वोडाफोन मामले में केंद्र को बड़ा झटका, हेग स्थित पंचाट कोर्ट ने 22,100 करोड़ के सरकार के दावे को खारिज किया

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नई दिल्ली। वोडाफोन मामले में भारत सरकार को तगड़ा झटका लगा है। हेग स्थित पंचाट की स्थायी कोर्ट ने भारत सरकार के रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स के तौर पर वोडाफोन से 22,100 करोड़ रुपये की मांग को निष्पक्ष और समान व्यवहार की गारंटी का खुला उल्लंघन करार दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने भारत सरकार से वोडाफोन समूह को कानूनी कार्यवाही, सहायता और पंचाट कोर्ट को कंपनी द्वारा अदा की गयी फीस के तौर पर आए खर्चे के एवज में 4.3 मिलियन पाउंड यानी 40 करोड़ 22 लाख 45 हजार रुपये अदा करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने कहा कि “वादी पर थोपे गए टैक्स के दायित्व के मामले में प्रतिवादी (भारत) का व्यवहार भले ही सुप्रीम कोर्ट का उस पर कोई फैसला हो, निष्पक्ष और समान व्यवहार की गारंटी के करार को तोड़ने वाला है।”

कंपनी 2016 में पंचाट कोर्ट में चली गयी थी उस समय दोनों पक्षों के बीच मामले में किसी समझौते पर पहुंचने की कोशिश नाकाम हो गयी। भारत ने 2009 में वोडाफोन समूह की 11 बिलियन डालर की डील जिसमें ह्यूचिसन ह्वाम्पोवा के 67 फीसदी शेयर की खरीद शामिल थी, में कैपिटल गेन टैक्स के तौर पर 7990 करोड़ रुपये की मांग की थी। इस तरह से वोडाफोन समूह पर कर और पेनाल्टी लगाए जाने के बाद कुल 22100 करोड़ के बकाये का भारत सरकार ने दावा किया था।

वोडाफोन ने सरकार के दावे को चुनौती दी थी और कहा था कि उसे बताया जा रहा कैपिटल गेन टैक्स अदा नहीं करना है क्योंकि भारत और नीदरलैंड के बीच द्विपक्षीय निवेश का समझौता था। हालांकि वोडाफोन ने टैक्स डिमांड को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दे रखी थी जिसने टेल्को के पक्ष में फैसला दिया था। आपको बता दें कि सरकार ने फाइनेंस एक्ट में 2012 में बदलाव किया था और टैक्स को पीछे से लागू किया था।

(इंडियन एक्सप्रेस से कुछ इनपुट लिए गए हैं।)

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