Tuesday, September 26, 2023

politics

राजनीति के भंवर में उलझी चीतों की मौत: चीता संरक्षण परियोजना प्रयोग या प्रयोगशाला?

2 अगस्त, 2023 को जब अखबारों में 9वें चीते की मौत की खबर आई, तो इस खबर से एक गंभीर सवाल उठा कि चीतों की मौत क्यों हो रही है? वन विभाग के अधिकारियों ने कुछ तात्कालिक कारण बताए और शेष...

विचारधाराओं का संघर्ष न हो तो राजनीति कैसी?

विचारधाराओं का द्वंद्व, इससे उत्पन्न होने वाला सच, इस सच से एक नई सिंथेसिस का जन्म और फिर से एक बड़े सच के लिए संघर्ष। क्या ऐसे रचनात्मक संघर्ष के बगैर राजनीति का कोई महत्व है भी? क्या इसके...

हेनरी डेविड थोरो जन्मदिन विशेष: सादगी हो, पर सियासत के नाम पर नहीं

सादगी दिवस की शुरुआत लेखक और दार्शनिक हेनरी डेविड थोरो के सम्मान में की गई थी। डेविड जीवन को सादगी से जीने के हिमायती थे। हेनरी का जन्म 12 जुलाई को हुआ था और उनका मानना था कि जीवन...

अब पवार के पावर की आजमाइश

महाराष्ट्र में आज सुस्ताए से रविवार के दिन जो सियासी भूचाल आया और उसके झटके आगे भी होना लाज़मी है वह 2024 के आम चुनाव की तैयारियों से ही नहीं मूलतः पूरे देश की आर्थिक परिस्थितियों है जुड़ा है। लेकिन इस...

शोक की जगह शपथ का जश्न: राजनीति का यह क्रूर चेहरा है!

राजनीति कितनी क्रूर और बेशर्म हो गयी है। वह महाराष्ट्र की आज की घटना बताती है। मुंबई-नागपुर हाईवे पर हादसे के शिकार 25 लोगों का आज जब दाह संस्कार हो रहा था तो उसी समय राजभवन में अजीत पवार...

प्रकाश सिंह बादल का देहांत, पंजाब की सियासत के एक युग का अंत 

मंगलवार देर शाम सिख सियासत के एक युग का अंत हो गया। कुछ अरसे से बीमार चल रहे प्रकाश सिंह बादल नहीं रहे। बादल पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे और एक बार केंद्र सरकार में कृषि मंत्री। उन्हें...

भगवान राम के सहारे विघटनकारी राजनीति चमकाने की कवायद

इस साल रामनवमी पर देश के कई हिस्सों में हिंसा हुई। इनमें शामिल हैं, हावड़ा, छत्रपति संभाजी नगर (जिसे पहले औरंगाबाद कहा जाता था), मुंबई के कुछ उपनगर, दिल्ली और बिहार के कुछ कस्बे। पिछले कुछ वर्षों से रामनवमी...

कांशीराम के राजनीतिक प्रयोग के मायने

पहचान व्यक्तित्व का एक ऐसा जरूरी हिस्सा है जो न सिर्फ हमारी लोकेशन को निर्धारित करता है बल्कि हमारे लिए ढेर सारे सकारात्मक और नकारात्मक अवसरों को भी उत्पन्न करता है। यह राष्ट्रीय, भाषाई, क्षेत्रीय,धार्मिक और जातीय किसी भी...

‘उफ़! टू मच डेमोक्रेसी’: सादा ज़बान में विरोधाभासों से निकलता व्यंग्य

डॉ. द्रोण कुमार शर्मा का व्यंग्य-संग्रह ‘उफ़! टू मच डेमोक्रेसी’ गुलमोहर किताब से प्रकाशित हुआ है। वैसे तो ये व्यंग्य ‘न्यूज़क्लिक’ ई अख़बार के ‘तिरछी नज़र’ कॉलम में सिलसिलेवार छपे हैं और बहुत पसंद किए गए हैं, पर पुस्तकाकार रूप में कुछ...

नवउदारवादी अर्थनीति, बहुसंख्यकवाद और राजनीतिक बंदियों की रिहाई पर विपक्ष की चुप्पी आत्मघाती

देश तीखे राजनीतिक संघर्ष के दौर में प्रवेश कर गया है, जिसमें सबकी निगाह अगले महीने शुरू होने जा रहे चुनावों की श्रृंखला पर है जिनकी चरम परिणति भारतीय लोकतन्त्र के लिए निर्णायक 2024 के आम चुनाव में होगी।  राष्ट्रीय...

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जन्मशती विशेष: याद आते रहेंगे देव आनंद

देव आनंद ज़माने को कई फिल्मी अफसाने दिखा कर गुजरे। उनका निजी जीवन भी किसी फिल्मी अफसाने से कम...