।

बहरहाल नायडू को इस वक्त पीएम की ज़रूरत है, उन पर कोई एक्शन मुमकिन नहीं है।

ये ज़रूर होगा कि इस पवित्र देवस्थानम पर आने वाले भक्तों की संख्या पर असर पड़ेगा। जिससे आंध्रप्रदेश की आय घटेगी।

(सुसंस्कृति परिहार स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author