पिछले एक दशक से सोशल मीडिया का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल नस्लवाद, मनुवाद, सांप्रदायिक नफ़रत फैलाने के लिए किया गया है। राजनैतिक पार्टी या विचारधारा के लिहाज से देखें तो कट्टर दक्षिणपंथी पार्टियों और नस्लवादी दक्षिणपंथी विचारधारा ने सोशल मीडिया का सबसे ज़्यादा और सबसे कारगर इस्तेमाल किया है। या यूँ कहें कि सोशल मीडिया की बदौलत ही दुनिया भर में दक्षिणपंथी पार्टियां राजनैतिक सत्ता पर काबिज हुईं। और आगे कई सालों तक उनकी सत्ता बरकरार रहे इसके लिए ही संयुक्त राज्य अमेरिका से लेकर भारत तक में दक्षिणपंथी पार्टियों ने दूसरी विचारधारा और दूसरे नस्लों व समुदायों के खिलाफ़ प्रोपेगैंडा फैलाने के लिए सोशल मीडिया सेल तक बना रखे हैं।
भारत में तो वॉट्सएप और फेसबुक की बदौलत मॉब लिंचिंग, हिंसा और दंगा तक अंजाम दिए गए। लेकिन जॉर्ज फ्लॉयड की हिरासत में हत्या के बाद अमेरिका और यूरोप में खड़े हुए ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ आंदोलन के चलते अमेरिकी की तमाम बड़ी कंपनियों ने फेसबुक के खिलाफ़ पिछले एक महीने से ‘स्टॉप हेट फॉर प्रॉफिट’ कैंपेन शुरु किया है। इसके तहत कई कंपनियों ने फेसबुक और फेसबुक अधिकृत इंस्टाग्राम से अपने विज्ञापन वापस ले लिए हैं। फेसबुक के बहिष्कार कैंपेन को ब्रिटिश राजघराने के प्रिंस हैरी और मेगन मार्कले का समर्थन भी मिला है।
‘#स्टॉपहेटफॉरप्रॉफिट’ कैंपेन की शुरुआत और संयोजक
17 जून को कलर ऑफ चेंज, एनएएसीपी, एडीएल, स्लीपिंग जाइंट्स, फ्री प्रेस, और कॉमन सेंस मीडिया जैसी कंपनियों के एक समूह ने स्टॉप हेट फॉर प्रॉफिट कैंपेन शुरु करते हुए फेसबुक पर विज्ञापन देने वाले ब्रांडों और कंपनियों से जुलाई 2020 तक फेसबुक और इंस्टाग्राम पर विज्ञापन रोकने के लिए अपील करते हुए मांग किया कि फेसबुक अपने प्लेटफॉर्म से नस्लवाद के खिलाफ़ सख्ती अख्तियार करे । स्लीपिंग जाइंट्स इस मुहिम की प्रमुख संयोजक हैं।
विज्ञापनदाताओं को लक्षित करके #stophateforprofit कैंपेन चलाने वाले उद्योग समूह ‘गलत सूचना और धमकियों’ पर फेसबुक की नीति में बदलाव की उम्मीद करता है। ट्विटर ने गलत जानकारी और धमकियों के खिलाफ़ एक मजबूत कदम उठाकर मिसाल कायम किया है। इसका सबसे ज्वलंत उदाहरण मई में राष्ट्रपति ट्रम्प का था, जब जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या का अमेरिका भर में विरोध शुरू हुआ, ट्विटर और फेसबुक पर पोस्ट किया गया: “Any difficulty and we will assume control but, when the looting starts, the shooting starts.” ट्विटर ने ‘हिंसा के महिमामंडन’ पर अपने नियमों को तोड़ने के लिए ट्वीट पर एक सार्वजनिक हित में नोटिस जारी किया था।
कलर ऑफ चेंज वेबसाइट में कहा गया है: -“हेट स्पीच के मुद्रीकरण से लेकर उनके एल्गोरिदम में भेदभाव के साथ मतदाताओं के दमन में वृद्धि और काले समुदाय की आवाज़ों को खामोश करने तक, फेसबुक ने अपने प्लेटफॉर्म पर बढ़ते नफरत, पूर्वाग्रह और भेदभाव के खिलाफ़ जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया है। और एक चीज जो फेसबुक को नस्लवादी प्रथाओं को जारी रखने की अनुमति देता है, वह हर साल निगमों से मिलने वाला 70 बिलियन डॉलर का राजस्व है। अब कंपनियों को सोचना है कि वो फेसबुक के प्लेटफॉर्म पर अफ्रीकी-अमेरिकी लोगों पर नस्लवादी हमलों के साथ साथ अपना बिजनेस जारी रखना चाहती हैं या नहीं।
संक्षेप में, जिन कंपनियों ने सार्वजनिक रूप से अपने सोशल मीडिया चैनलों पर ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ आंदोलन को समर्थन देने का उल्लेख किया है, उन्हें इस बात पर लंबे समय तक दृढ़तापूर्वक ध्यान देने की आवश्यकता है कि कहीं उनके द्वारा दिए जा रहे विज्ञापन के डॉलर उनके उदात्त शब्दों को, गरिमा को कम तो नहीं कर रहे, एक ऐसे मंच को फंडिंग करके जो सीधे तौर पर उनके मूल्यों को नियंत्रित करता है।”
स्टॉप हेट फॉर प्रॉफिट वेबसाइट पर निंदा करते हुए कहा गया है- “(फेसबुक) ने अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड, ब्रायो टेलर, टोनी मैकडैड, अहमउद अरबेरी, रेज़हार्ड ब्रूक्स और इतने के मद्देनजर नस्लीय न्याय के लिए संघर्ष कर रहे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा की अनुमति दी। ‘ब्रिटबार्ट न्यूज’ जैसे नामी और विश्वसनीय न्यूज सोर्स और फैक्ट चेकर ‘द डेली कॉलर’ के पास ‘ज्ञात श्वेत राष्ट्रवादियों’ के साथ फेसबुक के काम करने का रिकॉर्ड है। फेसबुक ने अपने मंच पर मतदाताओं के दमन को लगातार नज़रअंदाज करता आया है।
कैंपेन की ओर से जारी की गई मांग सूची सरल और कार्रवाई योग्य है:
उन लोगों को अधिक समर्थन प्रदान करें जो नस्लवाद, असामाजिकता और नफ़रत के निशाने पर हैं
• उन उपयोगकर्ताओं के लिए एक अलग मॉडरेशन पाइपलाइन बनाएं जो ये अभिव्यक्त करते हैं कि उन्हें विशिष्ट पहचान विशेषताओं जैसे कि धर्म या नस्ल के कारण लक्षित किया गया है। इस पाइपलाइन में पहचान-आधारित घृणा के विभिन्न रूपों के विशेषज्ञ शामिल होने चाहिए।
• प्लेटफॉर्म पर पीड़ितों के लिए एक थ्रेसहोल्ड बनाएं जहां पीड़ित की चिंताओं को दूर करने में मदद के लिए हमेशा एक फेसबुक कर्मचारी मौजूद रहे।
• पहचान-आधारित घृणा का उनके उद्गम स्रोत के साथ रिपोर्टिंग फ़ॉर्म से डेटा जारी करें। उदाहरण के लिए, साल 2019 में नस्लीय या जातीयता पर आधारित हेट स्पीच की कितनी रिपोर्ट मिली? और उनके खिलाफ़ किस प्रकार की कार्रवाई की गई?
गलत सूचनाओं और हानिकारक सामग्री के विज्ञापनों से राजस्व बढ़ाना बंद करो
• आंतरिक तंत्र बनाएं (प्रत्येक फ़ेसबुक प्लेटफ़ॉर्म पर प्रत्येक मीडिया प्रारूप के लिए) जो भ्रामक सूचनाओं या नफ़रत के रूप में लेबल की गई सामग्री के सभी विज्ञापनों को स्वतः ही हटा दें।
• विज्ञापनदाताओं को यह बताने के लिए कि भ्रामक सूचना या घृणा के चलते उनके जिन विज्ञापन को हटा दिया गया है, उनके विज्ञापन कितनी बार दिखाए गए थे, यह बताने के लिए सभी फेसबुक उत्पादों पर विज्ञापन पोर्टल बदलें।
• उन विज्ञापनों के लिए दिए गए धन को विज्ञापनदाताओं का वापस लौटाएं।
• इसे साबित करें: विशेष रूप से इन सुझावों को संबोधित करते हुए एक ऑडिटेड पारदर्शिता रिपोर्ट भेजें।
फेसबुक पर प्राइवेट ग्रुप की सुरक्षा बढ़ाएं
- एक निजी समूह के सदस्य के अनुरोध पर, 150 से अधिक सदस्यों के साथ प्रति समूह कम से कम एक फेसबुक-संबद्ध मॉडरेटर प्रदान करें। बड़े समूहों के लिए अधिक मॉडरेटर पर विचार करें।
- मानव समीक्षा के लिए चरमपंथी विचारधाराओं से जुड़े निजी समूहों में सामग्री को ऑटोमैटिक रूप से चिन्हित करने के लिए एक आंतरिक तंत्र बनाएं। इस सामग्री और संबंधित समूहों की समीक्षा तब अतिवाद आंतरिक विषय वस्तु विशेषज्ञों द्वारा की जाएगी।
फेसबुक और इंस्टाग्राम पर विज्ञापन का बहिष्कार करने वाले प्रमुख ब्रांड
अब तक 150 से अधिक कंपनियां फेसबुक के बहिष्कार मुहिम से जुट चुकी हैं। इसमें प्रमुख रूप से ‘नॉर्थ फेस, पैटागोनिया, आर्कटेरिक्स, आउटडोर रिटेलर आरईआई, बेन एंड जेरी, एलीन फिशर, एडी बाउर, मैगनोलिया पिक्चर्स, अपवर्क, हायररिंग, डैशलेन और टाकस्पेस, अडाफ्रूट, मोजिला, लोकल पोस्टल, शामिल हैं। गुरुवार को ‘वेरजोन’ (हफपोस्ट की पितृ कंपनी) भी बायकाट मुहिम में शामिल हो गई।
Goodby Silverstein भी शमिल है। बता दें कि गुडबाय सिल्वरस्टीन एक विज्ञापन एजेंसी है जिसके क्लाइंट में बीएमडब्ल्यू, पेपाल और पेप्सी शामिल है।
फेसबुक मैनेजमेंट की सफाई
विभिन्न मीडिया संस्थानों को दिए एक बयान में, फेसबुक ने कहा है कि वह ब्रांडों के निर्णयों का सम्मान करता है और वह नफरत फैलाने वाले कंटेंट (हेट स्पीच) को हटाने और मतदान जानकारी प्रदान करने के प्रति “प्रतिबद्ध है”। कंपनी के सीओओ शेरिल सैंडबर्ग ने कंपनी की वेबसाइट पर एक पोस्ट भी लिखी जिसमें ब्लैक समुदाय का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्धताओं की घोषणा की गई थी, हालांकि उनके इस पोस्ट के बाद भी कई कंपनियों द्वारा फेसबुक का बहिष्कार जारी है।
प्रमुख ब्रांडों के सीईओ के बयान
एनएएसीपी के अध्यक्ष और सीईओ, डेरिक जॉनसन कहते हैं, “फेसबुक ने अपने मंच पर घृणित झूठ और खतरनाक प्रोपेगैंडा को रोकने के बजाय उसकी खुले तौर पर उपेक्षा किया है। ये फेसबुक नेतृत्व में व्यापक जनहितों के प्रति कोई फिक्र न होने और कार्पोरेट की सामाजिक जिम्मेदारी के भाव के खत्म हो जाने की मिसाल है। कोई भी ब्रांड जो अपने उपभोक्ताओं के सर्वोत्तम हित को ध्यान में रखने का दावा करता है, उन्हें निस्संदेह #स्टॉपहेटफॉरप्रॉफिट अभियान में शामिल होना चाहिए। फेसबुक अंततः अमेरिकी जनता के साथ अपनी विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा रहा है, और कोई भी कंपनी जो ऐसा करने से बचना चाहती है उसे एक संदेश देना चाहिए कि हम इस महत्वपूर्ण समय के दौरान भ्रामक सूचनाओं को स्वीकार नहीं करेंगे। ”
टॉक्स स्पेस सीईओ ओरेन फ्रैंक कहते हैं- “मुझे लगता है कि फेसबुक को पोस्ट पर एक नोटिस जारी करके हटाने या न जोड़ने के लिए एक चेतावनी देना चाहिए था, जो कि हिंसा को उकसा रही थी। ऐसा न करके फेसबुक ने स्पष्ट रूप से गलती की, और यह वास्तव में एक सरल निर्णय होना चाहिए था जब ट्विटर ने उन्हें करके दिखाया कि कैसे सही काम करना है। यह राजनीति या विचारधारा के बारे में नहीं है, बल्कि बुनियादी शालीनता और जिम्मेदारी के बारे में है।”
3 जून को, मार्केटिंग टेक्नोलॉजी कंपनी ‘ब्रेज’ की सीएमओ, सारा स्पिवे ने ट्वीट किया-“एक सीएमओ के रूप में, मैं किसी ऐसे संस्थान को फंड नहीं कर सकती जो विभाजकता और घृणा को “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” के पीछे छुपाता है और इसके खिलाफ कार्रवाई करने में विफल है। साथी मार्केटर, मेरा साथ दो।”
नॉर्थ फेस के सीएमओ स्टीव लेस्नार्ड कहते हैं- “हम मानते हैं कि दर्द के इस सांस्कृतिक क्षण में, यह ‘नॉर्मल’ पर्याप्त अच्छा नहीं है, और हम सभी को तुरंत सकारात्मक बदलाव लाने की आवश्यकता है। और हम मानते हैं कि कार्रवाई का स्वर शब्दों से अधिक जोरदार होता है। इसलिए जब हमने NAACP की घोषणा को देखा, तो हम सब बहुत जल्द ही एक मंच पर आए। हम ऐसा करने जा रहे हैं, ताकि हम वास्तव में एक बयान जारी कर सकें और उम्मीद कर सकें कि फेसबुक अपनी नीतियों की फिर से समीक्षा करे और अपने प्लेटफॉर्म से हेट स्पीच, नस्लवादी बयानबाजी और गलत सूचना के प्रसार पर रोक लगाने के कठोर नियम बनाए। हमारे समाज में क्या हो रहा है, इसके साथ बहुत कुछ दांव पर है और हमें तुरंत कार्रवाई करने की ज़रूरत है। हम गलत सूचनाओं, भेदभाव करके नफरत फैलाने वाले भाषण और जातिवादी बयानबाजी के खिलाफ़ कठोर नियम देखना चाहते हैं। और इसलिए, हम आशा करते हैं कि फेसबुक इसे किस तरह से निपटाना है इस दृष्टिकोण के साथ वापस आएगा। हम इसी तरह के हल की तलाश में हैं।”
यह भी अभूतपूर्व है कि 360i जैसी डिजिटल मीडिया एजेंसियां (जिनके पास मैककॉर्मिक एंड कंपनी, डिस्कवर फाइनेंशियल सर्विसेज और यूनिलीवर जैसे ग्राहक हैं) ग्राहकों को फेसबुक का बहिष्कार में शामिल होने की अपील कर रही हैं। सार्वजनिक रूप से खड़े होने वाली पहली आवाज़ों में से एक, आईपीजी मीडियाब्रांड्स की वरिष्ठ उपाध्यक्ष एलिजा हैरिस ने भी लिंक्डइन पर फेसबुक के बहिष्कार के बाबत लिखा है।
एलिजा हैरिस कहती हैं- “आदर्श रूप से, एजेंसी-क्लाइंट संबंध साझा मूल्यों पर आधारित है, जो व्यवहार और विश्वासों के एक मानक के रूप में निर्धारित करती है कि मीडिया पार्टनर्स का कैसा व्यवहार स्वीकार्य है और क्या नहीं है। लोग अफ्रीकी-अमेरिकियों की बर्बरतापूर्ण हत्याओं सहित हाल की घटनाओं से तंग आ चुके हैं, और इन सबको फेसबुक के उस निर्णय के साथ जोड़कर देख रहे हैं जिसमें अपने प्लेटफॉर्म पर संभावित हानिकारक सामग्री को बिना चेक किए ही आगे बढ़ाने की पोलिसी अपनाई जाती है। मार्केटर्स और कन्ज्यूमर्स एक जैसा बदलाव चाहते हैं। उद्योग को स्टैंड लेना पड़े इस तरह की चरम परिस्थितियों को नहीं उपजना चाहिए था, लेकिन मेरा मानना है कि हमारे पास परिवर्तन लाने, जवाबदेही तय करने और सबसे महत्वपूर्ण बात, लोगों की सुरक्षा करने का एक सही अवसर है।”
फेसबुक सीईओ मार्क जुकरबर्ग का डोनाल्ड ट्रंप के साथ गुप्त डिनर
राजनीतिक विज्ञापनों पर अपनी अवस्थिति के चलते फेसबुक को लगातार व्यापक आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि ये सोशल मीडिया जाइंट राजनेताओं के राजनीतिक विज्ञापनों का फैक्ट चेक नहीं करता और न ही उनमें से भ्रामक सूचनाओं को हटाता है। जबकि उसकी प्रतिस्पर्धी सोशल प्लेटफॉर्म जैसे कि ट्विटर और यूट्यूब ने अलग अवस्थिति अपनाई, ट्विटर ने साफ तौर पर राजनीतिक विज्ञापनों को बैन कर दिया है,और यूट्यूब ने अपने प्लेटफॉर्म से सैंकड़ों राजनीतिक विज्ञापनों को हटा दिया है ।
फेसबुक अपने राजनीतिक विज्ञापनों की वजह से भी लगातार निशाने पर है। फेसबुक पर अमेरिका का पिछला चुनाव प्रभावित करने का भी आरोप लगता आया है। दक्षिणपंथी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग के बीच 20 सितंबर 2019 को ओवल ऑफिस में एक मीटिंग हुई थी।
इसके एक महीने भर बाद अक्तूबर 2019 में डोनाल्ड ट्रंप ने मार्क जुकरबर्ग को व्हाइट हाउस में एक गुप्त डिनर पर भी बुलाया था। इसमें फेसबुक बोर्ड मेंबर पीटर थील भी शामिल हुए थे। इस गुप्त डिनर के बाद फेसबुक को श्वेत राष्ट्रवाद के पक्ष में खड़े होने और अमेरिकी राजनीति को कंट्रोल करने के आरोप भी लगे।
फेसबुक पर अमेरिकी राजनीति को कंट्रोल करने का आरोप
सीनेटर एलिजाबेथ वॉरेन ने फेसबुक की विज्ञापन नीति को एक फर्जीवाड़े के साथ लक्षित करते हुए दावा किया कि मार्क जुकरबर्ग ने ट्रम्प के फिर से चुनाव का समर्थन किया।
अपने एक संबोधन और कई मीडिया संस्थानों में बात करते हुए वॉरेन कहती हैं- “देखिए, मार्क जुकरबर्ग पर मेरे विचार बहुत स्पष्ट हैं। वह एक ऐसी कंपनी चलाते हैं जिसमें बहुत अधिक राजनीतिक शक्ति है … हमें इन बड़ी तकनीकी कंपनियों को तोड़ने की जरूरत है। हमें लोकतंत्र को बहाल करने की जरूरत है।”
एलिजाबेथ वॉरेन के बयान के बाद कुछ महीने पहले मॉर्क जुकरबर्ग का एक ऑडियो लीक हुआ। लीक आडियो में
मार्क जुकरबर्ग फेसबुक के कर्मचारियों से कह रहे हैं-“अगर एलिजाबेथ वॉरेन राष्ट्रपति बनती हैं तो यह “झंझट” होगा क्योंकि फेसबुक कंपनी को तोड़ने की उनकी योजना को विफल करने के लिए हमें संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार के खिलाफ़ मुकदमा करना होगा।”
लीक ऑडियो से स्पष्ट है कि वो एलिजाबेथ वॉरेन का किसी भी कीमत पर राष्ट्रपति नहीं बनने देना चाहते हैं।
फेसबुक पर उपभोक्ताओं के निजी डेटा बेचने के आरोप
मशहूर वरिष्ठ बुद्धिजीवी नॉम चाम्सकी ने जुलियन असांजे के हवाले से एक ट्वीट करके मार्क जुकरबर्ग पर हमला बोला था- “मार्क जुकरबर्ग और मेरे बीच क्या अंतर हैं? मैं आपको मुफ्त में कार्पोरेशन्स की निजी जानकारी देता हूं, और मैं एक खलनायक हूं। जुकरबर्ग पैसों के लिए आपकी निजी जानकारी कार्पोरेशन्स को देते हैं और वह मैन ऑफ द ईयर है।
जुलियन असांजे”
कई बार फेसबुक से उपभोक्ताओं की निजी डेटा चोरी हुई है। दरअसल निजी डेटा चोरी की अफवाह उड़ाकर फेसबुक निजी डेटा बेचने की अपने चोरी को छुपा लेता है।
फेसबुक पर कई बार अपने यूजर्स का निजी डेटा बेचने के आरोप भी लगे हैं। फेसबुक कैंब्रिज एनालिटिका जैसी कंपनियों को अपने यूजर्स के निजी डेटा बेचता है। कैंब्रिज एनालिटिका इन डेटा को पोलिटिकल कंसल्टिंग फर्म के हाथों बेचती हैं। हाल के वर्षों में इसका खुलासा हुआ है।
इतना ही नहीं फेसबुक जूम जैसे पॉपुलर वीडियो कान्फ्रेंसिंग सॉफ्टवेयर से उसके ग्राहकों के डेटा खरीदता है।
जाहिर है फेसबुक सारी नैतिकताओं और मानवीय मूल्यों को दरकिनार कर हर ओर से सिर्फ़ अपना मुनाफा देखता है।
(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)
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