भारत-चीन सीमा विवाद: कमांडरों के बीच हुई मैराथन बैठक

Estimated read time 1 min read

नई दिल्ली। लद्दाख के पास भारत और चीन के बीच उठे सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों के आर्मी कमांडरों ने कल तीन घंटे से ज्यादा समय तक आमने-सामने की बैठक की। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व 14वीं बटालियन के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह कर रहे थे। जबकि चुशूल के पास मोलदो में हुई इस वार्ता में चीनी आर्मी टीम का नेतृत्व दक्षिण जिंजियांग मिलिट्री डिस्ट्रक्ट के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन ने किया। गौरतलब है कि लद्दाख से जुड़ी सीमा पर निगरानी का काम इसी जिले की सेना के पास है।

पहले यह वार्ता शनिवार को बिल्कुल सुबह यानी तकरीबन 8.30 बजे शुरू होनी थी। लेकिन किन्हीं कारणों से फिर यह बैठक 11 बजे शुरू हो पायी। लंच के एक ब्रेक के साथ यह बैठक 3 घंटे से ज्यादा चली।

ऐसा माना जा रहा है कि लेफ्टिनेंट जनरल सिंह आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवाने को बैठक में क्या हुआ इसकी रिपोर्ट देंगे। हालांकि पिछली रात तक बैठक में क्या हुआ इस पर न तो सेना और न ही विदेश मंत्रालय की तरफ से कुछ कहा गया।

उसके पहले दिन में एक आधिकारिक बयान में कहा गया था कि “भारत और चीन के सीमाई इलाके में उत्पन्न मौजूदा परिस्थितियों को हल करने के लिए भारत और चीन के अधिकारी स्थापित सैन्य और कूटनीतिक चैनलों के जरिये प्रयास जारी रखेंगे। इसलिए इस चरण में बातचीत के बारे में किसी भी तरह की काल्पनिक और तथ्य से परे रिपोर्टिंग किसी भी रूप में सहायक नहीं साबित होगी और मीडिया को भी यह सलाह दी जा रही है कि इस तरह की रिपोर्टिंग से वह बचे।”

बीजिंग की तरफ से इस मसले पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। एक दिन पहले चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि सीमा पर स्थिति स्थिर और नियंत्रण में है।

सेना के कमांडरों की बैठक से पहले भारत और चीन के राजदूतों ने सीमा पर कार्यरत अपने तंत्र की सहायता से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बातचीत की थी। इसमें इस बात को चिन्हित किया गया था कि “दोनों पक्षों को अपने विवादों को शांतिपूर्ण बातचीत के जरिये हल करना चाहिए।” और ‘इन्हें झगड़ा बनने देने की इजाजत नहीं देनी चाहिए’।

यह कहते हुए कि कल की बैठक बहुत सारी होने वाली बैठकों में से पहली हो सकती है अधिकारियों ने मामले के तुरंत हल की उम्मीद न करने की सलाह दी थी। 

सैन्य और कूटनीतिक हल्कों ने बातचीत में चीनी कठोरपन की तरफ इशारा किया है। लेकिन नई दिल्ली और बीजिंग दोनों ने शुक्रवार को इस बात का बिल्कुल साफ सिग्नल दिया कि दोनों पक्षों को नेतृत्व द्वारा मुहैया करायी गयी गाइडलाइन के ही मुताबिक काम करना है। जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच अप्रैल 2018 में वुहान में अनौपचारिक वार्ता के बाद रणनीतिक दिशा-निर्देश का हवाला दिया गया है।

एक अधिकारी ने बताया कि बैठक में भारत का एजेंडा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के स्टेटस को फिर से बहाल करने पर केंद्रित था। जिसमें बताया जा रहा है कि चीन ने अपनी सीमा के भीतर जारी एक सैन्य अभ्यास के रुख को भारतीय सीमा के भीतर मोड़ दिया था।

इसके अलावा दोनों पक्षों की तरफ से पेट्रोलिंग की सीमा को पहले की तरह बहाल किया जाए, भारत की इस मुद्दे को भी बैठक में उठाने की योजना है। पैंगांग त्सो इलाके में भारतीय सैनिकों को चीन फिंगर 8 तक पेट्रोल करने की इजाजत नहीं देता। आपको बता दें कि फिंगर 8 झील के उत्तरी किनारे के एलएसी प्वाइंट पर स्थित है।

इसके साथ ही भारत आपसी सहमति के आधार पर यहां मौजूद भारी सैन्य औजारों को धीरे-धीरे कम करने पर भी विचार कर रहा है। इसमें आर्टिलरी गन और तोपें शामिल हैं।

(ज्यादातर इनपुट इंडियन एक्सप्रेस से लिए गए हैं।) 

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author