नई दिल्ली। इंडिया गठबंधन के सांसदों ने आज यानि गुरुवार को विपक्षी सांसदों के निलंबन के विरोध में संसद भवन से विजय चौक तक मार्च निकाला। विशाल ‘लोकतंत्र बचाओ’ बैनर तले निकाले गए मार्च में सांसदों ने अपने हाथों में तख्तियां लेकर, जिन पर ‘विपक्षी सांसद निलंबित’, ‘संसद बंदी’ और ‘लोकतंत्र निष्कासित’ जैसे नारे लिखे हुए थे। इंडिया गठबंधन के नेता सांसदों के निलंबन के खिलाफ शुक्रवार को जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। और मोदी सरकार के “अनैतिक और अवैध” व्यवहार के खिलाफ देश के सभी जिला मुख्यालयों में भी राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन किया जएगा।
विजय चौक पर पत्रकारों से बात करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद सुरक्षा उल्लंघन के मुद्दे पर नहीं बोलकर संसदीय विशेषाधिकार का उल्लंघन किया है। लोकतंत्र में बोलना विपक्ष का अधिकार है और लोगों के प्रतिनिधि के रूप में यह सांसदों की जिम्मेदारी है कि वे संसद में लोगों की भावनाओं को बताएं। खड़गे ने सरकार से “लोकतांत्रिक तरीके से व्यवहार करने” का आग्रह किया।
खड़गे ने कहा कि विपक्ष संसद की सुरक्षा में हुई चूक मुद्दे पर बोलना चाहता था लेकिन प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री शाह न तो लोकसभा में आए और न ही राज्यसभा में, जबकि प्रधानमंत्री अन्यत्र भाषण देते रहे।
खड़गे ने कहा, “हम संसद सुरक्षा उल्लंघन का मुद्दा उठाना चाहते थे कि ऐसा क्यों हुआ और कौन जिम्मेदार है।” “संसद एक बड़ी पंचायत है। अगर कोई संसद में नहीं बोलेगा तो कहां बोलेगा। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गृह मंत्री शाह और प्रधानमंत्री मोदी संसद सुरक्षा उल्लंघन के बारे में सदन को अवगत कराने या चर्चा करने के लिए नहीं आए। लेकिन उन्होंने सदन के बाहर उन मुद्दों पर बात की, जिन पर सदन के अंदर चर्चा होनी चाहिए।”
उन्होंने कहा, “वह (मोदी) वाराणसी, अहमदाबाद में टीवी पर बात करते हैं, लेकिन संसद में नहीं। उन्होंने सदन का अपमान किया है। उन्हें पहले सदन में आना चाहिए, लोकसभा और राज्यसभा में बोलना चाहिए। इसके बजाय वह बाहर बोल रहे थे।”
खड़गे ने आरोप लगाया कि यह निंदनीय है और यह (सदन के) विशेषाधिकार का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि विपक्षी सांसद बार-बार राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से सांसदों को सुरक्षा उल्लंघन के मुद्दे पर बोलने की अनुमति देने का अनुरोध कर रहे हैं, लेकिन सत्तारूढ़ दल के सदस्य कार्यवाही में बाधा डाल रहे हैं।
कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि, इससे पता चलता है कि भाजपा को लोकतंत्र में विश्वास नहीं है और वह चर्चा और बहस नहीं चाहती है।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल, नेशनल कॉन्फ्रेंस के हसनैन मसूदी, झामुमो की महुआ माजी, समाजवादी पार्टी के एसटी हसन, खड़गे के साथ विजय चौक पर उपस्थित थे।
मिमिक्री मुद्दे और उस पर धनखड़ की टिप्पणी के स्पष्ट संदर्भ में, खड़गे ने कहा, “मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि राज्यसभा के सभापति ने एक मुद्दा उठाकर संसद में एक तरह से जातिवाद ला दिया है।
धनखड़ ने राज्यसभा में अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा था कि वह व्यक्तिगत रूप से आहत हैं क्योंकि उनकी किसान और जाट पृष्ठभूमि को निशाना बनाया गया है।
विरोध मार्च के बाद एक्स पर एक पोस्ट में खड़गे ने कहा, “हम, भारत के लोगों को लोकतंत्र को बचाने की जरूरत है। विपक्षी सांसदों को निलंबित करके महत्वपूर्ण कानून पारित करना लोकतंत्र नहीं है। यह सबसे खराब प्रकार का अधिनायकवाद है। अगर हमने अभी इस तानाशाही के ख़िलाफ़ आवाज़ नहीं उठाई तो हमारी आने वाली पीढ़ियां हमें माफ़ नहीं करेंगी!”
(जनचौक की रिपोर्ट।)
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