रांची। झारखंड निर्माण मजदूर यूनियन की राज्य कमिटी की एक बैठक में कहा गया कि अगर न्यूनतम मजदूरी में संशोधन हुआ तो आन्दोलन तेज होगा। यह बैठक 28 जून को रांची स्थित डोरंडा में आयोजित किया गया था।
बैठक को संबोधित करते हुए ऑल इंडिया कंस्ट्रक्शन वर्कर फेडरेशन के राष्ट्रीय महासचिव एसके शर्मा ने कहा कि मजदूर अधिकारों को संरक्षित करने वाले सभी श्रम कानूनों को केन्द्र सरकार संशोधन कर रही है। श्रम कोड मजदूरों की बजाय कंपनियों के हितों में ज्यादा लागू कर रही है। आज मजदूर घोर असुरक्षा के बीच बेगारी पर काम करने के लिए मजबूर है। कंपनियां मजदूरों के साथ गुलामों की तरह बर्ताव कर रही है।
एसके शर्मा ने आगे कहा कि भवन निर्माण कर्मकारों के लिए बना कल्याण बोर्ड भी हाथी का दांत साबित हो रहा है। बोर्ड मजदूरों के लाभ की बजाए काम्पनियों पर मेहरबान है। उन्होंने कहा कि केन्द्र हो राज्य सरकार, दोनों सरकारें मजदूरों के हितों के प्रति असंवेदनशील है। केन्द्र के इशारे पर राज्यों में श्रम कोड लागू करने की तैयारी शुरू कर दी गई है, जिससे मजदूरों का जीवन और भी बदतर होगा। ऐसे में मजदूर विरोधी सरकार के खिलाफ़ अगस्त महीने में आन्दोलन तेज होगा।
ऐक्टू के प्रदेश महासचिव शुभेंदु सेन ने कहा कि गजट नोटिफिकेशन के बावजूद न्यूनतम मजदूरी में संशोधन असंवैधानिक है। आपत्ति करने की अवधि समाप्त होने के बावजूद सरकार द्वारा कंपनियों के इशारे पर बदलने की कोशिश मजदूर विरोधी कदम है। 90 प्रकार के मजदूरों के लिए सर्व सहमति से न्यूनतम मज़दूरी में राज्य सरकार बदलाव करेगी तो आन्दोलन तेज होगा।
निर्माण मजदूर यूनियन के प्रदेश महासचिव भुवनेश्वर केवट ने कहा कि झारखंड विधान सभा के चुनाव में मजदूर मूकदर्शक नहीं बनेंगे। वर्षो के संघर्षों से मज़दूरों को मिली अधिकारों पर हमला करने वाली सरकार के खिलाफ़ निमार्ण मजदूर निर्णायक भूमिका अदा करेंग। श्रम कानून में संशोधन के खिलाफ़ लेबर कोड वापस लेने की मांग पर उन्होंने कहा कि 20 जुलाई से 8 अगस्त तक पूरे राज्य में हस्ताक्षर आभियान चलाकर केन्द्र सरकार को सौंपा जाएगा।
बैठक में रांची, रामगढ़, चतरा, देवघर दुमका गुमला, बोकारो समेत कई जिलों के राज्य कमिटी सदस्यों ने भाग लिया। बैठक में निर्माण मजदूर यूनियन के अध्यक्ष सुभाष मण्डल, भुवनेश्वर बेदिया, अमल घोष, विजय गिरी, भीम साहू, अशोक महतो, शेख सहदूल, सरिता तिग्गा, श्यामलाल चौधरी, किशोर खंडित, दयाल चंद पंडित, एनामुल हक, इतवारी देवी, कार्तिक उरांव समेत कई मजदूर नेता शामिल हुए।
इसके एक दिन पहले 24 जून को केन्द्र सरकार की मजदूर कर्मचारी विरोधी नीतियों और पीएफ अंशदान जमा करने में देरी पर दंड में कटौती के विरुद्ध ऑल इंडिया सेंट्रल कौंसिल ऑफ़ ट्रेड यूनियंस (AICCTU) द्वारा रांची के अल्बर्ट एक्का चौक पर राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस मनाया गया।
यह विरोध कंपनियों द्वारा भविष्य निधि (पीएफ) अंशदान जमा न करने पर लगने वाले दंड में की गई भारी कटौती के खिलाफ अयोजित किया गया। ऐक्टू से जुड़े कार्यकर्ता यूनियन कार्यालय से रैली निकालकर अल्बर्ट एक्का चौक पहुंचे जहां जोरदार नारों के साथ विरोध प्रदर्शन किया गया।
ऐक्टू के प्रदेश महासचिव शुभेंदु सेन ने कहा कि एनडीए की सरकार बनते ही श्रम और रोजगार मंत्रालय ने 14 जून, 2024 को एक नई अधिसूचना जारी की। इसके तहत कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ), कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) में अंशदान जमा करने में देरी के लिए लगने वाले दंड में भारी कमी की गई है। यह मोदी सरकार की कॉरपोरेट पक्षीय फ़ैसला है। श्रमिकों के मेहनत की कमाई की लूट की खुली छूट देने की फ़ैसला सरकार जबतक वापस नहीं लेती है तबतक विरोध जारी रहेगा।
ऐक्टू के प्रदेश सचिव भुवनेश्वर केवट ने कहा कि श्रमिक विरोधी फैसले लेकर केन्द्र सरकार अवैध गतिविधियों को वैधता प्रदान कर रही। श्रम कानूनों को संशोधन कर चार लेबर कोड लाने का मामला हो या कंपनियों को श्रमिकों के पीएफ अंशदान में धोखाधड़ी करने के की छूट, सरकार कानूनी दायित्वों के उल्लंघन के लिए काम्पनियों को प्रोत्साहित कर रही है। इस मजदूर कर्मचारी विरोधी नीतियों की कीमत सरकार को चुकानी पड़ेगी।
(झारखंड से विशद कुमार की रिपोर्ट)
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