राज़ किंस्टलिच एक इज़राइली राजनीतिज्ञ और 2018 से रिशोन लेज़ियन के मेयर हैं। राज़ किंसलिच कल रात के ईरानी हमले में जमींदोज हो चुके शहर के बीच खड़े होकर बता रहे हैं, “मैंने ऐसा विनाश कभी नहीं देखा; ऐसे लग रहा है कि जैसे मैं गाजा में खड़ा हूं।”
कल तक ईरान को एक नाकारा, इजरायली हमले से पूरी तरह से टूट चुके ऐसे देश के तौर पर दर्शाया जा रहा था, जो सिर्फ गीदड़ भभकियां ही दे सकता है। अधिकांश लोगों की यह धारणा भी गलत नहीं थी, क्योंकि इजराइल के हमले में सभी टॉप ईरानी रक्षा अधिकारी मारे जा चुके थे, ईरान के डिफेंस सिस्टम को तबाह किये जाने की खबर थी, यहां तक कि ईरानी परमाणु कार्यक्रम पर भी इजराइल के जबर्दस्त हमले ने विश्व जनमत को विचार करने पर मजबूर कर दिया कि अब ईरान भी कुछ दिनों का मेहमान है।
इस हमले में ईरान के सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारी जनरल मेहदी रब्बानी और जनरल घोलमरेज़ा मेहराबी को टारगेट कर इजराइल ने मार डाला था। बताया जा रहा है कि इजराइल ने इस हमले के लिए महीनों से तैयारी कर रखी थी, और ईरान के भीतर मोसाद ने अपने लोगों के जरिये ड्रोन फिट कर रखे थे, जिसके बारे में ईरानी सरकार पूरी तरह से बेखबर थी।
लेकिन इसके 24 घंटे बाद ही ईरान ने जो जवाबी हमला अंजाम कर दिखाया है, उसकी तुलना अभी तक इजराइल को मिले जवाबों में सबसे भीषण बताई जा रही है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्य्हू के बारे में परसों ही कहा जा रहा था कि वे किसी गुप्त स्थान पर छिप गये हैं, जबकि आज कई सोशल मीडिया प्लेटफार्म से सूचना आ रही है कि नेतन्याहू ग्रीस रवाना हो चुके हैं।
ईरान ने कल 100 के करीब ड्रोन हमले किये थे, जिसे इजराइल ने आसानी से निपटा दिया था। लेकिन तब यह भी कहा जा रहा था कि ईरान ने टोह लेने के लिए इनका इस्तेमाल किया था। फिर कल शुक्रवार को जुमे की नमाज की वजह से माना जा रहा था कि उसके बाद दोपहर में कभी भी ईरान बड़े हमले को अंजाम दे सकता है। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ तो सोशल मीडिया में कई लोग मानने लगे थे कि इतने बड़े पैमाने पर हमले के बाद ईरान का समूचा सुरक्षा तंत्र ध्वस्त हो चुका है।
अमेरिकी राष्ट्रपति, डोनाल्ड ट्रंप जो इससे पहले तक ईरान से परमाणु फैसिलिटी पर अपने काम को बंद करने के लिए दबाव डालते हुए कह रहे थे कि ईरान के साथ रविवार तक परमाणु करार पर हस्ताक्षर से पहले इजराइल हमला नहीं करेगा, इजरायली घातक हमले की खबर सुन एबीसी न्यूज के साथ अपनी बातचीत में कहने लगते हैं कि ईरान पर इजरायल का हमला ‘शानदार’ रहा, और आगे भी ऐसे हमले होने की उम्मीद है।
लेकिन कल रात को ईरान के पलटवार को देख पश्चिमी मीडिया के सुर बदले हुए हैं। किसी को समझ ही नहीं आ रहा है कि ईरान ने इतनी जल्दी खुद को कैसे पुनर्गठित कर इतने बड़े हमले को अंजाम दे दिया? कहा जा रहा है कि ईरान ने अपने S-400 एयर डिफेंस सिस्टम को भी दुरुस्त कर लिया है, और अब यह इजरायली ड्रोन हमलों को आसानी से ध्वस्त करने में कामयाब है। इतना ही नहीं, ईरान का दावा है कि उसने कम से कम दो F-35 बमवर्षक विमानों को मार गिराया है, और एक इजरायली पायलट उनके कब्जे में है। इसी बीच ईरान सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ ने मेजर जनरल अमीर हातमी को इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान आर्मी का कमांडर नियुक्त किया है।
इजरायली हमले में तेहरान के रिहायशी इलाकों में बम गिराने से 329 लोगों के घायल होने की खबर बताई जा रही है, जबकि 78 लोग मारे गये हैं। इजरायल के हमले की निंदा करने और जवाबी हमले की मांग करते हुए ईरान के कई शहरों में कल हजारों की संख्या में आम लोगों ने मार्च निकाला. क़ोम शहर, जहां पर ईरानी परमाणु कार्यक्रम पर काम चल रहा है, वहां से हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए।
इसी तरह तबरीज़ शहर में शुक्रवार की नमाज़ में हिस्सा लेने वाले हजारों लोगों ने ईरान पर हाल के इज़रायली आक्रमण की निंदा की और कठोर प्रतिक्रिया की मांग की।
इसके बाद ईरान ने इजराइल के खिलाफ़ ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस III आरंभ किया। ईरान की ओर से श्रृंखलाबद्ध तरीके से इजराइल पर हमले की शुरुआत हुई, जिसमें पहले दौर में 100 बैलिस्टिक मिसाइलें दागी गईं। इजराइली वायु रक्षा बलों ने अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रही ईरानी मिसाइलों की पहली लहर को रोकने का प्रयास किया। ईरानी मिसाइलें सीधे तेल अवीव के मध्य में गिरी। इजराइल ने इनमें से 7 हमलों की पुष्टि की है। ईरान का दूसरा हमला इस्फ़हान से किया गया, जिसमें करीब 150 मिसाइलें दागी गईं। इसमें तेल अवीव में रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय के पास आग लग गई। नवतिम हवाई अड्डे पर रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के द्वारा मिसाइल हमले किये गये। तेहरान टाइम्स के मुताबिक, हमलों की इस दूसरी लहर में, अत्याधुनिक शक्तिशाली IRGC मिसाइलें दागी गई हैं।
ईरान की योजना थी कि शनिवार की सुबह तक तेल अवीव और हाइफ़ा में सभी सरकारी और सैन्य इमारतों को ध्वस्त करना है। पूरे देश भर में इज़रायली सैन्य और सरकारी स्थलों पर दर्जनों हमले किये गये। ईरानी हाइपरसोनिक मिसाइलों ने इज़रायली लक्ष्य पर हमला किया। ईरान का दावा है कि इस दूसरी लहर में, एक भी मिसाइल को रोका नहीं जा सका। IDF मुख्यालय, किर्या पर दोबारा हमला किया गया। ईरानी बैलिस्टिक मिसाइलों ने डिमोना परमाणु अनुसंधान स्थल को निशाना बनाया है।
मिसाइल अटैक में एक बहुमंजिला इमारत के नीचे करीब 80 इजरायलियों के फंसे होने की भी खबर है, जो मिसाइल के प्रभाव के कारण ढह गई। इज़रायली मीडिया के मुताबिक, “अभी तक पूरा इज़रायल आग की चपेट में है। दो अलग-अलग हमलों में 300 मिसाइलें दागी गईं और तीसरा हमला अभी भी जारी है।”
इतना ही नहीं, ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स ने घोषणा की है कि “ख़ैबर” मिसाइलें जल्द ही लॉन्च की जाएंगी और “जो कुछ वे देखेंगे उससे दुनिया चौंक जाएगी।”
भारतीय समय के हिसाब से सुबह 3 बजे जब ईरानी मिसाइल ने मध्य तेल अवीव पर हमला किया, तो यह उल्का पिंड गिरने जैसा दिखा।
अल-मायादीन के मुताबिक, ईरानी मिसाइल ने तेल अवीव के एक रणनीतिक क्षेत्र पर हमला किया, जो इजरायली शासन के परमाणु अनुसंधान केंद्र का मुख्यालय है।
मलबे में तब्दील राजधानी तेल अबीब का एक दृश्य।
ईरान के एक के बाद श्रृंखलाबद्ध तीन चरण के मिसाइल हमलों के बाद भी यह हमला नहीं रुका है। इन सभी घटनाओं को सिलसिलेवार देखें तो ऐसा लगता है कि इजराइल ने संभवतः बढ़-चढ़कर दावा किया था, क्योंकि इजराइल के हमले रुके नहीं थे। लेकिन ईरान की रिपोर्ट बताती है कि शुरूआती झटकों के बाद कई ईरानी एयर डिफेंस सिस्टम को एक्टिवेट कर दिया गया, जिसके बाद इजरायली हमले निष्प्रभावी हो गये।
जबकि दूसरी तरफ, ईरान के ताबड़तोड़ हमलों पर पहलेपहल जरुर अधिकांश मिसाइल हमलों को नाकाम करने में इजराइल सफल रहा, लेकिन दूसरे और तीसरे चरण में उसका दम निकल गया. एक बात जो अभी भी अनुत्तरित है कि क्या अमेरिकी एयर डिफेंस सिस्टम, जिसे इजराइल ही नहीं बल्कि सऊदी अरब, इराक, बहरीन सहित अमेरिका ने अपने जहाजी बेड़े में तैनात कर रखा है, ने भी कोई पहल नहीं की? यदि अमेरिका और यूरोपीय सैन्य बलों की कोशिशों के बावजूद ईरान इजराइल के भीतर इतने बड़े पैमाने पर हमला करने में सफल हो गया, तो अमेरिका और नाटो देशों के लिए तो यह डूब मरने वाली बात है।
अब ईरान की सेना का कहना है कि आत्मघाती ड्रोन ने इजरायल के कब्जे वाले क्षेत्रों में सफलतापूर्वक लक्ष्य पर हमला किया है। आईआरजीसी के मुख्य सलाहकार के बयान के मुताबिक, ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस III के तहत 150 इजरायली लक्ष्यों पर हमला किया गया।
तीसरी दुनिया के मुल्कों के राष्ट्राध्यक्षों की ओर से भी ईरान के समर्थन में बयान आने लगे हैं. संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी प्रतिनिधि फू कांग ने कहा है कि इजरायल ने ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला करके ‘रेड लाइन’ को क्रॉस करने का काम किया है।
वेनेजुएला के राष्ट्रपति ने तो साफ कह दिया है कि “फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, अमेरिका नेक, शांतिपूर्ण ईरानियों के खिलाफ “21वीं सदी के हिटलर” का समर्थन कर रहे हैं। जबकि पाकिस्तानी रक्षा मंत्री का कहना है कि पाकिस्तान हर संभव तरीके से ईरान के साथ खड़ा है। चीन के नेतृत्व में शंघाई सहयोग संगठन ने ईरान पर इजरायल के हमलों की कड़ी निंदा की है। जबकि अज़रबैजान गणराज्य ने कहा है कि वह ईरान पर हमला करने के लिए अपने क्षेत्र और हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं होने देगा।
ताजा खबर यह है कि ईरानी विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची ने साफ़ कर दिया है कि इस समय जियोनिस्ट शासन की जारी बर्बरता के मद्देनजर ईरान और अमेरिका के बीच अप्रत्यक्ष वार्ता को जारी रखना कहीं से भी उचित नहीं है। सोशल मीडिया में एक ब्रेकिंग खबर यह चल रही है कि चीन ने ईरान को बड़ी मात्रा में मिसाइल इंधन और बैलिस्टिक मिसाइल भेज रहा है।
हालांकि इस खबर की पुष्टि न ईरान ने की है और न ही चीन की ओर से ऐसी कोई औपचारिक घोषणा की गई है। लेकिन इतना तय है कि यदि इजराइल के द्वारा शुरू किये गये इस युद्ध में पश्चिमी ताकतों ने 90 के दशक की तरह इराक, लीबिया और अफगानिस्तान जैसे देशों को नेस्तनाबूद करने का मंसूबा पाल रखा है, तो उन्हें अप्रत्याशित रूप से रूस, चीन और उत्तरी कोरिया की ओर से कड़ा प्रतिरोध देखने को मिल सकता है। विश्व पर अमेरिका की चौधराहट, जिसके खत्म होने में अभी 5-10 वर्षों की राह देखी जा रही थी, उसका समय नजदीक आ सकता है।
(रविंद्र पटवाल जनचौक संपादकीय टीम के सदस्य हैं)